पटना : बुनियादी स्कूलों में गांधी की परिकल्पना को साकार करने की मुहिम हो गयी शुरू

राज्य के 12 बुनियादी स्कूलों में चलाया जा रहा पायलट प्रोजेक्ट पटना : छात्रों को प्रारंभिक शिक्षा के साथ कौशल विकास का सार्वभौमिक ज्ञान देने की परिकल्पना के साथ महात्मा गांधी ने बुनियादी स्कूलों की स्थापना बिहार में की थी. बदलते समय के साथ इन स्कूलों का मूल स्वरूप बदल गया. अब गांधीजी की परिकल्पना […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 18, 2018 8:52 AM
राज्य के 12 बुनियादी स्कूलों में चलाया जा रहा पायलट प्रोजेक्ट
पटना : छात्रों को प्रारंभिक शिक्षा के साथ कौशल विकास का सार्वभौमिक ज्ञान देने की परिकल्पना के साथ महात्मा गांधी ने बुनियादी स्कूलों की स्थापना बिहार में की थी. बदलते समय के साथ इन स्कूलों का मूल स्वरूप बदल गया. अब गांधीजी की परिकल्पना पर आधारित इन बुनियादी स्कूलों को फिर से मूल स्वरूप में स्थापित करने की मुहिम शुरू की गयी है. इसके अंतर्गत डेवलपमेंट मैनेजमेंट इंस्टीट्यूट (डीएमआई) की मदद से पश्चिम चंपारण के भितीहरवा समेत 12 बुनियादी स्कूलों का चयन कर इनमें पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया गया है.
इन सभी स्कूलों में करीब ढाई हजार छात्र पढ़ते हैं. भितीहरवा बुनियादी स्कूल ही पहला स्कूल है, जिसकी स्थापना स्वयं गांधीजी ने की थी और यहां काफी लंबे समय तक कस्तूरबा गांधी रहकर बच्चों को पढ़ाया करती थीं. इसमें जिन बुनियादी स्कूलों का चयन किया गया है, वे सभी पश्चिम चंपारण और आसपास के इलाके में ही मौजूद हैं. इसके लिए राज्य सरकार ने दो करोड़ 69 लाख 40 हजार के बजट को मंजूरी भी दे दी है.
क्लासों को भी बनाया गया खास
इन चुनिंदा स्कूलों में एक क्लास को खासतौर से डिजाइन की गयी है. इसमें कंप्यूटर, स्मार्ट क्लास समेत अन्य सुविधाएं मुहैया करायी गयी हैं. इसके अलावा स्कूलों में खेल, संगीत समेत अन्य जरूरी विद्याओं की सामग्रियों की भी खरीदारी की गयी है, ताकि बच्चों को किसी सामान की कमी नहीं महसूस हो.
इन 12 बुनियादी स्कूलों का किया गया चयन
जिन स्कूलों का चयन किया गया है, उसमें भितीहरवा स्थित बेसिक स्कूल, असुरारी, प्रोजेक्ट स्कूल बैरतवा, विजयपुर विष्णुपुरवा, विष्णुपुरवा, जगन्नाथपुर, मेघौली, पचकहर, श्रीरामपुर, कोहर गड्डी, सिटही और उच्च माध्यमिक स्कूल भितीहरव शामिल हैं. इन स्कूलों का कलस्टर बनाकर फिलहाल यह प्रयोग किया जा रहा है.
ये प्रयोग किये जा रहे इन स्कूलों में
इन चुनिंदा स्कूलों में पढ़ाने वाले शिक्षकों को भी खास तरीके से प्रशिक्षित किया जा रहा है. इन्हें सामान्य स्कूली पढ़ाई को भी अलग और रोचक तरीके से पढ़ाने का हुनर बताया जाता है.
इसके अलावा छात्रों को शुरुआत से ही कृषि, बागवानी, कृषि आधारित प्रसंस्करण, हैंडक्रॉफ्ट, हैंडलूम, टेराकोटा या क्ले आधारित शिल्प कला, जीवन कौशल, मत्स्य पालन, खेल, म्यूजिक, थियेटर, ड्रामा समेत अन्य कई विद्याओं में ट्रेनिंग दी जाती है. स्कूली ज्ञान के अलावा कौशल विकास से जुड़ी तमाम महत्वपूर्ण बातों को भी सिखाया जाता है.
स्कूल में एक पीरियड इसके लिए निर्धारित होता है. साथ ही बच्चों को अलग से इसके लिए समय निर्धारित कर ट्रेनिंग भी दी जाती है. जिन छात्रों को जिस क्षेत्र में रुचि होती है, उन्हें उसी क्षेत्र में खासतौर से हुनरमंद बनाने की कवायद की जाती है.

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