प्रशांत किशोर ने युवाओं से की सीधी बात, कहा, बिहार के बीते कल से हो नीतीश राज की तुलना

पटना : राजनीति में नये प्रयोग से विरोधी दलों को मात देने वाले रणनीतिकार की पहचान बना चुके जदयू के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर (पीके) ने बिहार की राजनीति को नयी दिशा देने की तैयारी कर ली है. वह एक हजार युवाओं की ऐसी फौज तैयार कर रहे हैं, जो घर-घर में जदयू के झंडा […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 22, 2018 8:13 AM
पटना : राजनीति में नये प्रयोग से विरोधी दलों को मात देने वाले रणनीतिकार की पहचान बना चुके जदयू के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर (पीके) ने बिहार की राजनीति को नयी दिशा देने की तैयारी कर ली है. वह एक हजार युवाओं की ऐसी फौज तैयार कर रहे हैं, जो घर-घर में जदयू के झंडा को लहराने में अहम भूमिका निभायेगी. इस एक हजारी टीम का हिस्सा वही युवा हो पायेगा जिसके पीछे 25 युवाओं की टीम जदयू के लिए हर समय खड़ी रह सकेगी.
चयन के लिए वह पूरे बिहार से युवाओं से फार्म भरवायेंगे. सियासत की पिच पर गेमचेंजर वाली इस योजना को अमली जामा पहनाने के लिए प्रशांत किशोर ने रविवार को प्रदेश भर के करीब 250 युवाओं से सीधी बात की.
जदयू से जुड़कर राज्य को टॉप टेन राज्यों में शामिल कराने की राह पर चलने के लिए प्रेरित किया. नीतीश सरकार के बारे में बिहार के युवा क्या सोचते हैं. अपने राज्य को लेकर उनकी क्या परिकल्पना है. यह जानकारी लेने के लिए प्रशांत किशोर ने विभिन्न क्षेत्रों में काम करने वाले युवा और छात्र-छात्राओं के साथ बैठक का आयोजन किया था. सात सर्कुलर रोड पर रविवार दोपहर एक बजे शुरू हुई यह बैठक चार बजे तक चली.
इसमें कक्षा 12 में पढ़ने वाले सागर सिंह और प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करने वाले शिव शंकर जैसे वे युवा शामिल हुए जिनकी राजनीति में भी रुचि है. सभी को एक एप के जरिये बैठक में आने के लिए संदेश दिया गया था. बैठक में सभी को सवाल करने का मौका दिया गया. कई युवाओं ने स्वास्थ्य सेवाएं, शिक्षा और रोजगार को लेकर सवाल किये. प्रशांत किशोर ने इस पर कहा कि नीतीश सरकार के काम की तुलना लालू और राबड़ी के शासनकाल से करनी चाहिए. अभी महाराष्ट्र-गुजरात से से बिहार की तुलना करना जल्दबाजी होगी. नीतीश सरकार के काम को लेकर सामान्य रूप से सोचने की जरूरत है. बिहार 2005 से पहले कैसा था.
अब कितना काम हुआ. अभी कितना काम और करने की जरूरत है. इस पर बात होनी चाहिए. लोग इस सोचें कि जहां चापाकल थे वहां नल लग गये हैं, जहां सड़क नहीं थी वहां सड़क के साथ-साथ बिजली भी पहुंच गयी है. पहले से बेहतर और तेज काम हुआ है. इसमें अभी सुधार की और जरूरत है. कोई नीतीश सरकार के काम को नकार नहीं सकता है.
नीतीश की तुलना नरेंद्र मोदी से की
युवाओं से सीधे संवाद के दौरान जदयू के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर ने नीतीश कुमार की तुलना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से की. एक युवा के सवाल के जवाब में उनका कहना था कि मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री सभी की सुनते हैं.
नयी जानकारी के आधार पर वह चीजों को दुरुस्त करते हैं. राहुल गांधी में यह गुण नहीं है. नीतीश कुमार वंशवाद की राजनीति नहीं करते हैं. जातिगत राजनीति के सवाल पर कहना था कि बिहार बदनाम है, लेकिन यह सभी राज्यों में हो रहा है. जाति के आधार पर ही चुनाव जीते जाते तो लालू प्रसाद ही बिहार के स्थायी मुख्यमंत्री होते.
बाहर ही रखवा लिये गये मोबाइल फोन
प्रशांत किशोर की बैठक में शामिल होने वालों को फोन लेकर जाने की इजाजत नहीं थी. प्रवेश द्वार पर ही फोन और बैग जमा करा लिये गये थे. सभी युवाओं को एक कोड दिया गया था. बाद में कोड और आईडी प्रूफ दिखाने पर जमा किया हुआ सामान लौटाया गया था.

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