पटना : दो लाख से ज्यादा नियोजित शिक्षकों की जांच लटकी
बोर्ड और विश्वविद्यालयों की लापरवाही बड़ी वजह पटना : राज्य में नियोजित शिक्षकों की बहाली में हुए फर्जीवाड़ा की जांच निगरानी करीब दो साल से कर रही है. परंतु अभी तक यह जांच पूरी नहीं हुई है और इसका एक मुख्य कारण बोर्ड और विश्वविद्यालयों के स्तर पर इसमें सहयोग नहीं करना और लापरवाही बरतना […]
बोर्ड और विश्वविद्यालयों की लापरवाही बड़ी वजह
पटना : राज्य में नियोजित शिक्षकों की बहाली में हुए फर्जीवाड़ा की जांच निगरानी करीब दो साल से कर रही है. परंतु अभी तक यह जांच पूरी नहीं हुई है और इसका एक मुख्य कारण बोर्ड और विश्वविद्यालयों के स्तर पर इसमें सहयोग नहीं करना और लापरवाही बरतना है.
नियोजित शिक्षकों से जुड़े दो लाख 26 हजार से ज्यादा सर्टिफिकेट ऐसे हैं, जिन्हें निगरानी ने अलग-अलग विश्वविद्यालयों और बोर्ड के पास जांच के लिए भेज रखा है. परंतु इनकी जांच करने के बाद इसकी जानकारी निगरानी को वापस नहीं भेजी है. निगरानी ने इन सर्टिफिकेटों की जांच करने के लिए कई महीने पहले ही भेजा था, लेकिन कई बार नोटिस भेजने के बाद भी अभी तक कोई सुनवाई नहीं हुई है.
जिन बोर्ड के पास जांच के लिए सर्टिफिकेट भेजे गये हैं, उनमें बिहार विद्यालय परीक्षा, संस्कृत बोर्ड और मदरसा बोर्ड शामिल हैं. इसके मद्देनजर शिक्षा विभाग ने सभी विश्वविद्यालय और बोर्ड को सख्त निर्देश जारी किया है कि वे जल्द से जल्द इन सर्टिफिकेटों की जांच पूरी करके इनकी सत्यता से संबंधित जानकारी निगरानी को भेजे.
96 हजार शिक्षकों के फोल्डर ही नहीं सौंपे जिलों ने : निगरानी को तीन लाख 52 हजार 555 बहाल हुए नियोजित शिक्षकों के सर्टिफिकेट की जांच का जिम्मा सौंपते हुए इनसे संबंधित दो लाख 55 हजार 980 शिक्षकों के फोल्डर ही अब तक निगरानी को सौंपे गये हैं.
96 हजार 575 शिक्षकों के फोल्डर अब तक निगरानी को सौंपे ही नहीं गये हैं. जिला स्तर पर मौजूदा शिक्षा विभाग के कार्यालय और संबंधित नियोजन इकाईयों की लापरवाही के कारण यह मामला अटका हुआ है. इस मामले में भी शिक्षा विभाग ने अलग से निर्देश जारी करते हुए कहा है कि जल्द से जल्द सभी फोल्डर को निगरानी को मुहैया करा दें.
अब तक 246 एफआईआर : अब तक प्राथमिक, माध्यमिक और उच्च माध्यमिक स्तर पर तैनात नियोजित शिक्षकों के मामले की जांच में निगरानी ने 246 एफआईआर दर्ज करवायी है, जिसमें फर्जी पाये गये 829 फर्जी शिक्षकों को अभियुक्त बनाया गया है.
अब तक की जांच में 748 फर्जी सर्टिफिकेट पाये गये हैं. निगरानी विभाग को अब तक पांच लाख 76 हजार 477 सर्टिफिकेट जांच के लिए सौंपे गये थे, जिसमें तीन लाख 49 हजार 889 सर्टिफिकेट की जांच हुई है. अभी तक दो लाख 26 हजार 558 सर्टिफिकेट पेंडिंग पड़े हुए हैं, जो शिक्षण संस्थानों की लापरवाही के कारण अटकी हुई है.