पटना : ‘सबका साथ सबका विकास’ के मूलमंत्र पर चलनेवाली केंद्र की मोदी सरकार ने आर्थिक रूप से कमजोर सवर्णों को दस फीसदी आरक्षण देने का फैसला किया है. इसके बाद पक्ष और विपक्ष के नेताओं की मिलीजुली प्रतिक्रियाएं आने लगी हैं. एक ओर जहां एनडीए नेता सवर्णों को उनका हक दिये जाने की बात कह रहे हैं. वहीं दूसरी ओर, विपक्ष अगले साल होनेवाले आम चुनाव के मद्देनजर चुनावी स्टंट करार दिया है.मालूम हो कि फिलहाल देश में 49.5 फीसदी आरक्षण की व्यवस्था है. इनमें अनुसूचित जाति के लिए 15 फीसदी, अनुसूचित जनजाति के 7.5 फीसदी और ओबीसी के लिए 27 फीसदी आरक्षण की व्यवस्था है.
किसने क्या कहा?
गरीब सवर्णों को आरक्षण मिलना चाहिए, सरकार ने सवर्णों को उनका हक दिया. मोदी जी देश की जनता के लिए काम कर रहे हैं : शाहनवाज हुसैन, भाजपा नेता
आर्थिक आधार पर आरक्षण देने की मांग हम पहले से ही करते आ रहे हैं. सवर्ण समाज को आरक्षण मिलना ही चाहिए : माधव आनंद, प्रवक्ता, राष्ट्रीय लोक समता पार्टी
सवर्णों को दस फीसदी आरक्षण दिया जाना कम है. हमने 15 फीसदी आरक्षण देने की मांग की थी : जीतनराम मांझी, पूर्व सीएम, बिहार सह अध्यक्ष, हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा
दलितों, पिछड़ों, अतिपिछड़ों आदि जिन्हें पहले से आरक्षण मिल रहा है, उनके हितों की रक्षा की जानी चाहिए. उनके लिए ठोस कदम उठाये जाने चाहिए. उसके बाद किसी को कोई हक देने की बात की जानी चाहिए. जब तक ऐसा नहीं हो रहा, यह भी जुमले जैसा है. इन सब बातों का कोई मतलब नहीं. उपेंद्र कुशवाहा, अध्यक्ष, राष्ट्रीय लोक समता पार्टी