मिशन – 2019 : वाल्मीकिनगर में राजनीतिक हलचल तेज, लोकसभा की सीट को लेकर जदयू-भाजपा आमने – सामने
मिथिलेश, पटना : लोकसभा चुनाव को लेकर वाल्मीकिनगर में राजनीतिक चहल-पहल तेज हो गयी है. पश्चिमी चंपारण की इस महत्वपूर्ण सीट पर अभी भाजपा का कब्जा है. सतीश चंद्र दुबे यहां से सांसद हैं. चुनाव की घोषणा होने में मात्र दो से ढाई माह बाकी है, पर अब तक दोनों ही गठबंधन में कोई एक […]
मिथिलेश, पटना : लोकसभा चुनाव को लेकर वाल्मीकिनगर में राजनीतिक चहल-पहल तेज हो गयी है. पश्चिमी चंपारण की इस महत्वपूर्ण सीट पर अभी भाजपा का कब्जा है. सतीश चंद्र दुबे यहां से सांसद हैं. चुनाव की घोषणा होने में मात्र दो से ढाई माह बाकी है, पर अब तक दोनों ही गठबंधन में कोई एक नाम पर सहमति नहीं बन पायी है. ब्राह्मण बहुल इस सीट को भाजपा हर हाल में अपने पास रखना चाहती है.
ब्राह्मण उम्मीदवार देकर चंपारण की दूसरी सीट बेतिया और मोतिहारी में भी राजनीतिक लाभ उसे मिलता रहा है. लेकिन, इस बार परिस्थितियां बदली हुई हैं. सूत्र बताते हैं कि भाजपा ने जदयू के लिए जो 17 सीटें छोड़ी हैं, उसमें एक वाल्मीकिनगर भी शामिल हैं.
जदयू का दावा है कि यह सीट शुरू से ही समाजवादी चरित्र का रहा है. भाजपा में भी टिकट के दो प्रबल दावेदार हैं. एक मौजूदा सांसद सतीश चंद्र दुबे का है, जो अपनी सीट बचाने की हर संभव कोशिश कर रहे हैं.
दूसरी ओर इस सीट पर भाजपा के बगहा विधायक आरएस पांडेय की भी नजर है. केंद्र सरकार में पेट्रोलियम सचिव के पद से रिटायर्ड पांडेय ने वाल्मीकि विचार मंच गठित कर इलाके में स्वास्थ्य शिविर और विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से अपने को और सक्रिय किया है. महागठबंधन में पिछली दफा यह सीट कांग्रेस की झोली में गयी थी.
कांग्रेस ने पूर्व मंत्री पूर्णमासी राम को अपना उम्मीदवार बनाया था. इस बार भी उम्मीद जतायी जा रही है कि यह सीट कांग्रेस के पास ही रह जाये. कांग्रेस से दूसरे दावेदार के नाम के रूप में बार काउंसिल आॅफ इंडिया के चेयरमैन मनन कुमार मिश्र के नाम की भी चर्चा है.
वाल्मीकिनगर में हैं छह विधानसभा क्षेत्र
1. वाल्मीकिनगर 2. रामनगर 3. नरकटियागंज 4. बगहा 5. लौरिया 6. सिकटा
भाजपा उम्मीदवार को मिले थे 363860 वाेट
2014 के आम चुनाव में भाजपा उम्मीदवार को 363860 वाेट मिले थे. वहीं, दूसरे स्थान पर रहे पूर्णमासी राम को 246116 वोट प्राप्त हुए. जबकि, वैद्यनाथ प्रसाद महतो तीसरे स्थान पर रहे थे और उन्हें एक लाख से कम ही वोट मिले. जदयू में दूसरे उम्मीदवार के नाम की भी चर्चा है.
इसके पहले परिसीमन के बाद के तत्काल बाद हुए 2009 के चुनाव में जदयू का यहां कब्जा रहा था. परिसीमन के पूर्व यह सीट बगहा सुरक्षित के नाम से जाना जाता था. 1984 के बाद से इस सीट पर जनता दल परिवार का कब्जा रहा है.
1989, 1991, 1996 और 1998 में समता पार्टी के टिकट पर और 1999 में जदयू के टिकट पर महेंद्र बैठा यहां से सांसद निर्वाचित होते आये. 2004 के चुनाव में भी जदयू को यहां सफलता मिली और कैलाश बैठा सांसद निर्वाचित हुए.