कैबिनेट की बैठक में फैसला, पीएमसीएच बनेगा दुनिया का सबसे बड़ा अस्पताल, 5540 करोड़ रुपये की मिली स्वीकृति
पटना : विश्व का सबसे बड़ा अस्पताल पटना चिकित्सा महाविद्यालय एवं अस्पताल (पीएमसीएच) होगा. अस्पताल की क्षमता बढ़ाने के लिए सरकार ने 5540.07 करोड़ रुपये की प्रशासनिक स्वीकृति दी है. बेडों की संख्या 1754 से बढ़कर 5462 हो जायेगी. एमबीबीएस, पीजी और सुपरस्पेशलिटी की भी सीटें बढ़ जायेंगी. इतना ही नहीं, यहां वर्ल्ड क्लास की […]
पटना : विश्व का सबसे बड़ा अस्पताल पटना चिकित्सा महाविद्यालय एवं अस्पताल (पीएमसीएच) होगा. अस्पताल की क्षमता बढ़ाने के लिए सरकार ने 5540.07 करोड़ रुपये की प्रशासनिक स्वीकृति दी है. बेडों की संख्या 1754 से बढ़कर 5462 हो जायेगी. एमबीबीएस, पीजी और सुपरस्पेशलिटी की भी सीटें बढ़ जायेंगी.
इतना ही नहीं, यहां वर्ल्ड क्लास की चिकित्सकीय सुविधाएं मिलेंगी. उधर, बिहार गृह रक्षा वाहिनी के गृह रक्षकों का भत्ता/प्रशिक्षण भत्ता 400 से बढ़ा कर 774 रुपये प्रतिदिन कर दिया गया है. शनिवार को कैबिनेट की बैठक के बाद मंत्रिपरिषद विभाग के प्रधानसचिव संजय कुमार ने बताया कि कुल 34 प्रस्तावों को मंजूरी मिली है.
इसमें सबसे महत्वपूर्ण पीएमसीएच के पुनर्विकास का प्रस्ताव है. उन्होंने बताया कि विश्व का सबसे बड़ा अस्पताल बेलग्रेट में है. इस अस्पताल में 3500 बेड हैं. पीएमसीएच को इससे भी बड़ा अस्पताल होने का गौरव प्राप्त होगा. पीएमसीएच में 5462 बेड होंगे. इसके लिए बिहार चिकित्सा सेवाएं एवं आधारभूत संरचना निगम लि से प्राप्त प्रस्ताव एवं तकनीकी अनुमोदन के आधार पर कैबिनेट ने भी प्रस्ताव को प्रशासनिक स्वीकृति दे दी है. इससे प्रदेश की जनसंख्या के अनुपात में चिकित्सकों की कमी को दूर किया जा सकेगा और मरीजों को बेहतर सुविधाएं मिलेंगी.
बढ़ जायेंगी सीटें
पीएमसीएच अस्पताल के पुनर्विकास के बाद विभिन्न कोर्स में सीटें बढ़ जायेंगी. स्वास्थ्य विभाग के अनुसार, एमबीबीएस के 150 सीटें वर्तमान में हैं, यह बढ़कर 250 हो जायेंगी. इसी तरह पीजी सीट के लिए 146 और सुपर स्पेशलिटी के लिए आठ सीटें हैं. यह बढ़ कर क्रमश: 200 और 36 हो जायेंगी. उधर, 883.10 करोड़ रुपये से मेडिकल उपकरणों को खरीदा जायेगा.
बेहतर होंगी स्वास्थ्य सेवाएं, सरकार ने खोला खजाना
पटना : प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर करने के लिए चौतरफा तैयारी शुरू हो गयी है. सरकार ने इसके लिए खजाना खोल दिया है.
अनुग्रह नारायण मगध मेडिकल कॉलेज, गया एवं जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज, भागलपुर के लिए 18 करोड़ सात लाख 63 हजार 800 रुपये की लागत योजना की प्रशासनिक स्वीकृति दी गयी है. कैबिनेट ने शनिवार को स्वास्थ्य विभाग के प्रस्ताव को मंजूरी दी है. प्रस्ताव के अनुसार, एमबीबीएस विद्यार्थियों के लिए लाइब्रेरी का निर्माण किया जायेगा, जिसकी क्षमता बढ़ायी गयी है.
उधर, अगमकुआं के राजकीय फार्मेसी संस्थान में सुचारु रूप से शैक्षणिक कार्य संचालित रखने के लिए संविदा के आधार पर आठ व्याख्याताओं की तीन साल के लिए संविदा अवधि विस्तारित किया गया है. कैबिनेट ने इसको भी मंजूरी दी है.
बिहार महिला स्वास्थ्य कार्यकर्ता (ऑक्जीलियरी नर्स मिडवाइफ) संवर्ग के मूलकोटि एवं प्रोन्नति के पदों पर नियुक्ति एवं उनकी सेवा शर्तों के निर्धारण के लिए बिहार महिला स्वास्थ्य कार्यकर्ता संवर्ग नियमावली-2018 के गठन की स्वीकृति मिली है.
दूसरी ओर, बिहार स्वास्थ्य सेवा संवर्ग एवं बिहार चिकित्सा शिक्षा सेवा संवर्ग की भांति आयुष (आयुर्वेदिक, यूनानी एवं होमियोपैथिक) प्रक्षेत्र के चिकित्सकों/चिकित्सक शिक्षकों के लिए केंद्रीय डायनेमिक एसीपी के लाभ का प्रावधान हू-ब-हू करने का निर्णय लिया गया है.
स्वास्थ्य विभाग के आयुष निदेशालय के तहत आशुलिपिक कोटि के पदों पर नियुक्ति एवं उनकी सेवा शर्तों के निर्धारण के लिए बिहार आयुष निदेशालय अशुलिपिक (भर्ती एवं सेवा शर्त) नियमावली 2018 के गठन की स्वीकृति मिली है.
निजी मेडिकल कॉलेज के विद्यार्थियों को सरकारी मेडिकल कॉलेजों में मिलेगा प्रशिक्षण
स्वास्थ्य सेवाओं को सुदृढ़ करने के लिए सरकार ने नयी व्यवस्था को हरी झंडी दी है. निजी नर्सिंग प्रशिक्षण संस्थान, पारा मेडिकल, डेंटल कॉलेजों के विद्यार्थियों को राज्य के सरकारी चिकित्सा महाविद्यालय अस्पतालों व अन्य अस्पतालों में क्लिनिकल प्रशिक्षण की सुविधा होगी.
इसके लिए शुल्क का निर्धारण राज्य सरकार ने किया है. डेंटल कॉलेज के लिए सामान्य व बीसी श्रेणी के विद्यार्थियों से 10 हजार और एससी और एसटी श्रेणी के विद्यार्थियों से चार हजार रुपये लिये जायेंगे.
वैशाली में मेडिकल कॉलेज के लिए मिली जमीन : सात निश्चय योजना के तहत वैशाली में मेडिकल कॉलेज बनाने का निर्णय लिया गया था. वैशाली के महुआ अंचल के ग्राम छतवारा कपूर में मेडिकल कॉलेज के लिए जमीन मिल गयी है. कृषि विभाग के बीज गुणन केंद्र की भूमि दी जायेगी. इसके नि:शुल्क हस्तांतरण के लिए राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के प्रस्ताव को कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है.
सूखाग्रस्त प्रखंडों की संख्या 206 से बढ़कर 275 पहुंची
प्रदेश के 23 जिलों के 206 प्रखंडों के अलावा 69 और प्रखंडों को सरकार ने सूखाग्रस्त घोषित किया है. सामान्य से काफी कम बारिश होने के कारण बिहार का काफी हिस्सा प्रभावित हुआ है.
विभिन्न विभागों से मिली रिपोर्ट के आधार पर सरकार ने कुछ दिन पूर्व ही प्रदेश के 23 जिलों के 206 प्रखंडों को सूखाग्रस्त घोषित किया था. नये सिरे से आयी रिपोर्ट के बाद यह संख्या बढ़ गयी है. अब सूखा प्रभावित प्रखंडों की संख्या 275 हो गयी है. सूखाग्रस्त घोषित 23 जिलों में से 15 जिलों के अंतर्गत 68 और सीतामढ़ी जिले का एक प्रखंड इसमें शामिल है.