DGP के पत्र को लेकर विपक्षी दलों के नेताओं ने सरकार पर बोला हमला, कहा- ”दावे पर लगी मुहर”
पटना : बिहार पुलिस के मुखिया का अपने अधीनस्थों को पत्र लिखे जाने के बाद से एक ओर जहां हड़कंप मच गया है, वहीं दूसरी ओर विपक्षी पर्टियों को बैठे-बिठाये सरकार पर हमला करने का मुद्दा दे दिया है. राजद नेता व बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव और कांग्रेस नेता व विधान पार्षद […]
पटना : बिहार पुलिस के मुखिया का अपने अधीनस्थों को पत्र लिखे जाने के बाद से एक ओर जहां हड़कंप मच गया है, वहीं दूसरी ओर विपक्षी पर्टियों को बैठे-बिठाये सरकार पर हमला करने का मुद्दा दे दिया है. राजद नेता व बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव और कांग्रेस नेता व विधान पार्षद प्रेमचंद मिश्रा ने सरकार पर हमला बोला है.
राजद नेता तेजस्वी यादव ने भी बिहार के डीजीपी द्वारा सूबे की पुलिस की कार्यशैली पर सवाल उठाये जाने पर कहा है कि ‘उन्होंने (डीजपीपी ने) मेरे दावे पर मुहर लगायी है कि पुलिस स्टेशनों को सीएम सह गृह मंत्री नीतीश कुमार द्वारा सीधे तस्करों और अपराधियों के साथ सांठगांठ में सबसे अधिक बोली लगानेवालों को नीलाम किया जाता है.’ साथ ही उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा है कि ‘क्या यह नहीं है?’
कांग्रेस नेता व बिहार विधानसभा पार्षद प्रेमचंद मिश्रा ने कहा है कि डीजीपी ने जिला पुलिस कप्तानों को दोबारा लेटर लिखा है. दोबारा लेटर लिखने का आशय स्पष्ट है कि पहले लिखे गये लेटर में उन्होंने जो निर्देश दिया था, उस पर किसी अधिकारी-पदाधिकारी ने संज्ञान नहीं लिया. इससे स्पष्ट है कि बिहार में पुलिस प्रशासन पूरी तरह से डीजीपी के निर्देश की अनदेखी कर रही है. साथ ही उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा कि डीजीपी अगर अपराध को लेकर बेबस दिख रहे हैं, तो पद पर क्यों बने हैँ? ऐसे बेबस डीजीपी को इस्तीफा दे देना चाहिए.
क्या है मामला?
बिहार के डीजीपी डीजीपी केएस द्विवेदी द्वारा अपने अधीनस्थों को पत्र लिखे जाने के बाद से हड़कंप मच गया है. डीजीपी ने अपने पत्र में कहा है कि रात की कौन कहे, दिन में भी पुलिस गश्ती नहीं करती है. इस कारण अपराधी दिन में ही वारदात को अंजाम देकर फरार हो जा रहे हैं. उन्होंने पत्र के जरिये अफसरों को मुश्तैद ड्यूटी करने और कानून का राज बहाल करने का निर्देश दिया है. डीजीपी ने कहा है कि अपराधियों के मनोबल में कमी नहीं आयी है. मालूम हो कि डीजीपी ने इसी साल मार्च में शराब, हथियार और प्रतिबंधित वस्तुओं की रोकथाम के लिए नाकेबंदी का सुझाव देते हुए पत्र लिखा था. जिस पर पूर्ण रूप से अमल नहीं किया गया.