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रविशंकर का कांग्रेस पर हमला, कहा- ”बाहरी” को पार्टी में शीर्ष पर नहीं देखना चाहता गांधी परिवार, …दिये कई उदाहरण?

भोपाल : केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कांग्रेस में आंतरिक लोकतंत्र नहीं होने का आरोप लगाया. प्रसाद ने यहां कहा, ‘‘कांग्रेस में आंतरिक लोकतंत्र नहीं है. इस पार्टी में गांधी परिवार के बाहर का कोई व्यक्ति अध्यक्ष नहीं बन सकता. जब-जब भी इस परिवार से बाहर का कोई व्यक्ति अध्यक्ष बना है, तो इस परिवार […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 21, 2018 8:28 AM

भोपाल : केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कांग्रेस में आंतरिक लोकतंत्र नहीं होने का आरोप लगाया. प्रसाद ने यहां कहा, ‘‘कांग्रेस में आंतरिक लोकतंत्र नहीं है. इस पार्टी में गांधी परिवार के बाहर का कोई व्यक्ति अध्यक्ष नहीं बन सकता. जब-जब भी इस परिवार से बाहर का कोई व्यक्ति अध्यक्ष बना है, तो इस परिवार के लोगों ने और पार्टी में उनके भक्तों ने उन्हें बर्दाश्त नहीं किया है.’

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उन्होंने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री स्व पीवी नरसिम्हाराव के मीडिया सलाहकार रहे संजय बारू ने एक पुस्तक लिखी है, जिसमें कांग्रेस में नेहरू-गांधी परिवार के हस्तक्षेप के बारे में विस्तार से लिखा गया है. पुस्तक का हवाला देते हुए प्रसाद ने आरोप लगाया कि 1977 में जब इंदिरा जी चुनाव हारी, तब देवकांत बरुआ कांग्रेस के अध्यक्ष थे. वे इस परिवार के भक्त थे और कहते थे ‘इंडिया इज इंदिरा और इंदिरा इज इंडिया’. उनके बाद वामनदेव रेड्डी पार्टी के अध्यक्ष बने. लेकिन, स्व इंदिरा गांधी उन्हें पचा नहीं पायी. उन्होंने मूल कांग्रेस से अलग होकर इंदिरा कांग्रेस बनायी. इंदिरा जी के निधन के बाद उनके बेटे राजीव गांधी कांग्रेस अध्यक्ष रहे. राजीव की हत्या के बाद पीवी नरसिम्हाराव कांग्रेस अध्यक्ष बने और बाद में प्रधानमंत्री भी बने. लेकिन, उनके पूरे कार्यकाल के दौरान सोनिया गांधी पर्दे के पीछे से उन्हें और कांग्रेस को चलाना चाहती थीं. उनके बाद सीताराम केसरी अध्यक्ष बने. उनके बाद 19 साल सोनिया गांधी अध्यक्ष रहीं और अब राहुल गांधी पार्टी के अध्यक्ष हैं.

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प्रसाद ने आरोप लगाया कि जब-जब भी गांधी परिवार के बाहर का कोई व्यक्ति पार्टी अध्यक्ष बना है और खासकर ऐसा व्यक्ति जो गांधी परिवार के इशारों पर ना चले, तो गांधी परिवार के लोग और कांग्रेस में उनके भक्त उसे बर्दाश्त नहीं कर पाते. स्व पीवी नरसिम्हाराव और स्व सीताराम केसरी इसके उदाहरण हैं. स्व पीवी नरसिम्हाराव के निधन के बाद उनके शव को कांग्रेस कार्यालय में नहीं रखा गया. यही नहीं, बल्कि स्व. नरसिम्हाराव ऐसे पहले पूर्व प्रधानमंत्री हैं, जिनका अंतिम संस्कार देश की राजधानी दिल्ली में नहीं किया गया. स्व सीताराम केसरी से तो और भी खराब व्यवहार किया गया. स्व केसरी इनकार करते रहे, लेकिन पार्टी ने जबरन उनका इस्तीफा स्वीकार कर लिया. यही नहीं, उन्हें सरकारी बंगले से भी हाथ पकड़कर बाहर निकाला गया. ये घटनाएं बताती हैं कि गांधी परिवार के लोग परिवार के बाहर के किसी भी व्यक्ति को पार्टी में शीर्ष पर नहीं देखना चाहते. उन्होंने कहा कि कांग्रेस के विपरीत भारतीय जनता पार्टी पूरी तरह लोकतांत्रिक पार्टी है और इसमें कोई भी योग्य कार्यकर्ता शिखर तक पहुंच सकता है. उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कार्यकर्ता के रूप में ही पार्टी में शामिल हुए थे. वर्तमान अध्यक्ष अमित शाह बूथ समिति के अध्यक्ष से आगे बढ़े हैं. उनके अलावा गृहमंत्री राजनाथ सिंह, परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने भी पार्टी में अपना कॅरियर सामान्य कार्यकर्ता के रूप में ही शुरू किया था.

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