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केंद्रीय मंत्री गिरिराज ट्वीट कर बताया- शुभ संकेत! अयोध्या आनेवाले हैं हनुमान, …जानें ”हनुमान” को किन-किन लोगों ने क्या कहा?

पटना : हनुमान को लेकर राजनीति छिड़ी है. हनुमान की जाति को लेकर छिड़े विवाद के बीच केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने ट्वीट कर विपक्षियों पर ‘हनुमान’ हमला किया है. इससे पहले कई कांग्रेस नेताओं ने हनुमान को लेकर भाजपा पर निशाना साध चुके हैं. हनुमान को आदिवासी, वनवासी, निर्वासी, दलित, वंचित, मुसलिम, जाट, किसान, […]

पटना : हनुमान को लेकर राजनीति छिड़ी है. हनुमान की जाति को लेकर छिड़े विवाद के बीच केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने ट्वीट कर विपक्षियों पर ‘हनुमान’ हमला किया है. इससे पहले कई कांग्रेस नेताओं ने हनुमान को लेकर भाजपा पर निशाना साध चुके हैं. हनुमान को आदिवासी, वनवासी, निर्वासी, दलित, वंचित, मुसलिम, जाट, किसान, क्षत्रिय बनाया जा चुका है. यही नहीं, उत्तर प्रदेश में सवर्ण पिछड़ा वर्ग एकता मंच ने तो जाति प्रमाण पत्र जारी करने की मांग कर दी है.

केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने ट्वीट कर कहा है कि ”प्रभु राम भक्त हनुमान किसी विवाद के विषय नहीं हैं. आज सभी जात-पात-धर्म के लोगों की जुबान पर हनुमान हैं.” साथ ही उन्होंने कहा है कि ”हमारे आराध्य हनुमान को मुसलिम भी स्वीकारने लगे हैं. इस तरह वो खुद को श्रीराम के वंशज मानने लगे हैं. इस शुभ संकेत का मतलब है कि हनुमान जी के साथ प्रभु राम भी अयोध्या आनेवाले हैं.”

उत्तर प्रदेश में मांगा गया जाति प्रमाण पत्र

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में हनुमान जी का जाति प्रमाण पत्र मांगा गया है. इसके लिए बाकायदा आवेदन किया गया है. जिला मुख्यालय पर प्रगतिशील समाजवादी पार्टी सवर्ण पिछड़ा समान अधिकार मंच ने बजरंगबली के जाति प्रमाण पत्र की मांग की है. इसके लिए कार्यकर्ताओं ने बाकायदा जाति प्रमाण पत्र प्राप्त करने का आवेदन फॉर्म भर कर जमा किया है. कार्यकर्ताओं ने आवेदन फॉर्म में वांछित जानकारी भी भरी है. जैसे- बजरंगबली के पिता का नाम महाराज केशरी, जाति में वनवासी आदि भरा हुआ है. आवेदन में पुराणों के आधार पर माता का नाम अंजनी, पिता का नाम केसरी और जाति क्षत्रिय लिखी गयी है. अब तहसील प्रशासन को फैसला लेना है कि जाति प्रमाण जारी होगा या नहीं. यदि जारी होगा, तो किस जाति को होगा.

हनुमान को किन-किन लोगों ने क्या कहा?

”बीजेपी वालों को ये समझ लेना चाहिए कि देखो ज्‍यादा मत छेड़ो हनुमान जी को, उनकी पूंछ के वार से तीन प्रदेश तो चले गये हैं, अब तुम्‍हारी लंका में आग लगने वाली है.” राज बब्बर, कांग्रेस नेता व बॉलीवुड अभिनेता

”हनुमानजी को लेकर अनर्गल बहस की शुरुआत उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बजरंग बली को दलित कहकर की थी. इसके बाद अन्य भाजपा नेताओं ने बजरंग बली को मुसलमान और जाट भी बता दिया. हम हनुमानजी को भगवान शंकर का अवतार मानते हैं, लेकिन भाजपा नेता हनुमानजी को भी जाति-धर्म के मामले में घसीट रहे हैं. आखिर ये नेता किस धर्म का पालन कर रहे हैं?” दिग्विजय सिंह, वरिष्ठ कांग्रेस नेता व पूर्व मुख्यमंत्री, मध्यप्रदेश

”बजरंगबली एक ऐसे लोक देवता हैं, जो स्वंय वनवासी हैं, निर्वासी हैं, दलित हैं, वंचित हैं. भारतीय समुदाय को उत्तर से लेकर दक्षिण तक पुरब से पश्चिम तक सबको जोड़ने का काम बजरंगबली करते हैं.”

योगी आदित्यनाथ, मुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश

”हनुमन जी आर्य थे. भगवान राम और हनुमान जी के युग में कोई जाति व्यवस्था नहीं थी. इसलिए हनुमान जी आर्य थे.” सत्यपाल मलिक, केंद्रीय मंत्री

”हनुमान जी मुसलमान थे. इसलिए मुसलमानों में जो नाम रखे जाते हैं- रहमान, रमजान, फरमान, जीशान, कुर्बान, जितने भी नाम रखे जाते है, वे करीब-करीब उन्हीं पर रखे जाते हैं.” बुक्कल नवाब, विधायक, भाजपा

”हनुमान देवता हैं. भगवान हैं और मैं उन्हें भगवान ही मानता हूं. मैं खिलाड़ी हूं और सभी खिलाड़ी शक्ति की आराधाना करते हैं. हनुमानजी शक्ति और सामर्थ्य का प्रतीक हैं. वह पहलवानी भी करते थे और खिलाड़ी थे. सभी पहलवान उनकी आराधना करते हैं. इसलिए हनुमान जी मेरे लिए भगवान हैं. मैं उन्हें जाति के आधार पर बांटना नहीं चाहता.” चेतन चौहान, पूर्व क्रिकेटर एवं खेल मंत्री, उत्तर प्रदेश

”हनुमान जी जाट थे. क्योंकि, किसी को भी परेशानी या फिर मुश्किल में पड़ा देखकर जाट किसी को जाने बिना भी बचाने के लिए कूद पड़ता है.” चौधरी लक्ष्मी नारायण, मंत्री, उत्तर प्रदेश

”भगवान राम और कृष्ण भी ठाकुर थे. अधिकांश ऋ षि मुनि भी ठाकुर थे. जो त्याग, तपस्या और बलिदान करे, वही ठाकुर है. हनुमान जी किसान भी थे, जिन्होंने धनी रावण के खिलाफ लड़ाई लड़ी.” सुनील सिंह, राष्ट्रीय अध्यक्ष, लोकदल

”आदिवासियों के बीच हनुमान एक गोत्र था और इसलिए वह दलित नहीं थे.” नंद कुमार साय, अध्यक्ष, राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग

”भगवान हनुमान मनुवादी लोगों के गुलाम थे.” सावित्री बाई फुले, सांसद, बहराइच, उत्तर प्रदेश

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