13.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

पटना : तीन घंटे के पूर्वानुमान 90% भरोसेमंद, आपदा की जगह बताने में चूक

पटना के मौसम विज्ञान केंद्र का डॉप्लर रडार से 24 घंटे के मौसम पूर्वानुमान के 60 फीसदी सही होने की रहती है गुंजाइश अनिकेत त्रिवेदी पटना : राजधानी के अनीसाबाद स्थित मौसम विज्ञान में लगा डॉप्लर राडार पर सूबे का मौसम पूर्वानुमान टिका होता है. जलवायु परिवर्तन एवं मौसमी आपदा के हिसाब से बिहार देश […]

पटना के मौसम विज्ञान केंद्र का डॉप्लर रडार से 24 घंटे के मौसम पूर्वानुमान के 60 फीसदी सही होने की रहती है गुंजाइश
अनिकेत त्रिवेदी
पटना : राजधानी के अनीसाबाद स्थित मौसम विज्ञान में लगा डॉप्लर राडार पर सूबे का मौसम पूर्वानुमान टिका होता है. जलवायु परिवर्तन एवं मौसमी आपदा के हिसाब से बिहार देश के टॉप थ्री संवेदनशील स्टेट में शामिल है. ऐसे में मौसम विज्ञान विभाग भविष्यवाणियां अहम हो जाती हैं. ताकि आपदाओं से मुकाबले की तैयारियां की जा सकें. ऐसे में मौसम केन्द्र पर लगे डॉप्लर रडार की भविष्यवाणियों की उपयोगिता का आकलन जरूरी हो जाता है.
मौसम केंद्र की मानें तो राडार से तीन घंटे पूर्व मौसम का नाउ कास्ट दिया जाता है. इसके सही होने की संभावना 90 फीसदी होती है. इसमें मौसम विज्ञान केंद्र जिलावार आपदा की जानकारी देता है, जिसमें भूकंप को छोड़ कर बारिश, हवा, आंधी सहित अन्य जानकारियां जारी की जाती है, मगर जिले में किस जगह पर इसका केंद्र होगा, आसपास के जिलों में कितना प्रभाव रहेगा, इस पर सटीक जानकारी नहीं दी जा सकती है. वहीं 24 घंटे के पूर्वानुमान 40 फीसदी गलत साबित हो जाते हैं.
24 घंटे के पूर्वानुमान में 60 फीसदी सत्यता
अनीसाबाद के मौसम विज्ञान केंद्र में काम करने वाले वैज्ञानिक बताते हैं कि तीन घंटे के नाउ कास्ट के अलावा मौसम केंद्र 24 घंटे पहले पूर्वानुमान भी दिया जाता है. इसमें कुल छह पैमानों पर इसका अनुमान लगाया जाता है.
वैज्ञानिक बताते हैं कि इसके लिए सतह से ऊपर 18 से 20 किमी हवा के रफ्तार को मापा जाता है. इसमें रेडियो साउंड, रेडियो विंड, लो प्रेशर, आद्रता और तापमान सहित अन्य पहलुओं की जांच की जाती है. इसके बाद अगर कहीं साइक्लोनिक सिस्टम बना है, तो इसके बढ़ते प्रभाव को देखा जाता है. इसके बाद फिर मौसम विज्ञान केंद्र पूर्वानुमान जारी करता है. वैज्ञानिक मानते हैं इस 24 घंटे के पूर्वानुमान के सही होने के औसत 60 फीसदी रहते हैं.
250 किमी के भीतर सटीक फिर घट जाती है संभावना
पटना में जो राडार लगाया गया है. उसकी क्षमता 500 किमी की त्रिज्या पर मौसमी घटनाओं को पकड़ना है, लेकिन वर्तमान में ऐसी स्थिति है कि 250 किमी त्रिज्या पर ही सटीक जानकारी दी जा रही है. इससे अधिक दूरी होने पर अनुमान सही होने की संभावना क्रमश: घटती जाती है. राडार में काम करने वाले मौसम वैज्ञानिक बताते हैं कि इस रॉडार की जद से राज्य के पूर्णिया, फारबिशगंज, अररिया जैसे इलाके कम आते हैं, जबकि यूपी के वाराणसी, गोरखपुर सहित पूर्वांचल के चार जिलों और नेपाल का कई इलाका इसकी रेंज में आता है.
चाइनीज है डॉप्लर रडार
राजधानी में लगभग 15 करोड़ रुपये की लागत से डॉप्लर रडार केंद्र की स्थापना वर्ष 2011 में की गयी थी. तब से इसकी सेवा ली जा रही है. ऐसा माना जाता है कि अगर मेनटेंनेस सही रहा तो इसे दस वर्ष से अधिक भी उपयोग किया जा सकता है. यह रडार मेड इन चाइना है. जानकारी के अनुसार पटना के अलावा देश में 15 जगहों पर ऐसा रडार लगाया गया है. इसमें लखनऊ, कोलकाता, भोपाल, दिल्ली, अगरतल्ला, जयपुर, मुंबई, नागपुर, विशाखापत्तनम, पटियाला सहित अन्य कई शहर हैं.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें