पटना : निजी अस्पताल छिपा रहे डेंगू मरीजों के आंकड़े
मोटी कमाई के चक्कर में अस्पताल नहीं देते स्वास्थ्य विभाग को डेंगू मरीजों का ब्योरा पटना : शहर के सरकारी व प्राइवेट अस्पतालों में मरीजों की भीड़ हो रही है. घर-घर में लोग तेज बुखार के साथ जोड़ों में दर्द से परेशान हैं. सबसे अधिक डेंगू व चिकनगुनिया के मरीज सामने आ रहे हैं. लेकिन […]
मोटी कमाई के चक्कर में अस्पताल नहीं देते स्वास्थ्य विभाग को डेंगू मरीजों का ब्योरा
पटना : शहर के सरकारी व प्राइवेट अस्पतालों में मरीजों की भीड़ हो रही है. घर-घर में लोग तेज बुखार के साथ जोड़ों में दर्द से परेशान हैं. सबसे अधिक डेंगू व चिकनगुनिया के मरीज सामने आ रहे हैं. लेकिन सरकारी रिकॉर्ड के मुताबिक शहर में सब कुछ ठीक है. कागजों में अब तक सिर्फ 500 मरीजों को ही डेंगू हुआ है.
जबकि असल में तो यह आंकड़ा हजार से अधिक पहुंच चुका है. इसे सरकारी लापरवाही कहें या छिपाने की प्रवृत्ति पिछले दो महीने में विभाग के रिकॉर्ड में पूरे बिहार से सिर्फ 500 मरीज ही सामने आये हैं. डेंगू मरीजों के आंकड़े सिर्फ शहर के मेडिकल कॉलेज अस्पतालों से ही आ रहे हैं. इनमें भी पीएमसीएच और एनएमसीएच ही ऐसे हॉस्पिटल हैं जिनकी वायरोलॉजी लैब में मरीजों से लिये सैंपल के आधार पर डेंगू की पुष्टि हो रही है.
और पुष्टि के बाद लैब मरीजों का आंकड़ा स्वास्थ्य विभाग को भेज रहा है. नियमानुसार सभी प्राइवेट और सरकारी अस्पतालों को डेंगू व चिकनगुनिया मरीजों का आंकड़ा देना है. बावजूद स्वास्थ्य विभाग इस मामले पर ध्यान नहीं दे रहा है. खानापूर्ति के लिए सिर्फ मौखिक रूप में आंकड़ा देने के लिए आदेश जारी किया गया है.
डेंगू का कहर जारी, अब इमरजेंसी वार्ड में हो रहे भर्ती
राजधानी सहित पूरे बिहार में डेंगू का प्रकोप बढ़ता जा रहा है. शहरी और ग्रामीण इलाकों से हर दिन अस्पतालों में मरीज पहुंच रहे हैं. यही वजह है कि पीएमसीएच, आईजीआईएमएस व एनएमसीएच अस्पताल में बने डेंगू वार्ड मरीजों से भरे हैं और दूसरे वार्डों में भी मरीजों को भर्ती कराया जा रहा है. अब स्थिति यह हो गयी है कि पीएमसीएच के इमरजेंसी वार्ड में भी डेंगू के मरीजों को भर्ती करना पड़ रहा है. डेंगू को लेकर मरीजों में अभी भी खौफ बनी हुई है. मरीज लगातार पीएमसीएच में इलाज कराने पहुंच रहे हैं.
अलग से बना है 16 बेडों का डेंगू वार्ड
डेंगू मरीजों के लिए पीएमसीएच के स्त्री व प्रसूति रोग विभाग के ऊपरी तल्ले पर अलग से 16 बेडों का डेंगू वार्ड बनाया गया था. 15 दिन पहले ही डेंगू वार्ड पूरी तरह से फुल हो गया. ऐसे में पीएमसीएच में गंभीर मरीजों के आने का सिलसिला लगातार जारी रहा. इसको देखते हुए पीएमसीएच प्रशासन ने इमरजेंसी वार्ड में अलग से 20 बेडों का डेंगू वार्ड बनाया गया था, जहां गंभीर डेंगू के मरीजों को भर्ती किया जा रहा है.
बड़ी बात तो यह है कि अब 20 बेडों के डेंगू वार्ड में 13 बेड फुल हो चुके हैं. यहां सभी गंभीर डेंगू पीड़ित भर्ती किये गये हैं. वहीं, पीएमसीएच के अधीक्षक डॉ राजीव रंजन प्रसाद ने बताया कि डेंगू वार्ड फुल होने के बाद मरीजों को इमरजेंसी वार्ड में बने डेंगू वार्ड में भर्ती किया जा रहा है. हालांकि, अब मरीज धीरे-धीरे कम हो रहे हैं. अक्टूबर के बाद डेंगू मरीजों की संख्या कम हो जायेगी.
एनएमसीएच में डेंगू पीड़ित पांच मरीज भर्ती
पटना सिटी : नालंदा मेडिकल कॉलेज अस्पताल में डेंगू से पीड़ित पांच मरीज का अस्पताल में उपचार चल रहा है. मेडिसिन विभाग के एचओडी उमाशंकर प्रसाद ने बताया कि विभाग में डेंगू पीड़ित मरीजों के लिए 10 बेड सुरक्षित रखे गये हैं. इनमें पांच महिला व पांच पुरुषों के लिए हैं. फिलहाल डेंगू पीड़ित पांच मरीजों का इलाज चल रहा है. मरीजों की जांच मेडिसिन विभाग के जांच केंद्र में हो रही है. ओपीडी में आये मरीजों की जांच एनएमसी के माइक्रोबायोलॉजी विभाग में हो रही है. इधर, यूनानी चिकित्सा संस्थान की ओर से स्वास्थ्य जांच शिविर लगाया गया.
इस वजह से प्राइवेट अस्पताल छिपा रहे आंकड़े
शहर के प्राइवेट अस्पताल डेंगू मरीजों का इलाज तो बड़े पैमाने पर कर रहे हैं लेकिन आंकड़े छिपा रहे हैं. जानकारों की मानें तो आंकड़े छिपाने के पीछे का कारण प्राइवेट अस्पतालों की मोटी कमाई है. क्योंकि अधिकांश ऐसे मरीज हैं, जिनको डेंगू नहीं भी होता और सामान्य बुखार में भर्ती कर उनका डेंगू का इलाज किया जाता है. अगर निजी अस्पताल सभी मरीजों के आंकड़े जारी कर दें, तो उनकी सच्चाई का पता लग जायेगा.
शहर के पीएमसीएच, आईजीआईएमएस आदि सभी पीएचसी व सरकारी अस्पतालों में डेंगू जांच की सुविधा है. सभी अस्पतालों में जांच व इलाज पूरी तरह से नि:शुल्क हैं. रही बात आंकड़े छिपाने की तो इस मामले को गंभीरता से देखा जायेगा. अगर मामला पकड़ में आया तो कार्रवाई की जायेगी.
—डॉ पीके झा, सिविल सर्जन
डॉक्टर दे रहे सुझाव
इस मौसम में बुखार आ रहा है तो पैरासीटामोल के साथ पीएं ओआरएस
अभी यदि आपको तेज बुखार आ रहा है तो आप पैरासेटामोल ओआरएस यानी ओरल रिहाइड्रेशन सॉल्यूशन पीना शुरू कर दें. अभी वायरल के साथ ही डेंगू बुखार के प्रकोप के मद्देनजर डाॅक्टर यह एहतियात बरत रहे हैं.
अभी बुखार के जो लक्षण हैं उसमें मरीजों की भूख खत्म हो रही है और शरीर में सोडियम और पोटैशियम मेंटेन नहीं हो पा रहा है. इसके साथ ही ब्लड प्रेशर भी कम हो रहा है. यह सब लक्षण शरीर को पूरी तरह तोड़ने में कारगर होते हैं. यही नहीं यह प्लेटलेट्स को कम करने की भी वजह बनते हैं. इस कारण डाॅक्टर पहले ही बीमारी के उन लक्षणों को खत्म करने के लिए ओआरएस पीने की सलाह दे रहे हैं.
डॉक्टरों की खास सलाह
आपको बुखार को कंट्रोल करने के लिए केवल पैरासेटामोल लेने की सलाह दी जाती है. डाॅक्टरों का कहना है कि केवल पैरासेटामोल टेबलेट 500 या 650 मिली ग्राम लें ताकि बुखार पर लगाम लगी रहे. इसके साथ एंटीबायोटिक दवा नहीं लें. शरीर में कमजोरी को ओआरएस कंट्रोल करेगा और बुखार को पैरासेटामोल. पीएमसीएच के इमरजेंसी इंचार्ज सह फिजिशियन डॉ अभिजीत सिंह कहते हैं कि बुखार में भूख पूरी तरह खत्म हो जा रही है. शरीर कमजोर नहीं हो इसके लिए भी ओआरएस लेना आवश्यक है.
क्या कहते हैं डॉक्टर?
शरीर में फ्लूड का लेवल बरकरार रखने के लिए ओरआरएस लेने की सलाह दी जाती है. ताकि डिहाइड्रेशन नहीं हो और प्लेटलेट्स का बनना जारी रहे. अभी बुखार होने के साथ ब्लड प्रेशर भी कम हो जा रहा है, इसे भी ओआरएस बरकरार रखता है. वायरल और डेंगू बुखार दोनों में ओआरएस कारगर है, बुखार के लिए पैरासेटामोल लेना जरूरी है.
—डॉ मनोज कुमार, अधीक्षक, न्यू गार्डिनर रोड अस्पताल