पटना : आशाकर्मियों ने कहा- मानदेय बढ़ाओ

18 हजार रुपये प्रतिमाह मानदेय की कर रहीं मांग पटना : प्रदेश की आशाकर्मियों ने गुरुवार को पटना के गर्दनीबाग में धरना-प्रदर्शन किया. उनकी 12 सूत्री मांगों में मुख्य रूप से 18000 रुपये प्रतिमाह मानदेय देना शामिल है. इस धरना-प्रदर्शन को विपक्षी नेताओं का समर्थन मिला. वहां बने मंच पर पहुंचकर विपक्षी नेताओं ने प्रदेश […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 14, 2018 8:34 AM
18 हजार रुपये प्रतिमाह मानदेय की कर रहीं मांग
पटना : प्रदेश की आशाकर्मियों ने गुरुवार को पटना के गर्दनीबाग में धरना-प्रदर्शन किया. उनकी 12 सूत्री मांगों में मुख्य रूप से 18000 रुपये प्रतिमाह मानदेय देना शामिल है. इस धरना-प्रदर्शन को विपक्षी नेताओं का समर्थन मिला.
वहां बने मंच पर पहुंचकर विपक्षी नेताओं ने प्रदेश सरकार की आलोचना की. साथ ही मांगें नहीं मानने पर सरकार को खामियाजा भुगतने की चेतावनी दी. इस दो दिवसीय धरना-प्रदर्शन के पहले दिन हजारों की संख्या में आशाकर्मी मौजूद रहीं.
विपक्षी नेताओं ने धरनास्थल पर सभा को संबोधित करते हुए कहा कि यदि आशाकर्मियों की मांगें नहीं मानी गयीं तो बिहार के लोकसभा चुनाव में एनडीए सरकार का भी वही हाल होगा जो पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में हुआ है. उन्होंने आशाकर्मियों को प्रतिमाह 18000 रुपये मानदेय और 9000 रुपये पेंशन दिये जाने सहित सभी 12 सूत्री मांगों को जायज बताया. साथ ही कहा कि आशाकर्मियों के समर्थन में सभी ट्रेड यूनियन आठ और नौ जनवरी 2019 को हड़ताल करेंगे.
क्या है मामला : प्रदेश की करीब 86000 आशाकर्मी अपनी 12 सूत्री मांगों को लेकर एक दिसंबर 2018 से हड़ताल पर हैं. राज्य भर के 95 फीसदी पीएचसी में वे काम नहीं कर रही हैं. यह हड़ताल बिहार राज्य आशा कार्यकर्ता, आशा संघर्ष समिति और बिहार राज्य आशा संघ द्वारा बनाये गये आशा संयुक्त संघर्ष मोर्चा के आह्वान पर किया गया है. इस धरना को भाकपा माले सहित वामदल, बिहार राज्य अराजपत्रित कर्मचारी संघ सहित आशा संयुक्त संघर्ष मोर्चा के नेताओं ने संबोधित किया.
सीडीपीओ कार्यालय पर जड़ा ताला मसौढ़ी. पुनपुन प्रखंड की आंगनबाड़ी सेविका व सहायिकाओं ने गुरुवार को कार्यालय के खुलते ही कार्यालय में ताला जड़ दिया और नारेबाजी करने लगी. बाद में सभी वहीं धरने पर बैठ गयीं. मौके पर विभिन्न वक्ताओं ने आरोप लगाया कि साधिकार व सहायिका बिगत दस दिनों से अपनी मांगों को लेकर हड़ताल पर हैं, जिससे गर्भवती महिलाओं को मिलने वाला पोषाहार समेत अन्य कार्य प्रभावित है.

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