कई राज्यों समेत देश की सुरक्षा इकाइयों की जिम्मेदारी संभाल रहे बिहार के ”लाल”, …जानें कौन-कौन हैं शामिल?
पटना : दूसरे राज्यों में जाकर अपमानित होने, मार खाने और पलायन की खबरें अक्सर चर्चा में रहती हैं. वहीं दूसरी ओर ऐसे भी बिहारी हैं, जो अपनी प्रतिभा के बल पर ना सिर्फ अपनी पहचान बनाते हैं, बल्कि देश सेवा में महत्वपूर्ण योगदान भी देते हैं. बिहार के लाल आज कई राज्यों की सुरक्षा […]
पटना : दूसरे राज्यों में जाकर अपमानित होने, मार खाने और पलायन की खबरें अक्सर चर्चा में रहती हैं. वहीं दूसरी ओर ऐसे भी बिहारी हैं, जो अपनी प्रतिभा के बल पर ना सिर्फ अपनी पहचान बनाते हैं, बल्कि देश सेवा में महत्वपूर्ण योगदान भी देते हैं. बिहार के लाल आज कई राज्यों की सुरक्षा समेत देश के कई महत्वपूर्ण सुरक्षा इकाइयों की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं. ताजा मामला कुमार राजेश चंद्रा का है. वह एसएसबी के महानिदेशक नियुक्त किये गये हैं. मालूम हो कि सीबीआई चीफ आलोक वर्मा बिहार के शिवहर, सीआईएसएफ के महानिदेशक राजेश रंजन समस्तीपुर, बीएसएफ के महानिदेशक रजनीकांत मिश्रा पटना, आरपीएफ के निदेशक अरुण कुमार दरभंगा के रहनेवाले हैं. इनके अलावा गुजरात में डीजीपी शिवानंद झा, उत्तर प्रदेश में डीजीपी ओपी सिंह, आंध्र प्रदेश में डीजीपी आरपी ठाकुर और मुंबई के पुलिस कमिश्नर भी बिहार के मूलवासी हैं. आइए जानते हैं बिहार के जांबाज अफसरों का संक्षिप्त परिचय…
सीबीआई के निदेशक : आलोक वर्मा
सीबीआई प्रमुख आलोक वर्मा मूलरूप से बिहार के रहनेवाले हैं. तिरहुत प्रमंडल के शिवहर जिला निवासी आलोक कुमार वर्मा मात्र 22 वर्ष की उम्र में वर्ष 1979 में आईपीएस चुन लिये गये थे. 14 जुलाई, 1957 को जन्मे आलोक वर्मा ने 22 वर्ष की उम्र में ही आईपीएस चुने गये थे. वह अपने बैच के सबसे कम उम्र के अभ्यर्थी थे. हालांकि, उनकी शिक्षा दिल्ली में हुई है. उन्होंने सेंट जेवियर स्कूल से पढ़ाई पूरी करने के बाद सेंट स्टीफन कॉलेज से उन्होंने इतिहास में स्नातकोत्तर की डिग्री हासिल की. आलोक वर्मा साफ-सुथरी छविवाले आईपीएस अधिकारी माने जाते हैं.
सीआईएसएफ के महानिदेशक : राजेश रंजन
सबौर स्थित भागलपुर कृषि विवि में अध्यापक राम परीक्षण राय के पुत्र राजेश रंजन ने पटना के सेंट जेवियर्स हाईस्कूल से 7वीं करने के बाद, सेंट माइकल हाईस्कूल से 11वीं की शिक्षा प्राप्त की. इसके बाद पटना साइंस कॉलेज से इंटर किया. 15 नवंबर, 1960 को जनमे राजेश ने पटना कॉलेज से इंग्लिश में ऑनर्स की डिग्री हासिल की. राजेश रंजन का विवाह पटना हाईकोर्ट के जज बीपी सिन्हा की पोती रंजीता रंजन से हुआ है. रंजीता से शादी के बाद छह माह दूर रह कर दूसरे प्रयास में वर्ष 1984 में आईपीएस बने. ट्रेनी के तौर पर रांची में ज्वाइन किया. पहली पोस्टिंग पटना में एएसपी के तौर पर हुई. वह देवघर में पुलिस कप्तान की कमान संभाल चुके हैं. बिहार के कई जिलों और इकाइयों में रहने के बाद वह 1995 में सीबीआई में इकॉनामिक ऑफेंसेस विंग के सुपरिटेंडेंट बने. उन्होंने लक्खू भाई पाठक मामले में कथित तांत्रिक चंद्रास्वामी को चेन्नई से गिरफ्तार किया था. सीबीआई के डीआईजी के तौर पर वह चंडीगढ़ के चर्चित रुचिका गिरोत्रा छेड़छाड़ मामले की जांच की. उन्हीं के पड़ताल पर ही पूर्व आईपीएस और हरियाणा के पूर्व पुलिस महानिदेशक एसपीएस राठौर को सजायाफ्ता करार दिया गया था. राजेश रंजन को फ्रांस स्थित इंटरपोल सचिवालय में सर्वाधिक समय (पांच साल) तक प्रतिनियुक्ति पर रहे. जर्मनी में ‘नाटो’ अफसरों के समक्ष वह ‘टेरर-फाइनेंसिंग’ पर भाषण भी दे चुके हैं. बिहार कैडर के 1984 बैच के आईपीएस अधिकारी राजेश रंजन का नाम उस वक्त भी चर्चा में आया था, जब हाल ही में डीजीपी की नियुक्ति के लिए अधिकारियों के नामों पर चर्चा हो रही थी. हालांकि, बाद में केएस द्विवेदी बिहार के डीजीपी नियुक्त किये गये.
बीएसएफ के महानिदेशक : रजनीकांत मिश्रा
बिहार के पटना जिला निवासी उत्तर प्रदेश कैडर के 1984 बैच के आईपीएस रजनीकांत मिश्रा बीएसएफ के महानिदेशक हैं. रजनीकांत मिश्रा का जन्म रामचंद्र मिश्रा के घर दो अगस्त 1959 को हुआ था. उन्होंने साइंस में मास्टर की डिग्री हासिल की. उसके बाद वर्ष 1984 में आईपीएस चुने जाने के बाद उत्तर प्रदेश कैडर के लिए चयनित हुए. रजनीकांत मिश्रा एक वर्ष पूर्व ही एसएसबी के डायरेक्टर जनरल बनाये गये थे. रजनीकांत मिश्रा 31 अगस्त, 2019 तक इस पद पर रहेंगे.
एसएसबी के महानिदेशक : कुमार राजेश चंद्रा
कुमार राजेश चंद्रा 1985 बैच के बिहार कैडर के आईपीएस अधिकारी हैं. नयी दिल्ली स्थित जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय से उन्होंने अर्थशास्त्र में स्नातकोत्तर की डिग्री हासिल की है. वह पटना सिटी में एएसपी भी रह चुके हैं. औरंगाबाद, सीवान, गोपालगंज, बेगूसराय, मुजफ्फरपुर, बोकारो, चतरा, धनबाद में पुलिस कप्तान रहने के साथ-साथ भागलपुर के पूर्वी रेंज के पुलिस उप महानिरीक्षक रह चुके हैं. बिहार में स्पेशल ब्रांच के एसपी के रूप में कार्य करने से लेकर वह राज्यपाल के एडीसी भी रह चुके हैं. केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर जाने के बाद वह प्रधानमंत्री की सुरक्षा में लगे विशेष सुरक्षा समूह (SPG) के डीआईजी और आईजी के रूप में योगदान दिया है. वह कई प्रकार के पुलिस प्रशिक्षण प्राप्त कर चुके हैं. वर्तमान में वह दिल्ली में नागरिक उड्डयन सुरक्षा ब्यूरो के महानिदेशक के रूप में सेवारत हैं. राजेश चंद्रा को पुलिस पदक, राष्ट्रपति पुलिस पदक, विशेष कर्तव्य पदक और आंतरिक सुरक्षा पदक मिल चुका है.
आरपीएफ के महानिदेशक : अरुण कुमार
बिहार के दरभंगा के मूलवासी व यूपी कैडर के 1985 बैच के आईपीएस अरुण कुमार रेलवे सुरक्षा बल के महानिदेशक हैं. अरुण कुमार कई महत्वपूर्ण पदों पर काम कर चुके हैं वह सीबीआई के संयुक्त निदेशक भी रह चुके हैं. अरुण कुमार दिल्ली के चर्चित आरुषि कांड केस के इंचार्ज भी रह चुके हैं. लखनऊ के एसएसपी और डीआईजी रहने के अलावा उत्तर प्रदेश के चर्चित बाहुबली अपराधी श्रीप्रकाश शुक्ला को पकड़ने के लिए बनाये गये एसटीएफ की कमान भी संभाल चुके हैं. मालूम हो कि अरुण कुमार को देश के पहले एसटीएफ टीम का इंजार्च होने का गौरव प्राप्त है.
गुजरात के डीजीपी : शिवानंद झा
मधुबनी जिले के बाबूबरही थाना क्षेत्र के मौआही गांव के शिवानंद झा गुजरात के डीजीपी हैं. डीजीपी शिवानंद झा के पिता स्व. वैद्यनाथ झा बिहार सचिवालय में फिनान्स विभाग के बजट आफिसर पद से सेवानिवृत्त हुए हैं. पटना के पाटलिपुत्रा में शिवानंद झा का पैतृक घर है. उनकी प्रारंभिक शिक्षा-दीक्षा पटना में ही हुई है. वर्ष 1982 में वह एलायड सेवा में चयनित हुए. उन्होंने इनकम टैक्स ऑफिसर के पद पर ज्वाइन भी किया. लेकिन, वर्ष 1983 में आइपीएस में चयन होने पर वह गुजरात कैडर में चले गये.
उत्तर प्रदेश के डीजीपी : ओमप्रकाश सिंह
ओमप्रकाश सिंह मूलरूप से बिहार के गया के रहनेवाले हैं. उन्होंने बचपन में काफी संघर्ष का सामना किया. उन्हें इस मुकाम तक पहुंचाने में उनकी मां का बहुत योगदान रहा है. ओपी सिंह को पढ़ाने के लिए उनकी मां ने करीब 10 साल तक खेती भी की. ओपी सिंह की शुरुआती पढ़ाई गया में ही हुई है. इसके बाद वह रांची चले गये. वहां संत जेवियर इंटर कॉलेज से शिक्षा ग्रहण की. उनके पिता की मौत भी उससमय हुई जब उनके पिता के खाते में मात्र 600 रुपये थे. परिवार के पालन-पोषण की समस्या सामने थी. लेकिन, उनकी मां ने जिम्मेदारी उठायी और घर से बाहर कदम ना रखनेवाली मां ने खेती कराने का काम शुरू किया. ओपी सिंह स्नातक करने के लिए इलाहाबाद चले गये. इलाहाबाद विश्वविद्यालय के सर सुंदर लाल छात्रावास में रहे. इसके बाद उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से एमए में गोल्ड मेडल हासिल कर पढ़ाने लगे. इसके बाद उनका 1983 बैच से आईपीएस अफसर के लिए चुनाव हो गया.
आंध्र प्रदेश के डीजीपी : आरपी ठाकुर
आंध्र प्रदेश पुलिस की कमान भी एक बिहारी के हाथ में है. बिहार के सीतामढ़ी जिजे के चोरौत प्रखंड के अमनपुर गांव निवासी रामप्रवेश ठाकुर आंध्र प्रदेश के डीजीपी हैं. वह 1986 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं. आरपी ठाकुर का जन्म एक जुलाई, 1961 में हुआ था. आरपी ठाकुर ने आईआईटी कानपुर में सिविल इंजीनियरिंग विभाग में बीटेक की डिग्री हासिल की. रामप्रवेश ठाकुर डीजीपी बनने से पूर्व आंध्रप्रदेश में एंटी करप्शन विभाग के डीजी थे. 1986 बैच के आइपीएस अधिकारी आरपी ठाकुर अमनपुर गांव निवासी सेवानिवृत्त अंकेक्षक रामदेव ठाकुर के इकलौते पुत्र हैं. उनकी प्रारंभिक शिक्षा सुरसंड प्रखंड के प्राथमिक विद्यालय बखरी में हुई थी. मैट्रिक की शिक्षा ननिहाल रीगा प्रखंड के बभनगामा हाईस्कूल से ली. आइआइटी कानपुर से बीटेक कर रेलवे में इंजीनियर की नौकरी की. ट्रेनिंग समाप्त होते ही यूपीएससी की परीक्षा पास की. इसके बाद रेलवे की नौकरी छोड़ आइपीएस ज्वाइन कर ली. आरपी ठाकुर की ससुराल पटना के महेंद्रू में है. पत्नी अमिता देवी गृहिणी हैं.
मुंबई के पुलिस प्रमुख : सुबोध जायसवाल
बिहार निवासी सुबोध जायसवाल देश के खुफिया विभाग के कड़क और तेजतर्रार अफसर माने जाते हैं. वह वर्तमान में मुंबई के पुलिस कमिश्नर (डीजीपी) हैं. 1985 बैच के आईपीएस अधिकारी सुबोध जायसवाल मुंबई में अतिरिक्त पुलिस आयुक्त की जिम्मेदारी संभाल चुके हैं. इसके अलावा उन्हें रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (रॉ) में काम करने का भी अनुभव है. मुंबई के 41वें पुलिस कमिश्नर सुबोध जायसवाल तेलगी स्टांप घोटाले और मालेगांव ब्लास्ट मामलों की जांच से भी जुड़े रहे हैं. जायसवाल को जासूसों का मास्टर भी कहा जाता है. वर्ष 1962 में जन्मे जायसवाल 2022 में सेवानिवृत्त होंगे.