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मिशन-2019 : राधामोहन के अभेद्य किले को ढहाना महागठबंधन के लिए चुनौती
पूर्वी चंपारण लोकसभा की सीट एनडीए में भाजपा के पास ही रहने की है चर्चा पटना : पूर्वी चंपारण लोकसभा सीट पर तीन महीने बाद होने वाले लोकसभा चुनाव में केंद्रीय कृषि मंत्री राधामोहन सिंह ही मुख्य चेहरा होंगे. एनडीए में यह सीट भाजपा के पास ही रहने की चर्चा है. भाजपा में टिकट के […]
पूर्वी चंपारण लोकसभा की सीट एनडीए में भाजपा के पास ही रहने की है चर्चा
पटना : पूर्वी चंपारण लोकसभा सीट पर तीन महीने बाद होने वाले लोकसभा चुनाव में केंद्रीय कृषि मंत्री राधामोहन सिंह ही मुख्य चेहरा होंगे. एनडीए में यह सीट भाजपा के पास ही रहने की चर्चा है. भाजपा में टिकट के दावेदारों में राधामोहन के अलावा कोई दूसरा चेहरा अब तक सामने नहीं आया है.
जदयू के साथ आ जाने से भाजपा की ताकत पिछले चुनाव के मुकाबले बढ़ी है. राधामोहन को पांचवीं बार लोकसभा में जाने से रोकने के लिए महागठबंधन की जोर-आजमाइश जारी है.
महागठबंधन का बढ़ता कुनबा राधामोहन को घेरने की पूरी तैयारी कर रहा है. पूर्वी चंपारण की सीट पर महागठबंधन में राजद, कांग्रेस, मुकेश सहनी की वीआइपी और रालोसपा की नजर है. लेकिन, राजद इस सीट पर अपना स्वाभाविक दावा मान रहा. राजद में पूर्व विधायक राजेश रंजन उर्फ बबलू देव, केसरिया के विधायक डाॅ राजेश के नाम की चर्चा है. इलाके के लोग बताते हैं कि यहां से एक बार सांसद रहे और वर्तमान में कांग्रेस के राज्यसभा सांसद डाॅ अखिलेश प्रसाद सिंह का भी मोहभंग नहीं हुआ है.
कुशवाहा वोटरों की अच्छी तादाद को देखते हुए रालोसपा अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा और सन आॅफ मल्लाह मुकेश सहनी के समर्थक भी महागठबंधन में अपना दावा जता रहे हैं.
सामाजिक समीकरण को देखा जाये तो सवर्ण वोटरों के अलावा सहनी, कुशवाहा, यादव और मुस्लिम मतदाता निर्णायक स्थिति में हैं. भाजपा यहां विकास का मुद्दा उठा रही है. पार्टी का दावा है कि केंद्रीय विवि की स्थापना और राज्य सरकार द्वारा चंपारण महोत्सव, महात्मा गांधी की डेढ़ सौवीं जयंती समारोह के मौके पर किये गये विकास कार्य का लाभ उसे मिलेगा.
इन्होंने भी लहराया है जीत का परचम
1984 में प्रभावती गुप्ता भी सांसद बनीं
1980 में भाकपा के कमल मिश्र मधुकर
1957 के चुनाव में विपिन बिहारी वर्मा सांसद चुने गये थे
पिछली बार दूसरे स्थान पर रहे थे विनोद कुमार श्रीवास्तव
2014 के चुनाव में राधामोहन सिंह को चार लाख से अधिक वोट मिले थे. जबकि, दूसरे स्थान पर रहे राजद के विनोद कुमार श्रीवास्तव को दो लाख आठ हजार से अधिक वोट प्राप्त हुए थे. जदयू उम्मीदवार अवनीश कुमार सिंह तीसरे स्थान पर रहे थे. राधामोहन सिंह पहली बार यहां से 1989 में सांसद निर्वाचित हुए़ इसके बाद 1996,1999 और 2009 में जीत का सेहरा सिंह के सिर ही बंधा. हालांकि, 1991 में भाकपा के कमल मिश्र मधुकर, 1998 में रमा देवी और 2004 में डॉ अखिलेश प्रसाद सिंह यहां से सांसद निर्वाचित हुए. 1977 के चुनाव में यहां से ठाकुर रमापति सिंह को यहां से जीत मिली थी.
इनपुट : सच्चिदानंद सत्यार्थी, मोतिहारी
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