पटना : राबड़ी देवी और तेजस्वी के धरने पर बैठने का असर देखने को मिला. विधान परिषद में राजद के पांच सदस्यों के निलंबन के विरोध में बैठी राबड़ी देवी किसी से नहीं मानी. जिसके बाद सभापति हारुन रशीद खुद पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी को मनाने पहुंचे. जहां, सभापति ने पांचों सदस्यों का निलंबन वापस लेने के बाद राबड़ी देवी मानी और धरना समाप्त की. इससे पहलेबिहार विधानमंडल के शीतकालीन सत्र के तीसरे दिन सदन की कार्यवाही समाप्त होने के बाद भी विपक्ष विधानसभा में डटे हुए थे. पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी विधान परिषद के अंदर तो तेजस्वी यादव विधानसभा के मुख्य द्वार पर धरना दे रहे थे. वहीं, बिहार विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव विधानसभा के मुख्य द्वार पर धरने पर बैठे थे. उनके साथ राजद के अन्य विधायक भी तेजस्वी के साथ धरने पर बैठे हुए थे. धरने पर बैठे राजद नेता सरकार के खिलाफ नारेबाजी कर रहे थे. इस दौरान पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने कहा कि विपक्ष जन सरोकार के मुद्दे को सदन में उठाना चाहती है. मगर सदन में विपक्ष को बोलने का मौका नहीं दिया जा रहा है. राज्य में हो रही कई तरह की अनियमितताओं से जुड़े सवालों का जवाब भी राज्य सरकार जवाब नहीं देना चाहती. यही कारण है कि सरकार सदन में विपक्ष को सवाल नहीं पूछने दे रही है. यह लोकतंत्र की हत्या है.
दूसरी ओर, भारी हंगामे के बीच विधान परिषद को पहले दोपहर 12 बजे और फिर गुरुवार तक के लिए स्थगित कर दिया गया. सदन की कार्यवाही के दौरान राबड़ी देवी वेल में घुस गयी और उनकी साथ ही राजद के कई सदस्य भी वेल में घुस गये. विधान परिषद में हुए हंगामे के दौरान सभापति ने 5 सदस्यों को 2 दिन के लिए निलंबित कर दिया. वहीं, निलंबन के विरोध में राबड़ी देवी वेल में धरना पर बैठ गयीं. हंगामे के बीच कांग्रेस के प्रेमचंद मिश्रा समेत रामचंद्र पूर्वे, सुबोध कुमार, दिलीप राय,, कमर आलम और खुर्शीद मोहसिन भी राबड़ी देवी के साथ धरना पर बैठे हैं. सदन से राधाचरण सेठ, सुबोध राय, दिलीप राय, कमरे आलम, खुर्शीद मोहसिन को दो दिन के लिए निलंबित किया गया है.
विधान परिषद की कार्यवाही खत्म होने के बाद भी राबड़ी देवी अपने सदस्यों के साथ धरने पर बैठी रही. राबड़ी को मनाने के लिए जदयू के कई विधान परिषद के सदस्य गये, लेकिन राबड़ी मानने को तैयार नहीं. उनके मनाने के लिए पांच सदस्य सदन के अंदर भी गये, लेकिन राबड़ी देवी नहीं मानी. वहीं, इस मुद्दे पर तेजस्वी का कहना है कि सभापति ने 5 सदस्यों को बिना वजह निलंबित कर दिया है. उनका गलती बस इतना था कि वे सरकार से सवाल पूछ रहे थे. अंतत: सभापति के पुन: हस्तक्षेप के बाद धरना समाप्त हुआ.