पटना : दिल्ली में शुक्रवार को जदयू व भाजपा के बीच बराबर-बारबर की सीटों के बंटवारे के बाद यह साफ हो गया कि बिहार में एनडीए के बीच नीतीश कुमार ही बड़ा चेहरा हैं. भाजपा के साथ सरकार चलनेवाले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राष्ट्रीय व सांप्रदायिक मुद्दे पर अपना पक्ष हर वक्त मजबूती से रखा.
चाहे वह नार्थ-ईस्ट में नागरिकता का मुद्दा हो या जम्मू-कश्मीर में धारा 370 का. उन्होंने भाजपा के कई मुद्दों पर अपनी असहमति जताते हुए भी एनडीए के बीच कभी भ्रम की स्थिति पैदा नहीं होने दी. 2014 के लोकसभा चुनाव में महज दो सीटों पर सिमटी जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार ने 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के बराबर सीटें हासिल कर यह साबित कर दिया कि उनकी सहभागिता को कोई नजरअंदाज नहीं कर सकता. इधर नरेंद्र मोदी की लहर पर सवार होकर केंद्र में सरकार बनानेवाली भाजपा ने बिहार में पांच साल आते-आते यह महसूस कर लिया कि अपनी कुछ सीटों की कुर्बानी देकर भी नीतीश कुमार को साथ रखना है.
लोकसभा चुनाव 2014 में भाजपा को प्राप्त कुल 22 सीटों में से कुछ सीटों को छोड़ना और जदयू को दो सीटों से बढ़ कर बराबर की सीटे हासिल करना जदयू की बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है.
विधानसभा चुनाव के बाद नीतीश कुमार ने जिस तरह से पार्टी का विस्तार किया और देश में पार्टी की मजबूत उपस्थिति दर्ज करायी उसका परिणाम निकला है कि 2019 में उनको सम्मानजनक सीटें हासिल हुई है. इसके अलावा जदयू के पास वह भी फार्मूला था कि जिसके आधार पर लोकसभा में अगर सीटों का बंटवारा विजयी उम्मीदवारों के आधार पर किया जाता है तो विधानसभा में भाजपा को जदयू से कम सीटें प्राप्त हुई है. तो विधानसभा में क्या भाजपा अपने ही फार्मूले विधानसभा में कम सीट पर संतोष कर लेती. लोकसभा में भाजपा अगर अधिक सीटें प्राप्त करती तो विधानसभा चुनाव में उसे जदयू से कम सीटों को स्वीकार करना पड़ता. इधर भ्रष्टाचार के मुद्दे पर महागठबंधन से अलग होने के बाद बिहार में बननेवाली एनडीए की सरकार में नीतीश कुमार ने कभी भ्रम की स्थिति पैदा नहीं होने दी.
इस दौरान वैसे भी नाजुक वक्त आये जब मुख्यमंत्री ने यह जता दिया कि वह अपने वसूलों के साथ समझौता नहीं करनेवाले हैं. चाहे वह भागलपुर में हुए सामाजिक तनाव और औरंगाबाद में होने वाली घटना हो. फिलहाल सीतामढ़ी में भी सामाजिक तनाव पैदा करने की कोशिश की पर असामाजिक तत्वों पर सरकार ने सख्ती नकेल कसी.
भाजपा चुनाव को लेकर सशंकित : शिवानंद
राजद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी ने कहा कि लोकसभा की 22 सीट जीतने वाली भाजपा और दो सीट जीतने वाली नीतीश कुमार की पार्टी अगला चुनाव बराबर-बराबर सीटों पर लड़ेगी. सीटों के बंटवारे का यह फॉर्मूला ही बता रहा है कि भाजपा अगले चुनाव को लेकर कितनी सशंकित है. श्री तिवारी ने कहा कि भाजपा गठबंधन में नीतीश कुमार ब्राह्मण हैं. सीटों के बंटवारे में पहले वे तृप्त हो जायेंगे, तब बचा-खुदा शूद्रों और दलितों को मिलेगा. शूद्रों और दलितों को अपनी यह ऐतिहासिक हैसियत मंजूर नहीं है तो रास्ता नापें.
लोकसभा में एनडीए की जीत पक्की : वशिष्ठ
भाजपा अध्यक्ष अमित शाह और जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष सह मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बीच बिहार की सीटों के बंटवारे की घोषणा के बाद जदयू इसे राजनीतिक संतुलन के रूप में देख रही है. इस तरह का आगाज लोकसभा में हुआ है तो विधानसभा चुनाव में भी इसी तरह के तालमेल का असर दिखेगा. दोनों दलों के बीच हुए सम्मानजनक समझौते पर जदयू के प्रदेश अध्यक्ष सह राज्यसभा सांसद वशिष्ठ नारायण सिंह ने कहा कि वह पहले भी कह चुके हैं कि एनडीए के बीच सीट बंटवारे को लेकर कोई अड़चन नहीं है. दोनों दलों के नेताओं की मुलाकात के बाद शुक्रवार को सीट बंटवारे का खुलासा हो गया. दोनों दल बराबर सीटों पर लोकसभा चुनाव लड़ेगें. घटक दलों से अंतिम दौर की बातचीत चल रही है. जदयू और भाजपा के बीच सीट शेयरिंग की घोषणा के बाद बिहार में एनडीए की सभी सीटों पर जीत पक्की हो गयी. उन्होंने कहा कि राज्य में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सरकार के कार्यों को लेकर जनता में उत्साह है. राज्य की जनता को यह समझ में आ चुकी है कि मुख्यमंत्री वोट के लिए नहीं जनता के लिए काम करते हैं. एनडीए के अन्य घटक दलों को भी सम्मानजनक सीटें दी जायेंगी.
जीतेंगे 40 की 40 सीटें: नित्यानंद
भाजपा और जदयू के बराबर बराबर सीट पर लोकसभा चुनाव लड़ने के एलान के बाद भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष नित्यानंद राय ने कहा कि इसमें किसी दल के लाभ या नुकसान की बात नहीं है. एनडीए लाभ में रहेगा. शीट शेयरिंग को इस तरह देखा जाना चाहिए कि राज्य की सभी चालीस सीटों पर एनडीए की जीत होगी. श्री राय ने कहा कि केंद्रीय नेतृत्व के हर निर्णय के साथ हमलोग है. हमलोग चालीस की चालीस सीट पर जीतेंगे.
सीट बंटवारे में समझौता तो करना ही होगा : चिराग
बिहार में आगामी लोकसभा चुनाव के मद्देनजर एनडीए में नये घटक दल के शामिल होने पर सीट बंटवारे में कम्प्रोमाइज तो करना ही होगा. बिहार में नीतीश कुमार बड़ा नाम हैं, उनकी विश्वसनीयता है. उनके नेतृत्व में जदयू के एनडीए में शामिल होने पर सीटों को लेकर सभी दलों को समझौता करना होगा. भाजपा सबसे बड़ी पार्टी है इसलिए उसे सबसे अधिक समझौता करना होगा. यह बातें यह बातें लोजपा सांसद चिराग पासवान ने कहीं. वे शुक्रवार को सीट बंटवारे को लेकर अमित शाह और नीतीश कुमार के संवाददाता सम्मेलन के बाद बोल रहे थे. चिराग पासवान ने कहा कि सीट बंटवारे की बातचीत फाइनल राउंड में है. दो-तीन दिनों में सबकुछ स्पष्ट हो जायेगा. सहयोगियों को सीट देने के बाद भाजपा और जदयू बराबर-बराबर सीटों पर चुनाव लड़ेंगी. नये घटक दल के तौर पर नीतीश कुमार के नेतृत्व में जदयू के शामिल होने से एनडीए मजबूत होगी. उन्होंने कहा कि पिछला लोकसभा चुनाव लोजपा सात सीटों पर लड़ी थी इसमें से छह पर जीत मिली. इस बार भी जिन सीटों पर पार्टी चुनाव लड़ना चाहती है उसका प्रस्ताव दे दिया है.