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मिशन 2019 : समाजवादियों के कब्जे में रही है मुजफ्फरपुर सीट, अबतक साफ नहीं हो पायी हाइ प्रोफाइल सीट की चुनावी तस्वीर

1977 के बाद 1980, 1989, 1991 व 2004 में जार्ज ने जीत हासिल कर यहां का प्रतिनिधित्व किया पटना : लोकसभा चुनाव की घोषणा मार्च महीने में पांच से 10 तारीख के बीच कर दी जायेगी. पर अब तक मुजफ्फरपुर की हाइ प्रोफाइल सीट की चुनावी तस्वीर साफ नहीं हो पायी है. एक ओर मौजूदा […]

1977 के बाद 1980, 1989, 1991 व 2004 में जार्ज ने जीत हासिल कर यहां का प्रतिनिधित्व किया

पटना : लोकसभा चुनाव की घोषणा मार्च महीने में पांच से 10 तारीख के बीच कर दी जायेगी. पर अब तक मुजफ्फरपुर की हाइ प्रोफाइल सीट की चुनावी तस्वीर साफ नहीं हो पायी है. एक ओर मौजूदा सांसद अजय निषाद है.

पिता कैप्टेन जय नारायण निषाद के निधन के बाद उनके पक्ष में सहानुभूति वोट भी है. दूसरी ओर यह तय नहीं हो पाया है कि एनडीए के भीतर यह सीट भाजपा के पक्ष में जायेगी या जदयू को दिया जायेगा. दूसरी ओर महागठबंधन में राजद, कांग्रेस व सन आॅफ मल्लाह मुकेश सहनी की भी इस सीट पर नजर है. मकर संक्रांति के बाद सीट के बटवारे और उम्मीदवार के नाम चयन मामले में तेजी आयेगी.

समाजवादियों के कब्जे में रही है यह सीट

मुजफ्फरपुर की सीट समाजवादियों के कब्जे में रही है़ सामंती मन मिजाज वाले इस इलाके में 1984 के बाद कोई सवर्ण सांसद नहीं बन पाया है़

1984 में कांग्रेस की टिकट पर यहां से एलपी शाही चुनाव जीते़ इसके पहले 1977 में जार्ज फर्नांडीज का यहां पदार्पण हुआ़ जनता पार्टी की लहर में जार्ज ने यहां से रिकाॅर्ड मतों जीत हासिल की़ 1977 के बाद 1980, 1989, 1991 और 2004 के लोकसभा चुनाव में जार्ज ने जीत हासिल कर यहां का प्रतिनिधित्व किया़ खास बात यह कि 2009 के आम चुनाव में जदयू ने जार्ज की जगह कैप्टेन जय नारायण निषाद को अपना उम्मीदवार बनाया़ इस चुनाव में जार्ज भी निर्दलीय खडे हो गये़ चुनावी बाजी कैप्टेन निषाद के हाथ लगी़ जार्ज को मात्र 23 हजार के करीब वोट मिले़ कैप्टेन निषाद ने चार बार यहां का प्रतिनिधित्व किया़ 2014में यहां भाजपा का कब्जा हुआ़

यहां से पूर्व केंद्रीय मंत्री कैप्टेन जय नारायण निषाद के बेटे अजय निषाद भाजपा की टिकट पर सांसद चुने गये हैं. 2019 के चुनाव की गोटियां अब बिछने लगी है़ अजय निषाद के समर्थकों को उम्मीद है कि पार्टी इस बार दोबारा उन्हें मौका देगी़ इधर, निषादों की राजनीति करने वाले सन आॅफ मल्लाह मुकेश साहनी की इस क्षेत्र में कई सभा व रैलियां हो चुकी है़

शहरी इलाकों में सवर्णों की संख्या

मुजफ्फरपुर के शहरी इलाकों में सवर्णों की बहुतायत है़ वहीं, ग्रामीण इलाकों में मल्लाह और सहनी जैसी अतिपिछडी जातियों के वोट निर्णायक होते रहे हैं. इस बार के चुनाव में सबकी नजर भाजपा और जदयू के बीच होने वाले सीटों के बटवारे पर टिकी है़ पिछले चुनाव में जदयू और भाजपा के अलग-अलग उम्मीदवार रहे थे़ कांग्रेस ने अखिलेश प्रसाद सिंह को उम्मीदवार बनाया था़ जदयू से विजेंद्र चौधरी उम्मीदवार बने़ वहीं, सकलोपा की ओर से युवा अक्षय वर्मा भी चुनाव मैदान में उतरे़ 1952 में हुए पहले आम चुनाव और दूसरे चुनाव 1957 में मुजफ्फरपुर सेंट्रल से श्याम नंदन सहाय सांसद निर्वाचित हुए थे़ 1962 और 1967 में दिग्विजय नारायण सिंह, 1971 में नवल किशोर सिन्हा ने यहां का प्रतिनिधित्व किया़

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