पटना : सीमावर्ती क्षेत्रों में मचेगी आर्थिक उथल-पुथल, नयी करेंसी पर नेपाल में पाबंदी

फेमा के फेर में फंसे 200, 500 व 2000 रुपये के नोट बिहार के 7 जिलों का नेपाल से सीधा व्यापारिक संबंध सुबोध कुमार नंदन, पटना : नोटबंदी के बाद जारी की गयी नयी करेंसी मसलन 200, 500 व 2000 रुपये के नोटों को नेपाल सरकार ने गैर कानूनी घोषित कर सीमावर्ती इलाकों की बड़ी […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 15, 2018 2:44 AM
  • फेमा के फेर में फंसे 200, 500 व 2000 रुपये के नोट
  • बिहार के 7 जिलों का नेपाल से सीधा व्यापारिक संबंध
सुबोध कुमार नंदन, पटना : नोटबंदी के बाद जारी की गयी नयी करेंसी मसलन 200, 500 व 2000 रुपये के नोटों को नेपाल सरकार ने गैर कानूनी घोषित कर सीमावर्ती इलाकों की बड़ी आबादी को सकते में डाल दिया है. दरअसल बिहार के 7 जिले ऐसे हैं, जिनका नेपाल से सीधा व्यापारिक संबंध हैं. अलबत्ता इसका असर दोतरफा होगा.
नेपाल के इस कदम से बिहार व नेपाल के बीच होने वाले टूरिज्म को भी झटका लग सकता है. विशेषज्ञों के मुताबिक भारतीय लोगों को वहां से व्यापार करना असुविधाजनक होगा.
क्योंकि, उन्हें नेपाल में चलन योग्य करेंसी कलेक्शन में दिक्कत आयेगी. जहां तक नेपाल का सवाल है, उसे भी इसके तमाम साइड इफेक्ट झेलने पड़ सकते हैं.
100 रुपये के नये नोट कम निर्गत हो रहे हैं
नेपाल सीमा से लगे किशनगंज, अररिया, सुपौल, मधुबनी, सीतामढ़ी, पूर्वी और पश्चिमी
चंपारण के आम लोग व कारोबारी परेशान हो सकते हैं. क्योंकि, इन जिलों से बड़ी संख्या में हर दिन नेपाल में जाकर लोग खरीद-बिक्री करते हैं. विशेषज्ञों के मुताबिक अगर भारत की नयी कैरेंसी मसलन 200, 500 व 2000 के नोट चलन में नहीं रहे, तो वहां मुद्रा विनिमय से जुड़ी तमाम दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है.
…दूसरे, भारत में पहले से ही 100 रुपये के नोट बेहद सीमित रह गये हैं. भारतीय रिजर्व बैंक इसका चलन भी कम कर रहा है. 100 रुपये के नये नोट कम निर्गत हो रहे हैं. कुल मिला कर छोटी करेंसी से वर्तमान दौर में व्यापार करना मुश्किल भरा होगा.
नयी करेंसी पर लगी पाबंदी की वजह
इसकी वजह विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (फेमा) है. इस एक्ट के तहत नेपाल में केवल 100 रुपये मूल्य वर्ग तक की भारतीय मुद्रा को वैध माना है. आरबीआई सूत्रों के मुताबिक नेपाल राष्ट्र बैंक (एनआरबी) के पास 500 व 1000 के लगभग 9500 करोड़ भारतीय मुद्रा है.
उसे बदलने के लिए नेपाल सरकार भारतीय रिजर्व बैंक और भारत सरकार पर दबाव बना रही है. लेकिन, भारत सरकार पुराने नोटों के स्रोतों के संदर्भ में जानकारी मांग रही है, तो नेपाल राष्ट्र बैंक जवाब नहीं दे रहा है. भारत का कहना है कि जब सीमित मात्रा (प्रति व्यक्ति केवल पच्चीस हजार ) में करेंसी ले जाने का प्रावधान था, तो इतनी मात्रा में करेंसी नेपाल में जमा कैसे हो गयी?
समझौते के तहत 100 के भारतीय नोट को बदलने की जरूरत नहीं : विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (फेमा) के तहत नेपाल व भूटान में केवल 100 रुपये मूल्य वर्ग तक की भारतीय मुद्रा वैध मानी थी. बाद में दोनों देशों ने 1 जनवरी, 2015 को नयी व्यवस्था दी कि भारत से नेपाल जाने वाला हर
व्यक्ति एक दिन में 25 हजार रुपये ले जा सकता है, जिसमें 1000 व 500 के नोट शामिल होंगे. फेमा के तहत हुए समझौता के तहत 100 के भारतीय नोट को बदलने की जरूरत नहीं है. क्योंकि, नेपाल करेंसी का मूल्य 160 रुपये फिक्स किया था. इसमें अब तक कोई बदलाव नहीं हुआ है.
विशेष फैक्ट फाइल : नेपाल
राष्ट्र बैंक ने 24 नवंबर, 2016 को ही 500 व 1000 रुपये के नये नोटों को अवैध घोषित कर दिया था. जबकि, नेपाल सरकार ने 13 दिसंबर, 2018 को अधिसूचना जारी कर भारत के 500 व 2000 के नये नोटों के प्रयोग की पाबंदी को कानूनी जामा पहना दिया है.
नेपाल में पर्यटन कारोबार को पहुंचेगा नुकसान
नेपाल से सटे वाल्मीकि नगर स्थित ट्रेवल एजेंसी प्रकृति दरबार के प्रमुख साकेत सौरव ने कहा कि नेपाल सरकार ने भारतीय नोटों को अवैध घोषित किया है. यह अधिक दिन तक नहीं चलने वाला है.
क्योंकि, नेपाल की अर्थव्यवस्था टूरिज्म पर टिकी है. खासकर नेपाल जाने वालों में सबसे बड़ी संख्या भारतीयों की होती है. तीन-चार दिनों में ही नेपाल के पर्यटन कारोबार से जुड़े लोग सड़क पा आ जायेंगे. इसे लेकर नेपाल टूरिज्म एसोसिएशन और नेपाल सरकार के बीच बैठक हो रही है.

Next Article

Exit mobile version