मोतिहारी : स्थानीय नगर भवन मैदान में आयोजित खुला अधिवेशन में राष्ट्रीय लोकसमता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष व केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा ने बिहार सरकार पर जमकर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि हमने जो सपना देखा था, अब देखने से लगता है कि हम पिछले 15 वर्षों में कई मामलों में काफी पीछे चले गये हैँ. विस्तार से चर्चा मुमकिन नहीं है.
उन्होंने कहा कि भेदभाव की मानसिकता में बदलाव की जरूरत है. हम ऐसा समाज चाहते हैं, जहां कोई बड़ा और छोटा ना हो, जीने का साधन प्राप्त करने का सबको समान अवसर हो. पिछले 15 सालों में जो सपना देखा था, तो मेरा पहला ध्यान शिक्षा पर गया. भीमराव आंबेडकर को याद करते हुए उन्होंने कहा कि आंबेडकर ने कहा था कि पहले शिक्षित बनों. आज समाज का बड़ा हिस्सा चाहता है कि वह अपने बच्चों को शिक्षित बनाएं, आज परिवर्तन भी आया है. पढ़ाई को लेकर गरीबों में शिक्षा का अलख जगा है. ठेला चलानेवाले, रिक्शा चलानेवाले और मजदूरी करनेवाले भी अपने बच्चों को शिक्षित कराना चाहते हैं. दुख होता है कि ऐसे लोग अगर अपने बच्चों को अगर चाहे भी कि बेहतर शिक्षा दें, तो कहां जाएं. पैसे वाले लोग सरकारी विद्यालय में अपने बच्चों को नहीं भेजते. आज की सरकार जिन दलितों की बात करती है, उनके पास इतने पैसे नहीं हैं कि वे अपने बच्चों को महंगे निजी विद्यालयों में भेज सकें. सरकारी विद्यालयों में आज अधिकतर शिक्षक ऐसे हैं, जो पत्राचार तक ठीक ढंग से नहीं कर पायेंगे, सौ तक गिनती तक नहीं लिख पायेंगे.
उन्होंने कहा कि स्नातक और स्नातकोत्तर पास करने के बावजूद सरकारी विद्यालयों के कई छात्र पत्राचार तक ठीक से नहीं कर पाते हैं. आज कहा जा रहा है कि शिक्षा में नीतीश मॉडल चलता है. यही मॉडल है कि 100 में शून्य लानेवाला भी टॉपर हो जाता है. आज भी प्रयोगशाला की परीक्षा हो रही है, लेकिन छात्र परखनली को भी आज तक नहीं देखा है. उसे पहचान तक नहीं पाते हैं. अगर यही मॉडल शिक्षा है, तो आंबेडकर का सपना कभी साकार नहीं हो सकता. शिक्षा के बिना कुछ भी नहीं हो सकता. शिक्षा में अगर सुधार नहीं हुआ, तो हमारी पीढ़ी दर पीढ़ी बरबाद होती रहेगी.