राफेल सौदा : RJD से राज्यसभा सांसद मनोज झा अटॉर्नी जनरल के खिलाफ विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव लायेंगे
नयी दिल्ली/पटना : राफेल विमान सौदे पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद भी विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है. दरअसल, सुप्रीम कोर्ट के फैसले में उस हिस्से पर बवाल मचा हुआ है, जिसमें नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) और लोक लेखा समिति (PAC) का जिक्र है. सुप्रीम कोर्ट के फैसले में टाइपिंग […]
नयी दिल्ली/पटना : राफेल विमान सौदे पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद भी विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है. दरअसल, सुप्रीम कोर्ट के फैसले में उस हिस्से पर बवाल मचा हुआ है, जिसमें नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) और लोक लेखा समिति (PAC) का जिक्र है. सुप्रीम कोर्ट के फैसले में टाइपिंग एरर (Typing Error) को दूर करने के लिए सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया है, वहीं अब इसी को लेकर विपक्ष सरकार पर हमलावर है. विपक्ष ने इस पर अटॉर्नी जनरल के खिलाफ विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव लायेगा. इसे लेकर आरजेडी के सांसद मनोज झा अटॉर्नी जनरल के खिलाफ राज्यसभा में विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव लाने की बात कही है.
RJD MP Manoj Jha is moving Privilege Motion in Rajya Sabha against the Attorney General over #RafaleDeal matter. (file pic) pic.twitter.com/Ar5yZKuEyx
— ANI (@ANI) December 16, 2018
वहीं, बीजेपी के ही सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा है कि अंग्रेजी में शुद्ध ड्राफ्ट भी तैयार नहीं किया गया, यह शर्म की बात है. सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा, ‘मीडिया के मुताबिक अटॉर्नी जनरल ने कहा है कि उन्होंने ऐसा नहीं किया, तब किसने इस हलफनामे को तैयार किया? मुझे लगता है कि प्रधानमंत्री को यह पता लगाना चाहिए क्योंकि इससे उन्हें शर्मिंदा किया जाता है. हम एक उचित अंग्रेजी मसौदा भी तैयार नहीं कर सकते हैं, वे इसे हिंदी में भी दे सकते थे.’
Subramanian Swamy: Questions are natural, whenever an affidavit is submitted in a sealed cover… this time by chance they revealed the submissions in judgement otherwise we wouldn’t have come to know. If the judges base their judgement on this, it hampers justice #RafaleVerdict https://t.co/9JCjjqnKTK
— ANI (@ANI) December 16, 2018
सुब्रमण्यम स्वामी का कहना है, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इस मामले में दखल देनी चाहिए, क्योंकि ये चीजें उन्हें शर्मिंदा करती हैं.सुब्रमण्यम स्वामी बोले, अटॉर्नी जनरल कहते हैं कि ऐफिडेविट उन्होंने तैयार नहीं किया तो सवाल उठता है कि आखिर किसने ऐफिडेविट तैयार किया? स्वामी कहते हैं, अगर जज इस एफिडेविट पर निर्णय लेते तो ये फैसले को प्रभावित करता.’
Sitaram Yechury: It’s clear now that govt gave factually incorrect info to SC & they delivered verdict based on it. It should've gone to parliament but went to judiciary instead; it's a breach of constitutional institutions. Only AG can answer, he should be summoned by Parliament pic.twitter.com/Wk01Uc72KK
— ANI (@ANI) December 16, 2018
माकपा के महासचिव सीताराम येचुरी ने कहा, अब यह तो साबित हो गया कि सरकार ने कोर्ट को गलत जानकारी दी थी. इस मुद्दे को न्यायपालिका के बजाय संसद में उठाया जाना चाहिए था. यह संवैधानिक संस्थानों का उल्लंघन है. इन सभी सवालों को जवाब केवल अटॉर्नी जनरल दे सकते हैं. उन्हें संसद द्वारा बुलाया जाना चाहिए.
विदित हो कि शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि विमानों की कीमत का ब्योरा सीएजी से साझा किया जा रहा है और सीएजी ने अपनी रिपोर्ट संसद की पीएसी से साझा की है, जबकि पीएसी के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि उन्हें सीएजी की कोई रिपोर्ट नहीं मिली. वहीं, शनिवार को केंद्र ने शीर्ष अदालत को बताया कि उसके आदेश में जहां सीएजी रिपोर्ट और पीएसी का जिक्र है, वहां उसके नोट की गलत व्याख्या की गयी और नतीजतन, सार्वजनिक तौर पर विवाद पैदा हो गया.