पटना एयरपोर्ट की एप्रोच लाइटों का हो रहा विस्तार

पटना जू में एक हफ्ते में लग जायेंगी एप्रोच लाइटें पटना : पटना एयरपोर्ट की एप्रोच लाइटों का विस्तार कार्य शुरू हो गया है. पीर अली पथ व जू में 210 मीटर नयी एप्रोच लाइट लगायी जानी है. इसके अंतर्गत चार एप्रोच लाइटों का इंस्टॉलेशन होना है, जिनमें से तीन पटना जू और एक पीर […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 31, 2018 9:37 AM
पटना जू में एक हफ्ते में लग जायेंगी एप्रोच लाइटें
पटना : पटना एयरपोर्ट की एप्रोच लाइटों का विस्तार कार्य शुरू हो गया है. पीर अली पथ व जू में 210 मीटर नयी एप्रोच लाइट लगायी जानी है. इसके अंतर्गत चार एप्रोच लाइटों का इंस्टॉलेशन होना है, जिनमें से तीन पटना जू और एक पीर अली पथ में लगायी जायेंगी.
मंगलवार को पटना जू में पहली एप्रोच लाइट लग गयी, जबकि अगले एक सप्ताह में वहां दो और ऐसी एप्रोच लाइटें लगायी जायेंगी. पीर अली पथ में डिवाइडर के बीच में एप्रोच लाइटों को लगाने के लिए प्लेटफॉर्म का निर्माण कर दिया गया है. एक-दो दिनों में वहां भी एप्रोच लाइटें लगा दी जायेंगी.
30 की बजाय 60 मीटर पर लगायी जा रहीं एप्रोच लाइटें : पटना जू और पीर अली पथ में पिछले वर्ष भी एप्रोच लाइटें लगायी गयीं थीं, लेकिन गलत लाइन पर लग जाने के कारण इन्हें डीजीसीए से इस्तेमाल की स्वीकृति नहीं मिली. अब एप्रोच लाइटों को नये सिरे से बिछाया जा रहा है. पहली दो एप्रोच लाइटों के बीच की दूरी केवल 30 मीटर रखी गयी थी, क्योंकि रनवे के किनारे केवल 210 मीटर एप्रोच लाइट लगी थी. अब एप्रोच लाइट की लंबाई 420 मीटर हो जायेगी. इसे अगले साल बढ़ा कर 720 मीटर करना है, इसलिए दो लाइटों के बीच की दूरी दोगुना कर दी गयी है.
स्वीकृति के बाद होगा इस्तेमाल
नवंबर के मध्य तक नयी एप्रोच लाइटों का इंस्टॉलेशन पूरा हो जायेगा. इंंस्टॉलेशन के बाद डीजीसीए इसका निरीक्षण करेगी और उसकी स्वीकृति के बाद ही इसे कमीशन किया जायेगा. नवंबर के अंत तक एप्रोच लाइटों का कमीशन हो जाने की उम्मीद है. उसके बाद इनका इस्तेमाल शुरू हो जायेगा.
1000 मीटर की दृश्यता में उतर सकेंगे विमान
420 मीटर एप्रोच लाइटों का इस्तेमाल शुरू होने के बाद विमानों को पटना एयरपोर्ट पर धुंध और कोहरे में लैंडिंग में आसानी होगी और 1000 मीटर की दृश्यता में भी विमान उतर सकेंगे. विदित हो कि वर्तमान में 210 मीटर एप्रोच लाइटों के ही इस्तेमाल होने की वजह से 1200 मीटर से कम दृश्यता की स्थिति में विमान नहीं उतर पाते हैं.
इसकी वजह से दिसंबर-जनवरी में लैंडिंग में बहुत परेशानी होती है क्योंकि दोपहर बारह-एक बजे के बाद ही दृश्यता 1200 मीटर के ऊपर जा पाती है.

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