नयी दिल्ली : जम्मू-कश्मीर विधानसभा भंग होनेकोलेकर सियासी बयानबाजी का सिलसिला जारी है. इसी कड़ी में जदयू के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं लोकतांत्रिक जनता दल केप्रमुख शरद यादवने कहाकि जम्मू-कश्मीर में विधानसभा को भंग कर लोकतंत्र का गला घोंटा गया है. मैं राज्य में विधानसभा के विघटन का विरोध तथा निंदा करता हूं. सरकार की यह कार्रवाई स्पष्ट रूप से पक्षपात पूर्ण है, जब प्रमुख दलों के गठबंधन ने सरकार बनाने के लिए दावा किया था.
शरद यादव ने आगे कहा, हाल ही में जम्मू-कश्मीर सरकार ने शहरी स्थानीय निकायों के चुनावों को राज्य में प्रमुख राजनीतिक दलों की भागीदारी के बिना अनुमति दी जो कि लोकतंत्र का मजाक था. उन्हाेंने कहा, भाजपा को न तो भारत के संविधान की चिंता है और न ही यहां के संस्थानों के प्रति सम्मान. राज्य में विधानसभा चुनाव का औचित्य ही क्या है जब लोगों के जनादेश को कुचल कर विधानसभा को भंग कर दिया गया और इसी प्रकार शहरी स्थानीय निकायों के चुनाव का कोई मतलब नहीं था, जब प्रमुख राजनीतिक दल भाग ही नहीं ले रहे थे. उन्होंने कहा, भाजपा के शासनकाल के दौरान देश में जो भी हो रहा है वह लोकतंत्र और जनता के जनादेश के खिलाफ है.
शरद यादव ने साथ ही कहा,भाजपा की अगुआई वाली इस सरकार का हर फैसला जनविरोधी है. चाहे वह वैधानिक संस्थाओं को ध्वस्त करना हो, बैंकों को नष्ट करना हो या भारत के संविधान की अवज्ञा करनी हो भाजपा उन सब कामों में निपुण है जो देश को बर्बादी की राह पर ले जाती हैं. देश की मौजूदा स्थिति से यहां के नागरिक तंग आ चुके हैं. मैं यह समझने में असमर्थ हूं कि सत्तारूढ़ दल सरकार चलाने के अपने तरीके में बदलाव क्यूं नहीं लाना चाहती जब समाज के प्रत्येक वर्ग के लोगों द्वारा सरकार के हर फैसले का विरोध सार्वजनिक रूप से देखा जा रहा है. उन्होंने कहा, मैं भारत सरकार और सत्तारूढ़ दल को सलाह देना चाहता हूं कि हमारे संविधान में निर्धारित मानदंडों का पालन करे और सत्ता में बने रहने के लिए ओछी राजनीति करने से बाज आये.
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