बिहार में 14% आबादी के साथ निषाद समाज के पास सरकार बनाने की चाभी : मुकेश सहनी

पटना:बिहारकी राजधानी पटना के ऐतिहासिक गांधी मैदान में निषादराज तथा निषाद आरक्षण के नारों के बीच लाखों समर्थकों की उपस्थिति में सन ऑफ मल्लाह के नाम से मशहूर मुकेश सहनी द्वारा पार्टी के नाम की घोषणा कर दी गयी. अब मुकेश सहनी की पार्टी का नाम ‘विकासशील इंसान पार्टी’ है. साथ ही निषाद आरक्षण महारैली […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 4, 2018 4:35 PM

पटना:बिहारकी राजधानी पटना के ऐतिहासिक गांधी मैदान में निषादराज तथा निषाद आरक्षण के नारों के बीच लाखों समर्थकों की उपस्थिति में सन ऑफ मल्लाह के नाम से मशहूर मुकेश सहनी द्वारा पार्टी के नाम की घोषणा कर दी गयी. अब मुकेश सहनी की पार्टी का नाम ‘विकासशील इंसान पार्टी’ है. साथ ही निषाद आरक्षण महारैली में प्रदेश के गांव-गांव तथा कोने-कोने से आये लाखों निषादों ने निषाद आरक्षण के लिए हुंकार भरा और सनऑफ मल्लाह के नेतृत्व में अपनी एकता का शंखनाद किया.

महारैली में अमर शहीद जुब्बा सहनी तथा वीरांगना फूलन देवी की विशालकाय प्रतिमा के बीच बना संसद भवन के आकार का बना भव्य मंच से मुकेश सहनी ने साफ तौर कहा कि अब हमारे समाज को दूसरों के रहमो-करम पर आश्रित नहीं रहने की जरूरत नहीं है. अब समाज की अपनी पार्टी बन गयी है. अपनी पार्टी के बैनर तले समाज के हक-अधिकार की लड़ाई को पटना से दिल्ली तक लड़ेंगे. जब प्रदेश में 3फीसदी आबादी वाले लोग मुख्‍यमंत्री पद पर आसीन हो सकते हैं, तो हम 14फीसदी की आबादी वाले क्‍यों नहीं. इसलिए भाईयों, आज गांधी मैदान से शपथ लेकर जाईये कि हम अब एकजुट होकर निषाद समाज के हक में वोट करेंगे और आबादी के हिसाब से ही राजनीति में भागीदारी भी लेंगे. हम बंट कर कमजोर नजर आते हैं, साथ डट जायें तो हम इतिहास बदल देंगे.

निषाद आरक्षण की लड़ाई का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि हम मार्च 2017 में अनिश्चितकालीन अनशन पर बैठे तथा बिहार के प्रत्येक जिला मुख्यालय पर एक साथ धरना देकर सरकार को झुकाया. फलस्वरूप राज्य सरकार को हमारे दबाब में एथ्नोग्रफिक रिपोर्ट बनाकर केंद्र सरकार को भेजना पड़ा. अब हमारी लड़ाई दिल्ली सरकार से है. उन्होंने कहा कि हमारा प्रभाव था कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी तथा भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने कहा कि उनका भी फर्ज बनता है कि वे निषाद समाज के लिए कुछ करें. मगर, अबतक उन्होंने अपना वादा पूरा नहीं किया है. उन्होंने समाज से इनको अपना फर्ज याद दिलाने का आह्वान करते हुए कहा कि इस डबल इंजन की सरकार को हमारी 11 मागों में से कम-से -कम आधी मांगे मानने के बाद ही हम उनके साथ गठबंधन की सोचेंगे. वरना 2014 में तो हमने उनका साथ दिया था मगर 2019 में उन्हें अपनी शक्ति का एहसास करवाएंगें.

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