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पटना : परंपरागत खेती से हटकर बागवानी कर रहे किसान, स्ट्राबेरी व ड्रैगन फ्रूट की खेती में भी बढ़ी दिलचस्पी
पटना : सरकारी स्तर पर बागवानी को बढ़ावा देने का असर दिखने लगा है. परंपरागत फलों के साथ-साथ यहां के गैर परंपरागत फलों की खेती में भी किसान दिलचस्पी दिखा रहे हैं. पिछले पांच-छह वर्षों के भीतर राज्य में खासकर आम व केले के खेती का रकबा बढ़ा है. इसके अलावा किसान स्ट्राबेरी, अन्नानास व […]
पटना : सरकारी स्तर पर बागवानी को बढ़ावा देने का असर दिखने लगा है. परंपरागत फलों के साथ-साथ यहां के गैर परंपरागत फलों की खेती में भी किसान दिलचस्पी दिखा रहे हैं. पिछले पांच-छह वर्षों के भीतर राज्य में खासकर आम व केले के खेती का रकबा बढ़ा है. इसके अलावा किसान स्ट्राबेरी, अन्नानास व ड्रैगन फ्रूट की भी खेती करनी शुरू की है. हालांकि, अभी यह प्रारंभिक अवस्था में है. अमरूद के उत्पादन में काफी बढ़ोतरी हुई है.
सरकार बागवानी को बढ़ावा देने के लिए कई तरह की योजना चला रही हैं तथा अनुदान उपलब्ध करा रही है. राज्य की मुख्य बागवानी फसलों में आम, केला और लीची है. इसके अलावे मौसमी फलों की खेती भी होती है. आम और लीची की खेती के लिए बिहार की अलग पहचान भी है. इन सबके अलावा किसानों ने यहां गैर परंपरागत फलों की खेती की तरफ कदम बढ़ाया है.
साल 2011-12 में राज्य में कुल 2.99 लाख हेक्टेयर में बागवानी होती थी, जो साल 2017-18 में बढ़कर 3.07 लाख हेक्टेयर हो गयी. फलों की खेती का तो रकबा बढ़ा ही है साथ ही उत्पादन में भी बढ़ोतरी हुई है. खासकर अमरूद के उत्पादन में काफी इजाफा हुआ है.
इसके अलावा आम व केले की बागवानी में किसानों की रुचि बढ़ी है. साल 11-12 में राज्य में 32 हजार हेक्टेयर में केले की खेती होती थी जो 2016-17 बढ़कर 35 हजार हेक्टेयर हो गयी. इसी प्रकार साल 2011-12 में 1.47 लाख हेक्टेयर में आम की खेती होती थी, जो साल 2017-18 में बढ़कर 1.50 लाख हेक्टेयर हो गयी.
राज्य में आम व केले की खेती का रकबा भी बढ़ा
सूबे के किसान यहां की परंपरागत फसलों के अलावा गैर परंपरागत फसलों की खेती भी करने लगे हैं. हालांकि, अभी यह बड़े पैमाने पर नहीं हो रहा है. लेकिन, किसानों की दिलचस्पी बढ़ रही है. अन्नानास की खेती किशनगंज में तो भोजपुर, बक्सर, औरंगाबाद, सुपौल और किशनगंज आदि में स्ट्राबेरी की खेती हो रही है. इसके अलावा ड्रैगन फ्रूट की खेती शुरू हुई है. एक सरकारी आंकड़े के अनुसार राज्य में साल 2012-13 से साल 2016-17 के बीच उत्पादन में सर्वाधिक बढ़ोतरी करीब 9.13 फीसदी अमरूद में हुई है.
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