भाजपा की 2019 में सत्ता में वापसी की कोशिश नाकाम होगी : शरद यादव

नयी दिल्ली: लोकतांत्रिक जनता दल के संरक्षक एवं जदयू के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद यादव ने रविवार को कहा कि भाजपा की केंद्र में वापसी की उम्मीद उन्हीं राज्यों (उत्तर प्रदेश और बिहार) में दफन होंगी जो 2014 में उसकी बड़ी जीत के वाहक बने थे. उन्होंने यह भी जोर देकर कहा कि पांचों चुनावी […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 18, 2018 5:47 PM

नयी दिल्ली: लोकतांत्रिक जनता दल के संरक्षक एवं जदयू के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद यादव ने रविवार को कहा कि भाजपा की केंद्र में वापसी की उम्मीद उन्हीं राज्यों (उत्तर प्रदेश और बिहार) में दफन होंगी जो 2014 में उसकी बड़ी जीत के वाहक बने थे. उन्होंने यह भी जोर देकर कहा कि पांचों चुनावी राज्यों में कांग्रेस भाजपा को पछाड़ देगी.

शरद यादव ने पीटीआई-भाषा को एक साक्षात्कार में कहा कि भाजपा शासित राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश समेत विधानसभा चुनावों के नतीजे अगले साल लोकसभा चुनावों का आधार बनाएंगे.उन्होंने दावा किया कि लोग नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार से छुटकारा चाहते हैं क्योंकि उसने 2014 में उनसे किये एक भी वादे पूरे नहीं किये. प्रधानमंत्री मोदी पर चाय बेचने की अपनी पृष्ठभूमि जैसी ‘‘भावनात्मक’ चालों का सहारा लेने, जबकि उनके पार्टी सहयोगियों द्वारा अयोध्या में राम मंदिर बनाने की बात करने का आरोप लगाते हुए लोकतांत्रिक जनता दल प्रमुख ने कहा कि यह दिखाता है कि भाजपा के पास अपनी सरकार की उपलब्धियों के बारे में बताने को कुछ नहीं है.

उन्होंने कहा, ‘‘सभी पांच राज्यों में कांग्रेस मजबूत स्थिति में है. लोग परेशान हैं और भाजपा को हराना चाहते हैं. इन राज्यों में (विधानसभा) चुनावों के नतीजे 2019 के लोकसभा चुनावों की आधारशिला रखेंगे.’ विपक्षी दलों का गठबंधन बनाने और भाजपा के नेतृत्व वाले राजग के खिलाफ जीत के लिये काम कर रहे शरद यादव ने कहा कि वे 2019 में एकजुट होंगे. उन्होंने कहा, ‘‘गंगा के मैदानी इलाकों (उत्तर प्रदेश और बिहार) में मिली जीत के आधार पर भाजपा ने दिल्ली की सत्ता पाई. 2019 में सत्ता में लौटने की उसकी उम्मीदें उन्हीं मैदानी इलाकों में दफन होगी.’

शरद यादव ने कहा, एनडीए को 2014 के चुनावों में उत्तर प्रदेश और बिहार की 120 लोकसभा सीटों में से 104 पर जीत हासिल हुई थी, लेकिन समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के बीच संभावित गठबंधन ने राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण उत्तर प्रदेश में उसके लिये स्थिति को ज्यादा चुनौतीपूर्ण बना दिया है क्योंकि यहां से संसद के निचले सदन में 80 सदस्य चुनकर जाते हैं.

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