पटना : वर्तमान में मैकाले की शिक्षा पद्धति में बदलाव करने की जरूरत : राज्यपाल

गांधी का जीवन दर्शन वर्तमान शिक्षा व्यवस्था में हो लागू पटना : राज्यपाल लालजी टंडन ने कहा है कि वर्तमान में लॉर्ड मैकाले की शिक्षा पद्धति में बदलाव करने की जरूरत है. समय के साथ इसमें व्यापक परिवर्तन करने की आवश्यकता है. वर्तमान शिक्षा व्यवस्था में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के जीवन दर्शन को समाहित करना […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 24, 2018 9:19 AM
गांधी का जीवन दर्शन वर्तमान शिक्षा व्यवस्था में हो लागू
पटना : राज्यपाल लालजी टंडन ने कहा है कि वर्तमान में लॉर्ड मैकाले की शिक्षा पद्धति में बदलाव करने की जरूरत है. समय के साथ इसमें व्यापक परिवर्तन करने की आवश्यकता है. वर्तमान शिक्षा व्यवस्था में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के जीवन दर्शन को समाहित करना चाहिए.
गांधी दर्शन को भारतीय शिक्षा व्यवस्था का अहम अंग बनाने की जरूरत है. महात्मा गांधी के जीवन दर्शन आज संपूर्ण विश्व के लिए पहले से कहीं ज्यादा प्रासंगिक और उपयोगी बन गये हैं. गांधीवाद एक ऐसा व्यावहारिक दर्शन है, जिसका जीवन के हर क्षेत्र में व्यापक प्रभाव है.
इसका अनुसरण करके मौजूदा समय में विभिन्न चुनौतियों से निबटा जा सकता है. राज्यपाल शुक्रवार को राजभवन स्थित राजेंद्र मंडप में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 150वीं जयंती वर्ष के मौके पर आयोजित एक दिवसीय सेमिनार को संबोधित कर रहे थे. उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि गांधीजी ने धर्मनिरपेक्षता नहीं, बल्कि सर्वधर्म समादर और समभाव की बात कही थी. वे अपने भजन में ईश्वर और अल्लाह दोनों को याद करते थे. सभी मनुष्यों के लिए सुमति की कामना करते थे. गांधीवाद कोई दर्शन नहीं, बल्कि उनके जीवन के साथ किये गये प्रयोगों का प्रतिफल है.
उन्होंने कहा कि यह बिडंबना कि आजादी मिलने के बाद गांधी हमसे छिन गये तथा देश का भूगोल रचने वाले सरदार पटेल भी स्वतंत्र भारत में बहुत दिनों तक हमारा साथ नहीं निभा सके. समाज सुधार को व्यापक आयाम प्रदान करने वाले स्वामी दयानंद सरस्वती भी बहुत दिनों तक देश का मार्ग दर्शन नहीं कर सके और पूरे विश्व में भारतीय आध्यात्मिक चिंतन को प्रतिष्ठित करने वाले स्वामी विवेकानंद भी हमारे बीच से बहुत जल्द ही चले गये.
उन्होंने कहा कि आज जो लोग गांधी के सिद्धांतों पर अमल नहीं करते हैं, उन्हें भी अपने विचारों को छोड़कर गांधी के सिद्धांतों को मानने के लिए विवश होना पड़ेगा. गांधी के सिद्धांतों से ग्राम्य विकास में मदद मिलेगी और हमार अर्थव्यवस्था सशक्त होगी.
इस दौरान त्रिपुरा के पूर्व राज्यपाल और सुप्रसिद्ध गांधीवादी चिंतक सिद्धेश्वर प्रसाद ने कहा कि गांधी के ही देश में गांधी की प्रासंगिकता पर विचार करना आश्चर्यजनक है. गांधीजी ने विकेंद्रीकरण पर जोर दिया, लेकिन आज देश में सत्ता, शक्ति और अर्थ (संपत्ति) का केंद्रीकरण होता जा रहा है, जो ठीक नहीं है.
गांधी को सुप्रसिद्ध वैज्ञानिक आइंस्टीन ने बखूबी पहचाना था. सुप्रसिद्ध गांधीवादी चिंतक रामजी सिंह ने कहा कि राजनीति में धर्म का सार्थक हस्तक्षेप होना चाहिए, ताकि नैतिक मूल्यों की मर्यादा बनी रहे. गांधी राजनीति का आध्यात्मीकरण चाहते थे. अध्यात्म के बिना विज्ञान लंगड़ा है. जबकि विज्ञान के बिना ज्ञान अंधा है.

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