7.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

पटना : घर नहीं लौट पाते एक तिहाई अपहृत बच्चे

पटना : बिहार में मानव तस्करी पुलिस के लिये चुनौती बनी हुई है. यह अपराध की टोकरी है. बच्चे और महिलाएं इसकी सबसे अधिक शिकार हो रही हैं. बच्चाें के अपहरण के करीब 10 हजार मामले (मीसिंग समेत) हर साल दर्ज हो रहे हैं. गया, नवादा में लेबर जबकि सीमावर्ती जिलों में वेश्यावृत्ति के लिये […]

पटना : बिहार में मानव तस्करी पुलिस के लिये चुनौती बनी हुई है. यह अपराध की टोकरी है. बच्चे और महिलाएं इसकी सबसे अधिक शिकार हो रही हैं. बच्चाें के अपहरण के करीब 10 हजार मामले (मीसिंग समेत) हर साल दर्ज हो रहे हैं.

गया, नवादा में लेबर जबकि सीमावर्ती जिलों में वेश्यावृत्ति के लिये मानव तस्करी हो रही है. मानव तस्करी को लेकर सीआइडी, सीसीएचटी और यूनीसेफ द्वारा रविवार को एएन सिन्हा इंस्टीट्यूट आॅफ सोशल स्टडी में राज्य स्तरीय पुलिस कौशल प्रशिक्षण का आयेाजन किया गया. इसमें प्रदेश भर से 40 डीएसपी मुख्यालय 60 इंस्पेक्टर, 60 दारोगा ने हिस्सा लिया. उद्घाटन करते हुए एडीजी सीआइडी विनय कुमार ने बताया कि 10 हजार बच्चों में से एक तिहाई अपने घर नहीं लौट पाते हैं. प्रत्येक जिले में डीएसपी सोशल क्राइम की तैनाती से सामाजिक अपराधों में कमी आयेगी. सोशल क्राइम यूनिट की सीआइडी मानीटरिंग करेगी.

यूनिट द्वारा कमजोर वर्ग से जुड़े केस की जांच, समीक्षा व दिशा-निर्देश दिये जायेंगे. सीआइडी के अधीन सभी जिलों में जुवेनाइल थाना भी खोलने की योजना पर काम चल रहा है. रिटायर्ड आइपीएस पीएम नायर, सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता रविकांत, सीसीएचटी के स्टेट कन्वेनर वाईके गौतम, यूनीसेफ की गार्गी सहाय, जागरण कल्याण भारती के अध्यक्ष संजय कुमार आदि मौजूद रहे.

कार्यशाला में विशेषज्ञों ने मानव तस्करी और सामाजिक अपराधों से जुड़े कानून और रेस्क्यू के तरीकों पर बारीकी से टिप्स दी. इस दौरान उन्होंने पुलिस पदाधिकारियों से विषय से जुड़े सवाल किये तो अधिकांश पदाधिकारी जवाब देने से बच रहे थे. एक एक्सपर्ट ने तो यह तक कह दिया कि मानव तस्करी रोकने के लिये जांच के तरीके से लेकर बरामदगी और सुपुर्दगी की विधि सीखने की जरूरत है.

बिहार में सबसे अधिक बाल श्रमिक गया में

यूनिसेफ की एक रिपोर्ट के अनुसार बिहार अन्य राज्यों में बाल व किशोर श्रम आपूर्ति करने में अग्रणी है. बिहार से हजारों बच्चें किशोर नौकर के रूप में ढाबों, होटलों, कारखानों आदि नियमित रूप से बाल श्रमिक के रूप में काम कर रहे है.

बिहार में सबसे अधिक बाल श्रमिक गया में है. यहां बाल श्रमिक घटना 6.4 प्रतिशत है. 2011 जनगणना के आधार यूनिसेफ ने जो रिपोर्ट तैयार की है उसमें बिहार के 13 जिले में अत्यधिक है. जिसमें गया के अलावा दरभंगा, भोजपुर, अररिया, मुजफ्फरपुर, पूर्वी चंपारण, मधुबनी, नालंदा, पश्चिमी चंपारण, पटना, पूर्णिया, सीतामढ़ी बाल श्रमिकाें की संख्या 55 प्रतिशत है.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें