फुलवारशरीफ : पटना हाईकोर्ट के आदेश के बाद जिला प्रशासन ने सिंचाई विभाग की भूमि पर वर्षों से अतिक्रमण किये लोगों को हटाने का फुलवारी शरीफ में पुरजोर विरोध शुरू हो गया है. बच्चों को लेकर महिलाएं भी सड़क पर उतर आयीं और हारूण नगर के पास पटना-खगौल मुख्यमार्ग (NH-98) को जाम कर आगजनी करने लगे. सिंचाई विभाग के नहर की चाट में बसे लोगों का कहना है कि करीब तीन दशक से अधिक समय से उनका परिवार यहां रहकर गुजर बसर कर रहा है. सरकार ने उनके लिए बिजली पानी, राशन कार्ड, पहचान पत्र भी बनवाया है. वे लोग यहां रहते हुए वोट भी देते रहे हैं, फिर जब उन्हें उजाड़ना है, तो उससे पहले बसाने की व्यवस्था भी होनी चाहिए.
प्रदर्शनकारियों का कहना है कि वे लोग बिजली बिल जमा करते हैं, स्थानीय निकायों को टैक्स देते हैं, फिर भी उन्हें उजाड़ा जा रहा है. वहीं, स्थानीय जानकारों की मानें तो जिस नहर की जमीन को अतिक्रमण मुक्त कराया जा रहा है, उस नहर के पानी से हजारों एकड़ जमीन पर सिंचाई कर खेती-बाड़ी होती थी. शहरीकरण के दौर में खेती समाप्त होने लगी और कॉलोनियां बनने लगीं. धीरे-धीरे लोग नहर को भरकर कब्जा करके बसने लगे. जिस नहर से सिंचाई होती थी, वह नाला बनकर रह गयी. स्थानीय स्तर पर जन प्रतिनिधियों और राजनीतिक दलों ने वोट बैंक के चलते नहर को अतिक्रमण होते देख कर भी अनदेखी करते रहे. इतना ही नही लोगों ने नहर के बीचों बीच मकान और दुकाने तक बना लिये. नेताओं ने अपने फायदे के लिए पीसीसी सड़क भी ढलवा दिया. यह सब सरकार की योजनाओं से ही निर्माण कराया गया, तब किसी सरकार का ध्यान इस ओर नहीं गया कि नहर की जमीन को अतिक्रमण हो रहा है.
जानकारों का यह भी कहना है कि प्रशासन ने पिछले तीन दशक से इस जमीन को अतिक्रमणमुक्त कराने के लिए अब तक कई बार अभियान चलाया, लेकिन बार-बार अतिक्रमण मुक्त कराने के बावजूद लोग दोबारा अतिक्रमण कर लेते हैं.
क्या है पूरा मामला
जिला प्रशासन ने पुलिस कॉलोनी के सामने चित्रगुप्त समाज के आगे आइसीआइसी बैंक से अतिक्रमण हटाने का कार्य शुरू किया. यह अभियान खोजाई इमली तक चलेगा. जिला प्रशासन ने चित्रगुप्त समाज का प्रवेश द्वार, बांउड्री और आसपास के घरों की बांउड्री को घ्वस्त किया. इसके अलावा पचास से अधिक झोपड़ियां, खटाल और फुटपाथों को अतिक्रमणमुक्त कराया गया. अतिक्रमण हटने से नाराज लोगों ने बताया कि अतिक्रमण हटाने से पहले लोगों को विस्थापन सरकार करें, तब अतिक्रमण हटाये. अतिक्रमण के नाम पर कार्रवाई सिर्फ गरीबों पर हो रही है. अतिक्रमण हटने का विरोध करने पर प्रशासन ने कई लोगों को हिरासत में लिया था, बाद में छोड़ दिया. अतिक्रमणमुक्त हटाने के लिए हृदय नारायण ने बताया कि 2003 में कोर्ट में याचिका दायर की थी. सिंचाई विभाग की तीन एकड़ 78 डिसमिल पर सैकड़ों पक्के और झोपड़ीनुमा घर हैं, जो अवैध बसे हुए हैं. मामला पटना हाईकोर्ट में चल रहा है.
इस संबंध में सदर एसडीओ सुहर्ष भगत ने कहा कि पटना हाईकोर्ट के आदेश पर सिंचाई विभाग के 428 नंबर प्लाट जो एक किलोमीटर खोजा इमली मोड़ तक है, अतिक्रमणरियों को हटाया जाना है. थानेदार मनोरंजन भारती ने कहा कि शांतिपूर्वक अतिक्रमण हो हटाया गया है. किसी को हिरासत में नहीं लिया गया है. जिला प्रशासन ने अतिक्रमण हटाने के दौरान चित्रगुप्त समाज का प्रवेश द्वार को भी ध्वस्त कर दिया.