पटना : बदले व्यवस्था, मशीन से हो गटर की सफाई
पटना : प्रदेश में सफाईकर्मियों के कल्याण के लिए राष्ट्रीय सफाई कर्मचारी आयोग के अध्यक्ष मनहर वालजी भाई जाला ने राज्य सरकार को निर्देश दिया है. उन्होंने कहा है कि सफाई कर्मियों को उनके अधिकारों और कर्तव्यों सहित सरकार की नीतियों से अवगत करवाने के लिए प्रत्येक जिले में कार्यशाला का आयोजन होना चाहिए. सफाई […]
पटना : प्रदेश में सफाईकर्मियों के कल्याण के लिए राष्ट्रीय सफाई कर्मचारी आयोग के अध्यक्ष मनहर वालजी भाई जाला ने राज्य सरकार को निर्देश दिया है. उन्होंने कहा है कि सफाई कर्मियों को उनके अधिकारों और कर्तव्यों सहित सरकार की नीतियों से अवगत करवाने के लिए प्रत्येक जिले में कार्यशाला का आयोजन होना चाहिए.
सफाई कर्मियों की समस्याओं के निदान के लिए उन्होंने शुक्रवार को राज्य के मुख्य सचिव दीपक कुमार, डीजीपी केएस द्विवेदी और एससी-एसटी आयोग के सचिव प्रेेम सिंह मीणा सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक की. इस बैठक के बाद पुराना सचिवालय सभागार में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में मनहर वालजी भाई जाला ने कहा कि सफाईकर्मियों ने उनसे गुरुवार को राजकीय अतिथिशाला में मुलाकात की थी.
इसमें मुख्य रूप से नौकरी में स्थायी करना, उनकी समस्याओं की सुनवाई के लिए सेल बनाना, साल में दो बार सेफ्टी किट मिलना आदि शामिल हैं. उन्होंने कहा कि पटना के सफाई कर्मियों को प्रतिदिन 400 रुपये दिया जा रहा है. वहीं न्यूनतम मजदूरी करीब 250 रुपये है.
सफाईकर्मी को गटर में नहीं उतरना पड़े
मनहर वालजी भाई जाला ने कहा कि गटर की सफाई की व्यवस्था बदलनी चाहिए. इसे मशीन से करवाना चाहिए. ऐसी व्यवस्था हो जिससे कि सफाई के लिए इसमें सफाईकर्मी को नहीं उतरना पड़े. साथ ही मशीन से सफाई करने की जिम्मेवारी भी सफाईकर्मियों को ही मिले जिससे कि उनकी रोजी-रोटी न छिने.
उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद वर्ष 1993 से अब तक सीवर डेथ वालों के लोगों के परिजनों को 10-10 लाख रुपये देना है. देश में ऐसे 700 और बिहार में 14 लोग हैं. इनमें से चार लोगों को भुगतान किया जा चुका है.
सिर पर मैला ढोने वालों का सर्वेक्षण: केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय की देखरेख में राष्ट्रीय सफाई कर्मचारी वित्त एवं विकास निगम द्वारा देश के विभिन्न राज्यों के चिन्हित 164 जिलों में सिर पर मैला ढोने वालों का राष्ट्रीय सर्वेक्षण किया जा रहा है. बिहार के 16 जिलों में यह सर्वेक्षण किया जाना है.
सामाजिक, आर्थिक और जाति सर्वेक्षण-2011 के अनुसार बिहार में 7268 मैनुअल स्कैवेन्जर (सिर पर मैला ढोने वाले) थे. वर्ष 2018 की मई, जून और जुलाई में इनके सर्वेक्षण के लिए 15 जिलों में शिविर लगाया गया. अब केवल औरंगाबाद जिले में सर्वेक्षण शिविर आयोजित की जा रही है. अब तक कुल 44 ऐसे शिविर आयोजित हुए हैं.