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‘प्राण वायु’ सुधारने में देरी हुई तो सांस पर खड़ा हो जायेगा संकट

खतरनाक दौर में पहुंची हवा की गुणवत्ता, ठंडे बस्ते से निकाल जमीन पर उतारें एक्शन प्लान अनिकेत त्रिवेदी पटना : शहर की ‘ प्राण वायु ‘ खतरनाक दौर में पहुंच चुकी है. पटना के वायु प्रदूषण की भयावहता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि लगभग एक माह से उसकी स्थिति ‘ […]

खतरनाक दौर में पहुंची हवा की गुणवत्ता, ठंडे बस्ते से निकाल जमीन पर उतारें एक्शन प्लान
अनिकेत त्रिवेदी
पटना : शहर की ‘ प्राण वायु ‘ खतरनाक दौर में पहुंच चुकी है. पटना के वायु प्रदूषण की भयावहता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि लगभग एक माह से उसकी स्थिति ‘ बहुत खराब ‘ व ‘ खतरनाक ‘ कैटेगरी के बीच बनी हुई है. यह तब के हालात हैं जब निजी क्षेत्रों के कंस्ट्रक्शन काफी कम हो रहे हैं. फिलहाल पीएम 2़ 5 चरम पर है. रोजाना शाम पांच से लेकर सात बजे तक इसकी मात्रा सामान्य से 4 से 11 गुनी तक दर्ज की गयी है.
पिछले एक माह में टॉप 10 प्रदूषित शहरों में पहुंचा पटना : केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय की ‘ईज ऑफ लिविंग’ शहरों की सूची में प्रदूषण के हिसाब से पटना 85वें नंबर पर है. यह रिपोर्ट तीन माह पहले आयी है.
पिछले एक माह में देखा जाये, तो पटना देश के सर्वाधिक प्रदूषित शहरों में टॉप 10 की कैटेगरी में है. पटना के एयर क्वालिटी इंडेक्स की भयावहता का अंदाजा इसी बात से लगा सकते हैं कि रविवार को भी इसका इंडेक्स 402 दर्ज किया गया. यह प्रदूषण के हिसाब से अंतिम अलार्मिंग कैटेगरी मानी जाती है. ऐसा नहीं है कि वायु प्रदूषण को रोकने में प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और शासन ने कोई कदम नहीं उठाये. लेकिन, उसे लागू करने में सरकारी एजेंसियां पूरी तरह असफल रहीं.
शहरी विकास मंत्रालय की रेटिंग में भी पटना की है दयनीय दशा
महत्वपूर्ण मुद्दों पर करना होगा काम
जानकारी के मुताबिक बिहार राज्य प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड की ओर से तैयार एक्शन प्लान काफी व्यावहारिक है, मगर इसको जमीन पर उतारने के लिए जिला प्रशासन को कई जगहों पर कड़ाई से अनुपालन कराने की जरूरत होगी. जिस तरह का एक्शन प्लान तैयार किया गया है.
इसमें आठ महत्वपूर्ण मुद्दों पर काम करने की जरूरत बताया गयी है. वायु प्रदूषण को कम करने या रोकने के लिए वाहनों से निकलने वाले खतरनाक गैस, सड़क डस्ट, निर्माण गतिविधियां, कचरा जलाने पर रोक, उद्योग, पब्लिक जागरूकता से लेकर अन्य कई पार्ट हैं. जिस पर बनाये गये गाइड लाइन को जमीन पर उतारने की जरूरत होगी.
ऐसे कम करना होगा वायु प्रदूषण
वाहनों की जांच
वायु प्रदूषण को रोकने के लिए प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड ने जो कार्ययोजना तैयार की है. इसमें सबसे पहले 15 वर्ष से पुराने वाहनों के उपयोग, खरीद-बिक्री पर पूर्ण रूप से रोक लगाने पर काम करने की जरूरत बतायी गयी है.
इसके अलावा वाहन इंधनों के रूप में सीएनजी और एलपीजी के प्रयोग को शुरू करने को कहा गया है. सड़क पर चलने वाले वाहनों की नियमित प्रदूषण जांच के लिए बताया गया है. इसके अलावा शहर के ट्रैफिक व्यवस्था को ठीक करना होगा. डीजल से चलने वाले ऑटो पर चलने पर बैन करना होगा. मल्टी लेयर वाहन पार्किंग की व्यवस्था, ई-रिक्शा का संचालन आदि को बढ़ावा देना होगा.
निर्माण गतिविधियां
सबसे पहले से निर्माण सामग्री के ट्रांसपोर्टेशन मसलन बालू, सीमेंट, गिट्टी और मिट्टी को हमेशा कवर कर ही करना होगा. सड़क के किनारे बिल्डिंग मटेरियल के रखने पर बैन करना होगा. साथ ही निर्माण साइट को सदा कवर कर ही निर्माण करना होगा.
इंडस्ट्रीज
सबसे पहले तो सभी तरह के इंडस्ट्री में प्रदूषण मापने वाले यंत्र को लगाना होगा. 24 घंटे मॉनीटरिंग हो. ईंट-भट्ठों के निर्माण में फ्लाई एक्स का प्रयोग करना होगा. इसके अलावा शहर के वायु प्रदूषण करने वाले उद्योगों को हटाने का काम करना होगा.
रोड डस्ट
वायु प्रदूषण को कम करने के लिए रोड डस्ट को भी कम करने की जरूरत है. एक्शन प्लान में बताया गया है कि शहर के सड़कों की नियमित सफाई व पानी का छिड़काव काफी जरूरी है. सड़क किनारे पौधारोपण व उनके रखरखाव पर ध्यान देना होगा. शहर में ग्रीन बेल्ट विकसित करना होगा. पार्क, ओपन प्लेस और हाउसिंग सोसाइटी से लेकर स्कूलों में भी पौधारोपण की जरूरत बतायी गयी है. शहर के चौराहे व गोलंबरों पर वाटर फाउंटेन लगाने की जरूरत भी बतायी गयी है.
पब्लिक जागरूकता
इन उपरोक्त मापदंडों के अलावा प्रशासन व अन्य एजेंसियों को वायु प्रदूषण जागरूकता के लिए आम लोगों को जागरूक करने की जरूरत होगी. शहर के वायु में अव्यय मसलन पीएम-10, पीएम-2.5 व एनओ-2 के दुष्प्रभाव के बारे में जानकारी देनी होगी. इसके अलावा इसके दूर करने के उपायों पर काम करना होगा.
कचरा जलाना
वायु प्रदूषण का एक महत्वपूर्ण कारण खुले में कचरा जलाना भी है. सबसे पहले खुले में ठोस कचरा, प्लास्टिक, बायोकचरे से लेकर अन्य सभी तरह के कचरा जलाने पर रोक लगाना होगा. नगर निगम की कचरा ले जाने वाली गड़ियों को भी कवर कर ही ले जाना होगा. इसके अलावा दुकानों व सड़क के किनारे बने ढाबे में इंधन के प्रयोग पर अच्छे फ्यूल का प्रयोग करने पर बल देना होगा.
अब तेजी से कार्रवाई करने की जरूरत
वायु प्रदूषण को लेकर अब तेजी से कार्रवाई करने की जरूरत है, इसलिए सभी संबंधित जिला प्रशासन को काम करने के लिए कहा जा रहा है. 15 दिनों के बाद हम लोग एक्शन टेकेन रिपोर्ट भी मांगेंगे. अकेले प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड को हर जगह नियम लागू कराना संभव नहीं है. इसलिए जिला प्रशासन से लेकर अन्य संबंधित विभागों को काम करने की जरूरत है.
— डॉ अशोक कुमार घोष, अध्यक्ष प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड
इनको करना है काम
प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड को अपने एक्शन प्लान में जिम्मेदार सरकारी एजेंसियों को टाइम लाइन भी दी गयी है. इसमें कई विभागों ने अब तक तय समय से कार्रवाई भी शुरू नहीं की है. कुछ उदाहरण इस प्रकार हैं.
मसलन परिवहन विभाग को इस वर्ष जून से परिवहन में सीएनजी व एलपीजी के प्रयोग की शुरुआत कर देनी थी.इसके अलावा दिसंबर तक 15 वर्ष पुराने वाहनों के परिचालन पर रोक लगा देना है. जुलाई तक ट्रैफिक पुलिस को एक बेहतर ट्रैफिक मैनेजमेंट की शुरुआत कर देना था.
वहीं दिसंबर 2019 तक शहर में विभिन्न जगहों पर मल्टी लेयर वाहन पार्किंग के लिए नगर निगम, नगर विकास विभाग व जिला प्रशासन को काम पूरा कर देना है.
इसी वर्ष अप्रैल नगर निगम को सभी सड़कों पर पानी छिड़काव शुरू कर देना था. इस मार्च से कचरा जलाने, कचरा को ढक कर ले जाने को लेकर बेहतर प्लान बनाना था. अप्रैल से प्रदूषण करने वालों की शिकायत के लिए हेल्प लाइन जारी कर देना था. इसके अलावा वन एवं पर्यावरण विभाग को ग्रीन बेल्ट डेवलप करने को लेकर कार्रवाई करनी शुरू कर देना था.

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