मिशन 2019 : किशनगंज में कांग्रेस का है मजबूत किला, आसान नहीं होगा भेदना
पिछले दो चुनावों से कांग्रेस के मोहम्मद असरारूल हक यहां से जीत रहे थे चुनाव पटना : किशनगंज की सीट पारंपरिक तौर पर कांग्रेस की झोली में जाती रही है. एक बार भाजपा के सैयद शाहनवाज हुसैन यहां से चुनाव जीत चुके हैं. पर, पिछले दो चुनावों से कांग्रेस के मोहम्मद असरारूल हक यहां से […]
पिछले दो चुनावों से कांग्रेस के मोहम्मद असरारूल हक यहां से जीत रहे थे चुनाव
पटना : किशनगंज की सीट पारंपरिक तौर पर कांग्रेस की झोली में जाती रही है. एक बार भाजपा के सैयद शाहनवाज हुसैन यहां से चुनाव जीत चुके हैं. पर, पिछले दो चुनावों से कांग्रेस के मोहम्मद असरारूल हक यहां से चुनाव जीत रहे थे. कुछ दिन पहले उनके असामयिक निधन से यह सीट फिलहाल रिक्त है. इस बार भाजपा की इस सीट को झपट लेने की तैयारी है. पिछले दो चुनावों से भाजपा यहां दूसरे नंबर पर रहती है. कांग्रेस में मोहम्मद असरारूल हक के परिजन को उम्मीदवार बनाये जाने की चर्चा है.
एक खेमा किसी बाहरी उम्मीदवार पर दांव लगाने की वकालत कर रहा. यहां से एक बार पत्रकार एमजे अकबर भी चुनाव जीत चुके हैं. हैदराबाद के ओवैसी की भी इस सीट पर नजर रहती है. मुस्लिम बहुल इलाका होने के कारण किशनगंज में भाजपा के पक्ष में वोटरों का ध्रुवीकरण होता रहा है. पिछले दो चुनावों में भाजपा की लाख कोशिश के बावजूद जीत का सेहरा असरारूल हक के सिर ही बंधा. पिछले चुनाव में जदयू ने अख्तारूल इमान को अपना उम्मीदवार बनाया था.
लेकिन, बीच चुनाव में ही उन्होंने बैठ जाने की घोषणा कर दी. जिसका खामियाजा जदयू को उठाना पडा. भाजपा यहां से दिलीप कुमार जायसवाल को अपना उम्मीदवार बनायी थी.
उन्हें 2,98762 वोट मिले थे और वे दूसरे स्थान पर रहे. चुनाव जीतने वाले कांग्रेसी उम्मीदवार असरारूल हक को 4,93294 वोट मिले थे. जबकि, अख्तारूल इमान को मात्र पचपन हजार वोट ही आये थे. असरारूल हक के मधुर संबंध विभिन्न पार्टियों के नेताओं से थे.
सभी उनका व्यक्तिगत रूप से आदर करते थे. उनके जनाजे में उमड़ी भीड़ से उनकी लोकप्रियता का अंदाजा लगाया जा सकता है. इस सीट पर स्थानीय नेताओं की भी नजर है. कई नेता अभी से सांसद बनने के सपने संजोने लगे हैं.
गठबंधन की स्थिति अभी स्पष्ट नहीं
गठबंधन की स्थिति अभी भविष्य के गर्भ मेंहै. एनडीए में जदयू, भाजपा व लोजपा यह तय करेगी कि वह अपना उम्मीदवार किसे बनायेगी. वहीं, सतह पर बाहरी रूप से भले ही सबकुछ सामान्य दिख रहा हो, लेकिन एनडीए व महागठबंधन में अंदरूनी खींचतान शुरू है. गठबंधन के प्रत्येक घटक दल के नेता भी अपनी शख्सीयत व जनाधार का एहसास अपने आलाकमान को दिलाने की जुगत में हैं, ताकि टिकट उनके हाथ लग जाये. एक ओर दबी जुबान यह भी चर्चा है कि कांग्रेस कोई बाहरी उम्मीदवार को टिकट दे सकती है. दूसरी ओर, यह कयास भी लगाये जा रहे हैं कि हक के किसी प्रभावशाली परिजन को भी टिकट मिल सकता है. एमआइएम के प्रदेश अध्यक्ष अख्तरूल इमान भी इस चुनावी दंगल में कूदने के लिए तैयार दिखते हैं. संभावना है कि वे पार्टी टिकट पर आगामी लोकसभा चुनाव में चुनौती पेश करेंगे.
इनपुट : किशनगंज प्रतिनिधि