पटना : जरूरतमंद मरीजों को ब्रांडेड दवाओं के भारी-भरकम बोझ से मुक्ति दिलाने व सस्ती दरों पर जेनेरिक दवा उपलब्ध करवाने को लेकर सरकारी अस्पतालों के बाहर भी जन-औषधि केंद्र खोले गये. लेकिन, ये दवा दुकानें सिर्फ कागजों में ही चल रही हैं.
सही मायने में अधिकांश दवा केंद्र बंद हो चुके हैं, वहीं जो खुले हैं, वहां दवाएं नहीं मिल रही हैं. दवा नहीं मिलने के पीछे दुकानदार 60 दिनों से आपूर्ति नहीं मिलने का रोना रो रहे हैं.
कंपनी से नहीं आ रहीं दवाएं
नाम न छापने की शर्त पर एक दवा दुकानदार ने बताया कि पहले केंद्र सरकार के माध्यम से आपूर्ति होती थी, लेकिन अब यह पूरा सिस्टम हरियाणा की एक प्राइवेट कंपनी के हवाले कर दिया गया है.
यह कंपनी डिमांड पूरी नहीं कर पा रही है. ऑनलाइन ऑर्डर करने पर कुरियर के माध्यम से डेढ़ महीने बाद दवाएं दुकानों पर भेजी जाती है.
पटना जिले में कहां हैं केंद्र : पाटलिपुत्र स्टेशन स्थित गांधी नगर, राजीव नगर मेन रोड, कुम्हरार स्थित शिक्षक कॉलोनी, छितमा दीदारगंज, राजेंद्र नगर, गायत्री कुंज नव विहार, ट्रांसपोर्ट नगर, सिपारा, गुरु गोविंद सिंह अस्पताल पटना सिटी, मराची, एनटीपीसी बाढ़, गंजपर, पालीगंज, मोकामा, बाढ़, बख्तियारपुर, परसा बाजार स्थित रहीमपुर, गर्दनीबाग अस्पताल, पटना सिटी स्थित एनएमसीएच, घोसवारी आदि कुल 23 जगहों पर दुकानें खोली गयी हैं.
ऊपर अस्पताल, नीचे नहीं हैं सस्ती दवाएं
पाटलिपुत्र स्टेशन के समीप एक निजी अस्पताल संचालित होता है. अस्पताल संचालक की ओर से ग्राउंड फ्लोर पर प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र दवा की दुकान संचालित होती है. बाहर बोर्ड पर 600 तरह की दवाएं व 154 तरह की सर्जिकल प्रोडक्ट लिखे गये थे. मगर यहां सिर्फ 30 से 40 तरह की दवाएं थीं.
अस्पताल में आये मरीजों को बाहर से ब्रांडेड कंपनियों की दवाएं लिखी जा रही थीं. वहीं, जब राजीव नगर मेन रोड पर भी जन औषधि केंद्र है, जहां की दुकान बंद हो गयी है.
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