चक्रवाती तूफान का असर : सोमवार को दिन भर छाये रहे बादल, अगले दो दिनों तक यही हाल
पटना : फेथाई समुद्री चक्रवाती तूफान का असर सोमवार को राजधानी सहित आसपास के क्षेत्रों में देखने को मिला. इस दौरान पूरे शहर में बादल छाये रहे. सुबह के कुछ घंटे हल्के धूप-छांव का खेल चला. इसके बाद दोपहर से पूरे दिन बादल छाये रहे. वहीं, देर शाम बादलों का घनत्व बढ़ गया. इससे कुछ […]
पटना : फेथाई समुद्री चक्रवाती तूफान का असर सोमवार को राजधानी सहित आसपास के क्षेत्रों में देखने को मिला. इस दौरान पूरे शहर में बादल छाये रहे. सुबह के कुछ घंटे हल्के धूप-छांव का खेल चला. इसके बाद दोपहर से पूरे दिन बादल छाये रहे. वहीं, देर शाम बादलों का घनत्व बढ़ गया. इससे कुछ एक जगहों पर बेहद मामूली हल्की बूंदा बांदी भी हुई.
मौसम केंद्र की मानें तो अास-पास के कुछ क्षेत्रों के भी हल्की बूंदें गिरी. वहीं दूसरी तरफ शहर के अधिकतम तापमान में भी गिरावट आयी. शहर का अधिकतम तापमान सामान्य से दो डिग्री कम 22 डिग्री दर्ज किया गया, जबकि न्यूनतम तापमान में तीन डिग्री की वृद्धि हुई, 13.6 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया.
मंगलवार को भी रहेगा असर
मौसम विज्ञान केंद्र के अनुसार अगले दो दिनों तक समुद्री चक्रवाती तूफान का राजधानी पटना सहित आसपास के क्षेत्रों में असर देखने को मिलेगा. इस दौरान बुधवार तक बादल छाये रहेंगे, जबकि मंगलवार को कुछ एक जगहों पर हल्की बारिश हो जाये. वहीं, अधिकतम तापमान में भी गिरावट आयेगी.
अधिकतम तापमान 20 डिग्री तक पहुंच सकता है. इससे दिन में अपेक्षाकृत अधिक ठंडक लगेगी, हालांकि न्यूनतम तापमान में वृद्धि रहने से रात में तापमान नहीं गिरेगा. अगर बारिश हुई तो मौसम साफ हो जायेगा. बुधवार के बाद या बुधवार से ही धूप निकलने की संभावना है.
ठंडक के लिए 10 दिनों से अधिक का इंतजार
जाड़े के मौसम की शुरुआत होने के बाद सोमवार को पहली बार पूरे दिन बादल छाये रहे. भले ही अभी कड़ाके के ठंडक शुरू नहीं हुई है, मगर ऐसे बदलाव से जाड़े के मौसम का एहसास हो गया. वैज्ञानिकों की मानें तो कड़ाके की ठंडक के लिए अभी 10 दिनों से अधिक का इंतजार करना होगा.
पटना : कोहरे वाले दिन बढ़े, समयावधि घटी
पटना : बिहार में वर्ष 2008 से पहले तक दिसंबर और जनवरी के महीने में औसतन क्रमश: 15 और 20 दिन कोहरा लगता था, जबकि पिछले 10 सालों में कोहरे के औसत दिनों की संख्या करीब 25 तक पहुंच गयी है.
हालांकि दोपहर में कोहरे वाले दिनों की संख्या घटकर दाे तक सिमट चुकी है. यानी एक तरफ कोहरे के दिन बढ़ रहे हैं, लेकिन उसकी समयावधि लगातार घट रही है.
डॉ राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय के मौसम प्रकोष्ठ के मुताबिक कोहरे के विरोधाभासी ट्रेंड के चलते खेती पर असर पड़ा है. दरअसल पाला पड़ने के घटनाक्रम बढ़े हैं. कृषि विज्ञानी इसको लेकर चिंतित हैं. केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय की आधिकारिक जानकारी के मुताबिक बिहार में सबसे ज्यादा कोहरा जनवरी में पड़ता रहा है.
- बढ़े कोहरे के दिन, पिछले 10 सालों में कोहरे के औसत दिनों की संख्या में इजाफा
- पाला पड़ने में हुआ इजाफा
- दूध उत्पादन पर भी असर पड़ने की आशंका
क्या होगा इसका असर
कोहरे के दिन बढ़ने और दोपहर में धूप निकलने से पाला बढ़ने की आशंका कई गुना अधिक हो जाती है. ऐसे हालात में दुधारू पशुओं के दूध में कमी और आलू पर कीट प्रकोप कई गुना बढ़ जाता है.
सुबह कोहरे वाले दिनों की संख्या में लगातार हो रहे इजाफे की वजह पछुआ हवाएं हैं, जिनका असर बिहार में पहले से अधिक हुआ है. इसकी वजह जलवायु परिवर्तन है.
-डॉ ए सत्तार, वरिष्ठ मौसम विश्लेषक,
डॉ राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय