पटना : कार्तिक पूर्णिमा पर लाखों श्रद्धालुओं ने नदियों में स्नान कर पूजा-पाठ कर दान किया. कार्तिक पूर्णिमा के मौके पर पटना सहित सूबे के दूसरे जिलों में भी स्नान-दान और पूजा-पाठ किये गये. श्रद्धालुओं ने पवित्र गंगा में स्नान किया. वहीं, सोनपुर के हरिहरक्षेत्र मेले में भी हजारों श्रद्धालु पहुंचे. स्नान के बाद बाबा हरिहरनाथ का जलाभिषेक कर पूजा-अर्चना की. बेगूसराय स्थित सिमरिया गंगा तट पर स्नान करनेवालों की भीड़ सुबह से ही उमड़नी शुरू हो गयी. चारों तरफ हर-हर गंगे गुंजायमान होता रहा. गया जिले के गुरुआ के भुरहा में भी हजारों श्रद्धालुओं ने स्नान कर दान-पुण्य किया.
बिहारशरीफ स्थित गिरियंका अर्थात गिरियक पहाड़ की तलहटी से गुजरनेवाली पंचानवे नदी में भी बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने स्नान कर भगवान कृष्ण की पूजा-अर्चना की. पौराणिक कथाओं के अनुसार पंचानवे नदी में पूर्णिमा के अवसर पर स्नान करने की यह पुरानी परंपरा सदियों से चली आ रही है. सीवान जिले में कार्तिक पूर्णिमा के मौके पर श्रद्धालुओं ने सरयू नदी में स्नान कर पूजा पाठ की. मलपुरवा घाट की स्थिति अति संवेदनशील देखते हुए श्रद्धालुओं के स्नान करने पर प्रतिबंध रहा. वहीं, जिले में आज से लंबा मेले का आगाज हो रहा है. जिले के दक्षिणांचल क्षेत्र में सरयू नदी के तट पर बसे दरौली में करीब एक माह तक यह मेला चलेगा. कार्तिक पूर्णिमा पर स्नान करने के लिए उमड़नेवाले जनसैलाब के मद्देनजर सभी प्रशासनिक तैयारियां पूरी कर ली गयी थीं. सुरक्षाकर्मी और प्रशासनिक अधिकारियों की टीम शुक्रवार की सुबह से ही हर जगह कमान संभाल ली थी. जिला प्रशासन की ओर से ठोस बंदोबस्त किये जाने के बावजूद अधिकारियों को मुस्तैदी से ड्यूटी पर रहने का निर्देश दिया गया है.
हिंदू मान्यता के अनुसार कार्तिक पूर्णिमा पर संध्या के समय भगवान विष्णु का मत्स्यावतार हुआ था. ऐसे में इस दिन गंगा स्नान के बाद दीप-दान करने पर उसका फल दस यज्ञों के समान प्राप्त होता है. इस पूर्णिमा की महत्ता को देखते हुए ही इसे ब्रह्मा, विष्णु, शिव, अंगिरा और आदित्य ने महापुनीत पर्व बताया है. कई जगह इसे देव दीपावली भी कहा जाता है.कार्तिक मास की पूर्णिमा देश भर की सभी पवित्र पूर्णमासियों में श्रेष्ठ मानी गयी है. इस दिन किये जानेवाले सभी दान-पुण्य कार्य बेहद फलदायी साबित होते हैं. कहा जाता है कि यदि इस दिन कृतिका नक्षत्र पर चंद्रमा और विशाखा नक्षत्र पर सूर्य हो, तो ऐसे में पद्मक योग का निर्माण होता है, जो कि बेहद दुर्लभ योग होता है. साथ ही इस दिन कृतिका नक्षत्र पर चंद्रमा और गुरु हो तो, यह महापूर्णिमा कहलाती है. इस दिन संध्याकाल में त्रिपुरोत्सव करके दीपदान करने से पुनर्जन्म का कष्ट समाप्त हो हो जाता है.