100 में से 90 बच्चियां नहीं बतातीं सोशल मीडिया की परेशानी, जरा-सी बरतेंगे सावधानी, तो बच सकते हैं मुसीबतों से

पटना : स्मार्टफोन के बढ़ते चलन से 100 में से 90 लड़कियां सोशल मीडिया पर अपने साथ होने वाली परेशानियों को शेयर नहीं करतीं. 13-15 साल की लड़कियों के लिए कराये गये एक जागरूकता कार्यक्रम में इसका खुलासा हुआ. बच्चियों ने स्वीकार किया कि व्हाट्सएप और फेसबुक के माध्यम से उनके साथ कहीं न कहीं […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 27, 2018 7:03 AM
पटना : स्मार्टफोन के बढ़ते चलन से 100 में से 90 लड़कियां सोशल मीडिया पर अपने साथ होने वाली परेशानियों को शेयर नहीं करतीं. 13-15 साल की लड़कियों के लिए कराये गये एक जागरूकता कार्यक्रम में इसका खुलासा हुआ.
बच्चियों ने स्वीकार किया कि व्हाट्सएप और फेसबुक के माध्यम से उनके साथ कहीं न कहीं कुछ ऐसी हरकत हुई है, जिससे उनको दुख पहुंचा है. उधर, भारत में सबसे ज्यादा व्हाट्सएप, इसके बाद फेसबुक का उपयोग यूजर करते हैं.
नये साल में चलेगा महा अभियान : स्मार्ट फोन की वजह से होने वाली परेशानियों से बचने का एक ही तरीका है, वह है जागरूकता. सतर्क रहकर खुद को तमाम परेशानियों से बचाया जा सकता है.
आर्थिक अपराध इकाई (इओयू) ने बड़े स्तर पर योजना बनायी है. नये साल में युद्ध स्तर पर आमजन को जागरूक किया जायेगा. खास बात यह है कि इसके दायरे में आठ से स्नातक कक्षा तक के विद्यार्थियों को भी शामिल किया जायेगा. इसके बाद कामकाजी महिलाओं ही नहीं, गृहणियों के साथ ही बुजुर्गों को भी साइबर क्राइम से संबंधित बातों से रूबरू कराया जायेगा. बुजुर्गों के साथ फोन कॉल, एटीएम आदि के माध्यम से साइबर अपराध को अंजाम दिया जा रहा है.
सोशल मीडिया का प्लेटफाॅर्म हो या ऑनलाइन कोई और प्लेटफाॅर्म. महिलाएं और बच्चियां भी खूब छली जा रही हैं. इसलिए सरकार ने एक-एक बारीकियों से अवगत कराने की योजना बनायी है. सरकार यह भी मानती है कि बड़ों से ज्यादा बच्चों को जागरूक करना आसान है. टिप्स देना आसान है.
70 फीसदी छात्राओं का है फेसबुक अकाउंट
एक स्कूल में जागरूकता कार्यक्रम के दौरान पता चला कि कक्षा आठ की 70 फीसदी छात्राओं का अकाउंट फेसबुक पर है. वह व्हाट्सएप का धड़ल्ले से इस्तेमाल करती हैं. जानकार बताते हैं कि सोशल मीडिया या स्मार्ट फोन की अब अनदेखी नहीं की जा सकती.
क्या करें, क्या न करें
सबसे पहले तो सोशल मीडिया पर अपनी निजी तस्वीरें डालने से बचें. उनका कोई भी इस्तेमाल कर सकता है.
अगर फिर भी आप तस्वीरें डालना चाहते हैं तो अपने ​फेसबुक अकाउंट पर प्राइवेसी सेटिंग्स को पब्लिक न करें.
अपने नाम के बारे में गूगल पर हमेशा सर्च करते रहें, ताकि आपको पता रहे कि आपका नाम कहां पर और किस-किस वेबसाइट पर आ रहा है.
अगर किसी गलत जगह पर या ऐसी जगह पर आपको नाम दिखाई देता है, जिसकी अनुमति आपने नहीं दी है, तो उसे तुरंत हटाने के लिए कह सकते हैं.
ट्विटर के ऊपर बिल्कुल भी निजी तस्वीरें न डालें. यह एक सोशल नेटवर्किंग साइट नहीं है, यह एक ट्विटिंग प्लेटफॉर्म है.
ट्विटर पर ऐसी सेटिंग्स की जा सकती है कि आपकी अनुमति के बिना लोग आपको फॉलो न कर सकें.
अगर आप किसी समस्या में फंस भी जाते हैं
तो घबराएं नहीं, बल्कि पुलिस को इसकी जानकारी दें.
यह भी जानें
सबसे ज्यादा साइबर अपराध फेसबुक के माध्यम होते हैं.
60-65 प्रतिशत साइबर अपराध फेसबुक से होते हैं.
15-20 प्रतिशत साइबर अपराध के लिए व्हाट्सएप और ट्विटर बनता है माध्यम.
एनसीआरबी के मुताबिक, 2013 के मुकाबले 2016 में साइबर अपराधों के ग्राफ में 116% की उछाल आयी.
चार सालों में 553% की रफ्तार से सोशल मीडिया पर अपराध बढ़े.
हर तीसरा केस सोशल मीडिया से जुड़ा होता है.

Next Article

Exit mobile version