किसानों को गेहूं की जगह दलहन की खेती करने की सलाह

पटना : कम बारिश का साइड इफेक्ट सूबे के किसान झेल रहे हैं. घान की फसल तो प्रभावित हुई ही अब किसान रबी की बुआई में भी संकट का सामना कर रहे हैं. कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों को जमीन में कम नमी को देखते हुए गेहूं की जगह दलहनी फसलों की खेती करने की सलाह […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 25, 2018 3:20 AM
पटना : कम बारिश का साइड इफेक्ट सूबे के किसान झेल रहे हैं. घान की फसल तो प्रभावित हुई ही अब किसान रबी की बुआई में भी संकट का सामना कर रहे हैं. कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों को जमीन में कम नमी को देखते हुए गेहूं की जगह दलहनी फसलों की खेती करने की सलाह दी है.
इधर बिहार कृषि विश्वविद्यालय के सहयोग से सूबे के 14 जिलों के किसानों को मौसम आधारित खेती की जानकारी दी जायेगी इसके लिए बामेती में ट्रेनिंग प्रोग्राम भी शुरू हो गयी है. इस साल दीपावली के मौके पर कम कीट- फतंगों की मौजूदगी पर भी चर्चा शुरू की है. खरीफ के मौसम में सामान्य से कम बारिश होने के चलते इस साल धान की फसल को काफी नुकसान पहुंचा. है. राज्य के 24 जिले के 275 प्रखंड को सूखाग्रस्त घोषित किया गया है. सरकार किसानों को सहायता उपलब्ध करा रही है.
खासकर मसूर की खेती करें
कम बारिश की असर धान की खेती में तो झेले ही अब रबी में भी झेल रहे हैं. खेतों में नमी नहीं होने के कारण रबी की बुआई में परेशानी आ रही है. रबी की बुआई में देरी हो रही है. कृषि वैज्ञानिक डाॅ संतोष कुमार इन दिनों बामेती में मौसम आधारित खेती की जानकारी कृषि अधिकारियों व वैज्ञानिक को दे रहे हैं. डाॅ कुमार कहते हैं कि मौजूदा स्थिति में किसान गेहूं की जगह दलहन खासकर मसूर की खेती करें.
दलहन में कम पानी की जरूरत होती है. अभी तापमान भी अनुकुल है. इसलिए दलहनी फसलों की खेती करना किसानों के लिए हितकर होगा. सूबे का कृषि विभाग भी किसानों को मुफ्त में रबी का बीज उपलब्ध करा रहा है. इस साल मॉनसून के कमजोर रहने के कारण जमीन में नमी का जबरदस्त अभाव है.
मौसम के अनुसार कैसे हो खेती, मिलेगी जानकारी
योजना के तहत सूबे के 14 जिलों कटिहार, पूर्णिया, खगड़िया. अररिया. बांका, औरंगाबाद, गया, बेगुसराय, सीतामढ़ी, सहरसा भागलपुर जमुई, शेखपुरा आदि जिले के किसानों को मौसम आधारित खेती की जानकारी मिलेगा. मौसम के अनुसार कैसे खेती हो , कौन सी फसल लगायी जाये, इन्हीं सब बातों की जानकारी मिलेगी.
कीटों की कमी से बढ़ी चिंता
अमूमन दीपावली पर कीट पतंगों की बाढ़ आ जाती है़ लेकिन, इस बार यह देखने को नहीं मिला. कृषि वैज्ञानिक कहते हैं कि पिछले पांच-छह साल की तुलना में इस बार ठंड पहले आ गयी थी. इसलिए कीट कम देखने को मिला. वैसे किसान चितिंत है. किसानों का कहना है कि या तो बदलते मौसम चक्र में हो रहे उतार-चढ़ाव का असर है या फिर अत्याधिक कीटनाशकों के प्रयोग का असर, कृषि वैज्ञानिकों ने इस बात को लेकर चर्चा शुरू कर दी है.

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