पटना : पुल व पुलियों के लिए बने अलग विंग : सीएम

मुख्यमंत्री की मौजूदगी में हुआ पथ निर्माण विभाग का प्रेजेंटेशन, सड़कों के मेंटेनेंस का हो नियमित निरीक्षण पटना : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सड़कों के रख-रखाव के लिए अभियंताओं व कांट्रैक्टरों की जिम्मेवारी तय करने का निर्देश दिया. उन्होंने सड़कों के मेंटेन के लिए उसकी नियमित निरीक्षण करने के लिए कहा है. इसके बावजूद अगर […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 22, 2018 9:11 AM
मुख्यमंत्री की मौजूदगी में हुआ पथ निर्माण विभाग का प्रेजेंटेशन, सड़कों के मेंटेनेंस का हो नियमित निरीक्षण
पटना : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सड़कों के रख-रखाव के लिए अभियंताओं व कांट्रैक्टरों की जिम्मेवारी तय करने का निर्देश दिया. उन्होंने सड़कों के मेंटेन के लिए उसकी नियमित निरीक्षण करने के लिए कहा है. इसके बावजूद अगर सड़कों की हालत ठीक नहीं रहे तो संबंधित कनीय अभियंता, सहायक अभियंता व कार्यपालक अभियंता सहित संवेदकों पर जिम्मेदारी निर्धारित करते हुए कार्रवाई सुनिश्चित की जाए.
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एक अणे मार्ग में बुधवार को पथ निर्माण विभाग की ‘आउटपुट एंड परफॉरमेंस बेस्ड रोड एसेट्स मेंटेनेंस कॉन्ट्रैक्ट’ (ओपीआरएमसी) की समीक्षा में पथ निर्माण विभाग के प्रधान सचिव को निर्देश दिया. मुख्यमंत्री के समक्ष दूसरे ओपीआरएमसी के परफार्मेंस, इश्यूज व रिजोल्यूशन के संबंध में प्रजेंटेशन देते हुए पूरी जानकारी दी गयी.
मुख्यमंत्री ने कहा कि हाल ही में सड़क मार्ग से नोखा से विक्रमगंज जाने के क्रम में कई स्थानों पर सड़क की खराब हालत से अवगत कराया गया था. इसको एक आधार मानकर ‘आउटपुट एण्ड परफॉरमेंस बेस्ड रोड एसेट्स मेंटेनेंस कॉन्ट्रैक्ट’ के तहत पूरे राज्य में पथ निर्माण विभाग की सड़कों के रख–रखाव की वास्तविक स्थिति का आकलन कराना चाहिए. सड़कों के मेंटेन के लिए लागू पहले ओपीआरएमसी में क्या-क्या खामियां रह गयी थी. उसे दूसरे ओपीआरएमसी में सुधार कर लें.
नियमित हो निरीक्षण : मुख्यमंत्री ने कहा कि सड़क का निरीक्षण सप्ताह में एक बार कनीय अभियंता के द्वारा, 15 दिनों में सहायक अभियंता के द्वारा तथा माह में एक बार कार्यपालक अभियंता के स्तर से हो. उन्होंने प्रधान सचिव को निदेश दिया कि विभाग के स्तर से इस बात की जांच की जाये कि अभियंताओं द्वारा नियमित निरीक्षण हो रहा है या नहीं.
मुख्यमंत्री ने कहा कि सड़क के मेंटनेंस में सरकार इतना खर्च कर रही है और उसके बाद भी अगर सड़कों की हालत ठीक नहीं रहे तो कनीय अभियंता, सहायक अभियंता व कार्यपालक अभियंता सहित संवेदकों पर जिम्मेदारी निर्धारित करते हुये कार्रवाई सुनिश्चित की जाए.
सिस्टम को करना होगा दुरुस्त
प्रधान सचिव को निर्देश दिया कि सिस्टम को दुरुस्त करना होगा. हम जब भी बाहर निकलते हैं तो माइक्रो लेवल पर जो भी कमियां तत्काल दिखती हैं तो अवगत कराते हैं.
अत्याधुनिक तकनीक जीपीएस आदि का प्रयोग कर मजबूती से निगरानी करें. विभागीय स्तर पर कार्य कराने से जहां एक ओर अभियंताओं के तकनीकी ज्ञान का बेहतर उपयोग किया जा सकेगा, वहीं कार्य के वास्तविक खर्च की भी स्थिति स्पष्ट होगी. मुख्यमंत्री ने ब्रिज मेंटेनेंस के लिए भी अलग से विंग बनाने का निर्देश दिया. उन्होंने कहा कि बिहार में पुलों की संख्या बढ़ती जा रही है. इसलिए उसका रख-रखाव भी ठीक ढंग से होना चाहिए.अगर विभाग को और इंजीनियर की जरूरत है तो बहाल करें. रिटायर्ड इंजीनियरों की भी सेवा ली जा सकती है.काम में कोई कोताही नहीं होनी चाहिए. उन्होंने अभियंताओं के साथ-साथ संवेदकों को भी प्रशिक्षण देने का निर्देश दिया.
13 हजार किलोमीटर सड़कों का होगा मेंटेनेंस
जनवरी 2019 से शुरू नयी ओपीआरएमसी पॉलिसी में 13 हजार किलोमीटर सड़कों का सात साल तक मेंटेनेंस होना है. इसमें अधिकांश जिला सड़कों के अलावा स्टेट हाइवे शामिल है. साथ ही उन सड़कों को भी शामिल किया गया है जो पहले ओपीआरएमसी पॉलिसी में मेंटेनेंस हुई है. डिफेक्ट लाइबिलिटी पीरियड के बाद उन सड़कों को शामिल किया जायेगा.
बैठक में पथ निर्माण मंत्री नंद किशोर यादव, मुख्य सचिव दीपक कुमार, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव चंचल कुमार, पथ निर्माण विभाग के प्रधान सचिव अमृत लाल मीणा, ग्रामीण कार्य विभाग के सचिव विनय कुमार, मुख्यमंत्री के सचिव मनीष कुमार वर्मा, परिवहन विभाग के सचिव संजय अग्रवाल, विशेष सचिव–मुख्यमंत्री सचिवालय अनुपम कुमार, मुख्यमंत्री के विशेष कार्य पदाधिकारी गोपाल सिंह सहित पथ निर्माण विभाग के अन्य पदाधिकारी उपस्थित थे.

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