वर्ष 2017-18 में डेयरी, पॉल्ट्रि और फिशरी के क्षेत्र में लक्ष्य का मात्र 20 प्रतिशत तथा कृषि यांत्रिकीकरण और भंडारण के क्षेत्र में 22 और 18 प्रतिशत ही लक्ष्य हासिल हो सका. जबकि, इसी अवधि में 5.80 लाख मे. टन मछली और 111 करोड़ अंडे का उत्पादन बिहार में हुआ. 2016-17 में 74 हजार करोड़ लक्ष्य के विरुद्ध 65 हजार करोड़, 2017-18 में 80 हजार करोड़ के विरूद्ध 70 हजार करोड़ प्राथमिक क्षेत्रों को कर्ज दिया गया.
3 प्रतिशत केंद्र व 1 प्रतिशत राज्य सरकार द्वारा दिए जाने वाले ब्याज अनुदान के कारण ससमय ऋण वापसी पर किसानों को मात्र 3 प्रतिशत ही ब्याज देना पड़ता है. किसानों को मिलने वाले ब्याज अनुदान को बैंक ठीक से प्रचारित करें और ऋण वसूलने के अपने तंत्र को दुरूस्त करें. साल 2017-18 में राज्य सरकार ने नाबार्ड को 1 प्रतिशत ब्याज अनुदान के मद में 10 करोड़ का भुगतान किया. बैंक ब्याज अनुदान का दावा तक नहीं करते हैं, यानी किसानों को उसका लाभ नहीं मिल रहा है.
जेएलजी (ज्वायंट लैबलिटी ग्रुप) के तहत 1 लाख के लक्ष्य के विरूद्ध 23 हजार समूह का गठन हुआ और मात्र 318 करोड़ का ऋण दिया गया. क्रेडिट गारंटिड स्कीम जिसके तहत 75 प्रतिशत तक कर्ज की वापसी सुनिश्चित है के अन्तर्गत जहां पूरे देश में 1.5 लाख करोड़ वहीं बिहार में मात्र 1,023 करोड़ का ही कर्ज सूक्ष्म व लघु उद्योगों को दिया गया.