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RLSP अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने कैबिनेट मंत्री पद छोड़ने और NDA से अलग होने की घोषणा की, केंद्र और बिहार सरकार पर बरसे

नयी दिल्ली : राष्ट्रीय लोक समता पार्टी के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने सोमवार को कैबिनेट मंत्री के पद से इस्तीफा देने के साथ एनडीए छोड़ने की घोषणा सोमवार को नयी दिल्ली में संवाददाता सम्मेलन आयोजित कर की. पत्रकारों से बात करते हुए उन्होंने केंद्रीय नेतृत्व और भाजपा पर सोशल जस्टिस के एजेंडे से हट कर […]

नयी दिल्ली : राष्ट्रीय लोक समता पार्टी के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने सोमवार को कैबिनेट मंत्री के पद से इस्तीफा देने के साथ एनडीए छोड़ने की घोषणा सोमवार को नयी दिल्ली में संवाददाता सम्मेलन आयोजित कर की. पत्रकारों से बात करते हुए उन्होंने केंद्रीय नेतृत्व और भाजपा पर सोशल जस्टिस के एजेंडे से हट कर आरएसएस के एजेंडे को लागू किये जाने का आरोप लगाया. साथ ही बिहार को लेकर केंद्र और राज्य सरकार पर बरसे. केंद्र सरकार को आड़े हाथ लेते हुए उन्होंने कहा कि बिहार को विशेष पैकेज देने की बात कही गयी थी. लेकिन, आज तक विशेष पैकेज नहीं दिया गया. वहीं, बिहार में कानून व्यवस्था, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और स्वास्थ्य को लेकर भी बरसे.

सोशल जस्टिस के कारण एनडीए में हुए थे शामिल

रालोसपा अध्यक्ष ने कहा कि वर्ष 2014 में जब नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री नहीं बने थे, तब चुनावी सभाओं में कई आश्वासन दिये थे. उन्होंने कहा था कि दलितों, गरीबों और पिछड़ों समेत सभी लोगों को न्याय मिलेगा. हमारी पार्टी भी सोशल जस्टिस का कमिटमेंट रखती है. इसलिए हम एनडीए में शामिल हुए. बिहार के लोगों को काफी उम्मीदें थीं कि बिहार को स्पेशल पैकेज मिलेगा. बिहार के अच्छे दिन आयेंगे. केंद्र में सरकार भी बन गयी, नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री भी बन गये. एनडीए का हिस्सा होने के कारण मैं भी मंत्री बन गया. लेकिन, लोगों की उम्मीदों की कसौटी पर प्रधानमंत्री सफल नहीं हो पाये. बिहार आज भी वहीं खड़ा है, जहां था. आज भी वहां शिक्षा और स्वास्थ्य व्यवस्था चौपट है. कानून व्यवस्था ठप है. सोशल जस्टिस की उम्मीदों पर भी पानी फिरता नजर आ रहा है.

आज ठगा महसूस कर रहा ओबीसी

पिछड़ी जातियों के उत्थान को लेकर जातीय जनगणना की बात उठी थी. एनडीए की सरकार बनी, तो जातीय जनगणना का काम शुरू हुआ, लेकिन वह आज तक पूर्ण नहीं हो सका. बताया गया कि कई गड़बड़ियां सामने आयी हैं. लेकिन, आज तक उसे प्रकाशित किया गया और उसे रोक भी दिया गया. हजारों करोड़ रुपये बरबाद हो गये. जातीय जनगणना अगर पूर्ण होती तो ओबीसी के एजेंडे और कार्यक्रम तय किये जाते. लेकिन, आज ओबीसी ठगा महसूस कर रहा है.

केंद्र सरकार पर बरसे कुशवाहा, कहा- लागू किये जा रहे आरएसएस के एजेंडे

उन्होंने कहा कि सामाजिक न्याय का एजेंडे को छोड़ कर आरएसएस के एजेंडे लागू किये जा रहे हैं. कई यूनिवर्सिटी में आरएसएस के लोगों का कब्जा कराया जाने लगा. हम विभागीय मंत्री थे. पहले छह-सात माह में बहाली होती थी. अदालत में एसएलपी दायर किये जाने के बाद रिक्रूटमेंट रोके जाने तक कई बहाली कर दी गयी. यूनिवर्सिटी को यूनिट नहीं मान कर विभाग को यूनिट मान कर बहाली निकाली जाने लगी.

बिहार सरकार पर बरसे रालोसपा अध्यक्ष

उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि हमने काफी प्रयास किया कि एनडीए में रहते हुए बच्चों, छात्रों, किसानों और बिहार के लोगों की बेहतरी के लिए प्रयास करता रहूं. लेकिन, बिहार में मुख्यमंत्री के साथ भाजपा खड़ी हो गयी. आज बिहार में लॉ एंड ऑर्डर समाप्त है. शिक्षा व्यवस्था चौपट है. मुख्यमंत्री का एजेंडा मेरी पार्टी को बरबाद करने का है. हमारी पार्टी को नुकसान पहुंचाने का काम उसी समय शुरू हो गया था, जब बिहार में भाजपा के साथ जदयू की सरकार बनी. उस समय हमें सरकार में शामिल नहीं किया गया. बिहार सरकार का रवैया भी हमारी पार्टी और ताकत को कमजोर करने का रहा. पहले सरकारी काम में बाधा पहुंचाने का काम किया गया, फिर पार्टी को नुकसान पहुंचाने का काम किया गया. हमें ‘नीच’ तक कहा गया. हमने सिर्फ इतनी ही मांग की थी कि पिछले चुनाव में जितनी सीटों पर हम लड़े थे, उतनी सीटें मिले तो भी हम साथ रहने को तैयार हैं, लेकिन हमारी ताकत को कमजोर करने की कोशिश की गयी. कम सीटों पर हम तैयार हो जाते, तो हम और कम हो जाते. बिहार के लोगों की आवाज मजबूती से नहीं उठा पाते. इसके बावजूद हमने बिहार सरकार के सामने 25 सूत्री मांगे रखी. लेकिन, बिहार सरकार का रवैया सही नहीं रहा.

एनडीए से अलग होने की घोषणा की, कहा- खुले हैं कई रास्ते

रालोसपा अध्यक्ष ने कहा कि पश्चिम चंपारण में हुई पार्टी की बैठक में एनडीए को लेकर फैसला लेने के लिए मुझे अधिकृत किया गया था. इसलिए मैंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपना इस्तीफा भेज दिया है. साथ ही रालोसपा भी अब एनडीए का हिस्सा नहीं रहेगी. अब उनका अगला कदम क्या होगा? पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि हमारे पास तीन रास्ते हैं. हम अभी एनडीए से अलग हो रहे हैं. अभी हमारे पास सभी रास्ते खुले हैं. पहला, हम अकेले भी चुनाव लड़ सकते हैं. दूसरा, हम महागंठबंधन में भी जा सकते हैं. तीसरा, तीसरा मोर्चा भी बना सकते हैं.

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