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शीतकालीन सत्र : दोनों सदनों में हंगामा, विस 40 मिनट तो परिषद 24 मिनट चली
जनहित से जुड़े किसी अल्पसूचित या तारांकित प्रश्न का नहीं हो सका उत्तर विधान परिषद व विधानसभा की कार्यवाही कर दी गयी स्थगित पटना : विधान परिषद की कार्यवाही गुरुवार को भी हंगामा की भेंट चढ़ गयी. तमाम कोशिशों के बाद भी सदन की कार्यवाही को सुचारु ढंग से संचालित नहीं कराया जा सका और […]
जनहित से जुड़े किसी अल्पसूचित या तारांकित प्रश्न का नहीं हो सका उत्तर
विधान परिषद व विधानसभा की कार्यवाही कर दी गयी स्थगित
पटना : विधान परिषद की कार्यवाही गुरुवार को भी हंगामा की भेंट चढ़ गयी. तमाम कोशिशों के बाद भी सदन की कार्यवाही को सुचारु ढंग से संचालित नहीं कराया जा सका और अंत में विधान परिषद और विधानसभा दोनों को शुक्रवार तक के लिए स्थगित करना पड़ा.
विपक्षी दलों को समझाने और मनाने की तमाम कोशिशें उच्च सदन के सभापति और निम्न सदन के अध्यक्ष के स्तर पर की गयी, लेकिन नतीजा सिफर रहा. गुरुवार को विधान परिषद की दोनों पालियों की कार्यवाही महज 24 मिनट और विधानसभा की दोनों पालियों की कार्यवाही सिर्फ 40 मिनट ही चली. इस दौरान जनहित से जुड़े किसी अल्पसूचित या तारांकित प्रश्न का उत्तर नहीं हो सका. सिर्फ विधायी कार्य ही हुए, जिसमें विधानसभा में दो विधेयक पेश हुए और सीएजी की वित्त और राजस्व से संबंधित रिपोर्ट प्रस्तुत की गयी. दूसरी तरफ विधान परिषद में सिर्फ एक विधेयक पेश हुआ. विधानसभा की कार्यवाही सुबह जैसे ही शुरू हुई नेता प्रतिपक्ष ने अपना माइक बंद करने और सरकार पर विधि-व्यवस्था को लेकर जमकर भड़ास निकाली.
राज्य सरकार को हर मोर्चे पर फेल बताते हुए मुजफ्फरपुर कांड की जांच कराने और इसके मुख्य आरोपित ब्रजेश ठाकुर का कॉल रिकॉर्ड सार्वजनिक करने की मांग की. पहली पाली में तमाम आरोप और प्रत्यारोप के बाद कार्यवाही महज 15 मिनट ही चल सकी. विपक्षी सदस्यों का हंगामा इतना ज्यादा हो गया कि इसे भोजनावकाश तक के लिए स्थगित करना पड़ा. दूसरी पाली में भी सिर्फ 10 मिनट तक ही कार्यवाही चली. इसके बाद पहली बार इसे 4 बजकर 55 मिनट बजे तक के लिए स्थगित करना पड़ा. इसके बाद दूसरी बार जब कार्यवाही शुरू हुई, तो यह 15 मिनट ही चल सकी.
इसके बाद इसे शुक्रवार तक के लिए स्थगित कर दी गयी. विधान परिषद की पहली पाली 14 मिनट और दूसरी पाली 10 मिनट मुश्किल से चल सकी. इसके बाद सभी विपक्षी सदस्य बेल में आकर इतना ज्यादा हंगामा करने लगे कि इसे अगले दिन तक के लिए स्थगित करना पड़ा.
पटना : राजद के निलंबित सदस्यों की सदन में ससम्मान वापसी
पटना : विधान परिषद में गुरुवार को कार्यकारी सभापति मो हारुण रशीद ने राजद के पांच सदस्यों के निलंबन की वापसी की घोषणा की. इसके साथ ही उन सभी सदस्यों को सम्मानपूर्वक नियत स्थान पर बैठाने की सूचना दी.
आसन की ओर से विधान परिषद के सदस्य केदारनाथ पांडेय व दिलीप कुमार चौधरी से राजद के निलंबित सदस्यों को अंदर लाने को कहा. इससे पहले भाकपा के केदार नाथ पांडेय ने बुधवार की घटना के लिए दुख प्रकट करते हुए राजद के मुख्य सचेतक सुबोध कुमार, कमरे आलम, राधाचरण शाह, दिलीप कुमार राय, खुर्शीद मोहम्मद मोहसीन के निलंबन वापसी का प्रस्ताव रखा. सदन के सभी सदस्यों की सहमति पर आसन ने तत्काल प्रभाव से पांचों सदस्यों का निलंबन वापस ले लिया.बुधवार को आसन के सामने प्रदर्शन करने के कारण राजद के पांचों सदस्यों को निलंबित कर दिया गया था.
फिल्म आरपार का गीत, रामचरित मानस और नेहरू की दुहाई
पटना. विधान परिषद में गुरुवार को केदार नाथ पांडेय ने कहा कि आसन और विपक्ष की नोक-झोंक पति-पत्नी की लड़ाई की तरह है. फिल्म आरपार का चर्चित गीत- ये लो जी मैं हारी पिया, हुई तेरी जीत रे ‘, सुनाते हुए कहा कि सदन में पक्ष और विपक्ष में न कोई हारता है और नहीं जीतता है.
हार-जीत तो लोकतंत्र की होती है. सदन में बुधवार की घटना पर खेद प्रकट करते हुए उन्होंने रामचरित मानस की चौपाई ‘प्रीत पुरातन लखै न कोई …’ से सदस्यों काे समझाने की कोशिश की. वहीं, राजद के डाॅ रामचंद्र पूर्वे ने पं. जवाहरलाल नेहरू के भाषण की याद दिलाते हुए कहा कि विपक्ष की आवाज का संज्ञान लेना आसन की प्राथमिकता है.
10463 करोड़ के बिहार विनियोग विधेयक को सदन की मंजूरी
पटना : गुरुवार को विपक्ष के हंगामे के बीच बिहार विधानसभा में वित्तीय वर्ष 2018-19 के लिए बिहार विनियोग (संख्या-4) विधेयक 2018 को मंजूरी दे दी गयी. वित्त विभाग के प्रभारी मंत्री सह उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने विधेयक पेश करते हुए बताया कि इसके तहत द्वितीय अनुपूरक व्यय विवरणी में विभागों को 10,463.1820 करोड़ रुपये की राशि प्रावधान के लिए प्रस्तावित की गयी है.
इसमें 7,601.2701 करोड़ रुपये वार्षिक स्कीम मद में, 2,767.7896 करोड़ रुपये स्थापना एवं प्रतिबद्ध व्यय मद में तथा 94.1223 करोड़ रुपये केंद्रीय क्षेत्र स्कीम मद में मिलेंगे. इसके तहत डीजल अनुदान एवं आकस्मिक फसल योजना हेतु 350 करोड़ रुपये की स्वीकृति दी गयी है. वहीं, राज्य के 24 जिलों के 275 प्रखंडों में सिंचित क्षेत्र के लिए 13500 रुपये प्रति हेक्टेयर एवं असिंचित क्षेत्र के लिए 6800 रुपये प्रति हेक्टेयर अधिकतम दो हेक्टेयर के लिए 1430 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है.
विभागों को इतनी मिली राशि
कृषि 226.44
भवन निर्माण 288.56
सहकारिता 350.13
स्वास्थ्य 965.66
शिक्षा 1780.27
पंचायती राज 170.82
योजना एवं विकास 356.96
ग्रामीण कार्य 500.80
आपदा प्रबंधन 1475.25
ग्रामीण विकास 2200
जल संसाधन 375
समाज कल्याण 552.24
वित्त व राजस्व प्रक्षेत्र की एजी रिपोर्ट पेश
उपमुख्यमंत्री ने सदन में राज्य का वित्त तथा राजस्व प्रक्षेत्र की भारत के नियंत्रक महालेखापरीक्षक (एजी) रिपोर्ट सदन पटल पर रखी. उन्होंने बिहार विद्युत शुल्क अधिनियम 2018 की धारा 22 (3) के तहत निर्गत अधिसूचना तथा बिहार माल और सेवा कर अधिनियम 2017 की धारा 166 के तहत निर्गत अधिसूचनाओं को भी सदन में रखा.
आपदा प्रबंधन मंत्री दिनेश चंद्र यादव ने वित्तीय वर्ष 2018-19 के द्वितीय अनुपूरक व्यय विवरण में सम्मिलित अनुदान की मांग पेश की, जिसे शोर-शराबे के बीच बगैर किसी कटौती प्रस्ताव पारित मान लिया गया. इसके अतिरिक्त अब्दुल बारी सिद्दीकी ने लोक लेखा समिति, श्याम रजक ने एससी-एसटी कल्याण से संबंधित प्रतिवेदन पेश किया.
दूसरे सत्र में महज 20 मिनट चली कार्यवाही, वेल में रहे विपक्षी सदस्य
विधानसभा के दूसरे सत्र में कार्यवाही महज 20 मिनट ही चली. दोपहर दो बजे कार्यवाही शुरू होती ही नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी, अब्दुल बारी सिद्दीकी व आलोक मेहता को छोड़ कर तमाम विपक्षी सदस्य वेल में आ गये और सुशील मोदी के खिलाफ नारे लगाने लगे. हंगामे के बीच ही उपमुख्यमंत्री ने विनियोग विधेयक पढ़ा. हंगामे के बीच में रिपोर्टर टेबुल भी पीटे जाते रहे.
यह देखते हुए करीब 15 मिनट की कार्यवाही के बाद अध्यक्ष ने सदन की कार्यवाही शाम 4.55 बजे तक के लिए स्थगित कर दी. शाम को दोबारा कार्यवाही शुरू होते ही आक्रोशित विपक्षी सदस्य पुन: वेल में आकर हंगामा करने लगे. इस बार उन्होंने रिपोर्टर टेबुल को खींच कर गिराने की भी कोशिश की. शोर-शराबे के बीच कार्रवाई अगले दिन सुबह 11 बजे तक के लिए स्थगित हो गयी.
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