पटना : वामपंथी दलों और कांग्रेस से जुड़े केंद्रीय ट्रेड यूनियन की दो दिवसीय हड़ताल शुरू हो गयी है. इस दो दिवसीय हड़ताल में आम जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है. इसका असर बिहार के पटना समेत कई जिलों में देखने को मिल रहा है. मिल रही जानकारी के अनुसार प्रभाव वाले जिलों में हड़ताल के समर्थन में वामदलों के लोग सड़क पर उतरे हैं और आवागमन को बाधित कर रहे हैं.
राजधानी पटना समेत, भोजपुर, बक्सर, रोहतास, औरंगाबाद, बांका, कैमूर समेत कई जिलों में भी आंदोलनकारी सड़क पर उतर आये हैं. केंद्र सरकार के खिलाफ नारेबाजी कर रहे हैं. नेताओं को कहना है कि उनकी मांगें पूरी की जाये. ट्रेड यूनियनों के अलावा इंटक, आशा कार्यकर्ता, रसोइया संघ के लोग अपनी मांगों को लेकर केंद्रीय कार्यालयों व बैंकों को बंद करा रहे हैं. यातायात को भी रोका गया है. यूनियन का कहना है कि न्यू पेंशन को बंद कर पुराने पेंशन सिस्टम को लागू किया जाये। साथ ही सबकी सेवा नियमित हो और सामान वेतन और 18 हजार रुपये की व्यवस्था की जाये.
दो दिवसीय हड़ताल के दौरान ऑटो रिक्शा और बस सेवा प्रभावित रहने की खबर आ रही है. वहीं पटना के फुलवारीशरीफ में भी बंद का व्यापक असर पड़ा है. कामगारों ने खोजा इमली के नजदीक अनीसाबाद फुलवारी एनएच 98 को जाम कर दिया था. वहीं केंद्रीय कार्यालयों पर इसका प्रभाव पड़ा है. हालांकि, एंबुलेंस समेत आवश्यक सेवाओं वाली गाड़ियों को हड़ताल से मुक्त रखा गया है.
ऑल इंडिया रोड ट्रांसपोर्ट वर्कर्स फेडरेशन, बिहार के महासचिव राजकुमार झा और अध्यक्ष विजयधारी कुमार ने बताया कि विभिन्न मांगों को लेकर हम हड़ताल कर रहे हैं. हमारी प्रमुख मांग है कि मोटर वाहन कानून संशोधन विधेयक को पूरी तरह से सरकार वापस ले. डीजल और पेट्रोल की बढ़ी हुई कीमतों को वापस लिया जाये और इन पर सरकार का नियंत्रण हो. इस हड़ताल में ठेका-संविदा, मानदेय और आउटसोर्सिंग पर बहाल कर्मचारी, आंगनबाड़ी, आशा सहित अन्य कार्यकर्ता भाग ले रहे हैं. स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआइ) को छोड़कर ज्यादातर बैंक नहीं खुले हैं. जबकि, ऑल इंडिया बैंक ऑफिसर्स फेडरेशन से जुड़े अधिकारी हड़ताल में शामिल नहीं हुए हैं.