पटना : प्रदेश में नहीं होगी मछली की कमी, विभाग तैयारी में जुटा
कवायद . राज्य से अभी बाहर नहीं जायेगी मछली पटना : राज्य में आंध्र प्रदेश की मछली की बिक्री पर रोक की संभावना के बीच पशु व मत्स्य संसाधन विभाग ने इसकी तैयारी कर ली है कि आम लोगों को मछली की कमी न झेलनी पड़े. अभी राज्य में सालाना छह लाख टन से अधिक […]
कवायद . राज्य से अभी बाहर नहीं जायेगी मछली
पटना : राज्य में आंध्र प्रदेश की मछली की बिक्री पर रोक की संभावना के बीच पशु व मत्स्य संसाधन विभाग ने इसकी तैयारी कर ली है कि आम लोगों को मछली की कमी न झेलनी पड़े. अभी राज्य में सालाना छह लाख टन से अधिक मछली की खपत होती है. राज्य में आंध्र प्रदेश से करीब 37 हजार टन मछली आती है. राज्य से अभी 32 हजार टन सालाना मछली का निर्यात होता है.
आंध्र की मछली पर रोक के बाद मछली का निर्यात भी रुक जायेगा.आंध्र की मछली पर रोक का निर्णय स्वास्थ्य विभाग को लेना है. पशु व मत्स्य संसाधन विभाग की सचिव एन विजयलक्ष्मी ने कहा कि तीन माह पहले जांच के दौरान आयतित मछली में फार्मालीन की शिकायत मिली थी. उसके बाद विभाग ने मानव स्वास्थ्य के हित में इसकी जानकारी विभाग को दी.
पटना में सरकारी वैन पर होगी मछली की बिक्री
राज्य में मछली के उत्पादन को बढ़ावा दिया रहा है. मछली पालकों को कई तरह का अनुदान दिया रहा है. मछली उत्पादन में बढ़ोतरी से आयातित मछली पर राज्य की निर्भरता भी कम हुई है. पशु व मत्स्य संसाधन विभाग के अनुसार अभी राज्य में 6.42 लाख टन सालाना मछली की खपत है.
राज्य के मत्स्य निदेशक निसात अहमद ने बताया कि राज्य से अभी 32 हजार टन मछली नेपाल, मालदह, सिलीगुड़ी आदि भेजा जाता है. उन्होंने कहा कि आंध्र से आनेवाली मछली को सुरक्षित रखने के लिए रसायन का प्रयोग किया जाता है लेकिन बिहार से जो मछली बाहर जाती है उसे सुरक्षित रखने के लिए बर्फ का प्रयोग होता है.
विभाग की ओर से मछली
बिक्री के लिए राजधानी के विद्यापति मार्ग में एक काउंटर खुला है. मंगलवार को गुरुवार को छोड़ यहां से किसी भी दिन ताजी मछली खरीदी जा सकती है.
इसके अलावा विभाग जल्द ही मछली की बिक्री के लिए पटना में दो विशेष वैन चलायेगा. दिन में इस वैन से ताजी मछली की बिक्री होगी जबकि शाम में मछली का चॉप, कटलेट आदि की बिक्री होगी पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग की सचिव एन विजयलक्ष्मी ने राज्य में आंध्र की मछली पर रोक के संबंध में कहा कि इस पर निर्णय स्वास्थ्य विभाग को लेना है. यह उनके विभाग के अधिकार क्षेत्र में नहीं है. राज्य में मछली की कोई कमी नहीं है. उत्पादन को बढ़ाया जा रहा है.