पटना : ओबीसी की गिनती होने पर निकल आयेगी सभी जातियों की संख्या
शशिभूषण कुंअर एससी-एसटी व धार्मिक अल्पसंख्यक समुदाय की अब तक होती रही है गिनती पटना : 2021 की जनगणना में ओबीसी (पिछड़ा-अति पिछड़ा) की सभी जातियों की गिनती होने पर दूसरी तमाम जातियों की संख्या सामने आ जायेगी. केंद्र ने पहली बार ओबीसी की जातियों की गणना का फैसला किया है. अब तक अनुसूचित जातियों, […]
शशिभूषण कुंअर
एससी-एसटी व धार्मिक अल्पसंख्यक समुदाय की अब तक होती रही है गिनती
पटना : 2021 की जनगणना में ओबीसी (पिछड़ा-अति पिछड़ा) की सभी जातियों की गिनती होने पर दूसरी तमाम जातियों की संख्या सामने आ जायेगी. केंद्र ने पहली बार ओबीसी की जातियों की गणना का फैसला किया है. अब तक अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और धार्मिक अल्पसंख्यक समुदाय की जातियों की गिनती होती रही है. अब ओबीसी की गिनती होने पर सवर्ण जातियों का आंकड़ा भी निकल आयेगा.
1931 के बाद पहली बार ओबीसी की गणना की पहल की गयी है. जातियों के संबंध में सबसे प्रामाणिक पुस्तक कुमार सुरेश सिंह की संपादित पीपुल ऑफ इंडिया सीरीज है. इसी सीरीज के तहत बिहार-झारखंड की जातियों (कास्ट एंड कम्युनिटिज) का अध्ययन प्रो सुरेंद्र गोपाल और प्रो हेतुकर झा ने किया था. इस अध्ययन के मुताबिक अविभाजित बिहार में सभी जातियों की संख्या 246 है. हालांकि, उसके पहले अंग्रेज समाजशास्त्री रिजले ने देश में सभी जातियों की संख्या 700 बतायी थी.
इधर पूर्व विधान पार्षद और जातियों पर अध्ययन करने वाले उदयकांत चौधरी ने बताया कि अति पिछड़ी जातियों की संख्या 115 और पिछड़ी जातियों की संख्या 22 है.
आजादी के बाद 1951 से शुरू हुई जनगणना में अनुसूचित जाति वर्ग में शामिल सभी जातियों और अनुसूचित जनजाति वर्ग की सभी जातियों की जनगणना होती है. इनकी गणना 2011 की जनगणना में भी हुई है. इसी तरह से धार्मिक अल्पसंख्यकों समुदायों में मुसलमानों, जैन और बौद्ध धर्म के अंदर आनेवाली सभी जातियों की भी गणना की जाती है. जनगणना में शेष जातियों की गणना नहीं होती है.
अब ओबीसी, एससी, एसटी, अल्पसंख्यकों की गणना का काम पूरा हो जाता है, तो स्वत: सवर्ण जातियों के आंकड़े भी सामने आ जायेंगे. पिछले दिनों केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने भले ओबीसी की जनगणना कराने की घोषणा की थी, पर रजिस्ट्रार जनरल ऑफ इंडिया की ओर से इसकी अधिसूचना जारी नहीं की गयी है. यह प्रक्रिया तब पूरी होगी, जब जगणगना से जुड़ी प्रश्नावली को संसद के दोनों सदनों से मंजूरी मिल जायेगी. हालांकि, चुनावी वर्ष होने के चलते इसमें पेंच भी कम नहीं माना जा रहा है.