न्यायिक सेवा बहाली मामले में परीक्षा परिणाम पर रोक लगाने से हाईकोर्ट का इनकार, BPSC से मांगा जवाब
पटना : पटना हाईकोर्ट ने न्यायिक सेवा में बहाली मामले की सुनवाई करते हुए परीक्षा परिणाम पर रोक लगाने से सोमवार को इनकार कर दिया. साथ ही अदालत ने तीन सप्ताह में जवाब दाखिल करने का निर्देश बीपीएससी को दिया है. जानकारी के मुताबिक, बीपीएससी द्वारा 27-28 नवंबर, 2018 को आयोजित न्यायिक सेवा बहाली मामले […]
पटना : पटना हाईकोर्ट ने न्यायिक सेवा में बहाली मामले की सुनवाई करते हुए परीक्षा परिणाम पर रोक लगाने से सोमवार को इनकार कर दिया. साथ ही अदालत ने तीन सप्ताह में जवाब दाखिल करने का निर्देश बीपीएससी को दिया है.
जानकारी के मुताबिक, बीपीएससी द्वारा 27-28 नवंबर, 2018 को आयोजित न्यायिक सेवा बहाली मामले की चीफ जस्टिस एपी शाही की खंडपीठ ने सोमवार को सुनवाई की. सुनवाई के बाद अदालत ने परीक्षा परिणाम पर रोक लगाने से इनकार कर दिया. साथ ही बीपीएससी को तीन सप्ताह में जवाब देने का निर्देश दिया. मामले की अगली सुनवाई चार सप्ताह के बाद की जायेगी.
मालूम हो कि बीपीएससी ने 27-28 नवंबर, 2018 को प्रारंभिक परीक्षा आयोजित की थी. इसके बाद सात जनवरी को परीक्षा का परिणाम जारी कर दिया था. जारी रिजल्ट में 1100 अभ्यर्थियों का चयन हुआ है, जबकि सीटों की संख्या 1800 है. शेष सीटें खाली रह गयी हैं. इन पर चयन के लिए आरक्षण कोटि से उन लोगों का चयन होगा, जो आरक्षण कोटि में शामिल हैं और पांच फीसदी अंकों की सीमा के अंदर आते हैं. मुख्य परीक्षा 20 फरवरी को होने की संभावना है.
बीपीएससी ने 349 न्यायिक सेवा के पदों पर बहाली के लिए भर्ती निकाली थी. इसमें 175 सीट सामान्य, 73 ओबीसी, 56 एससी, 3 एसटी, 42 ओबीसी के लिए आरक्षित थीं. मुख्य परीक्षा के लिए 1100 उम्मीदवारों का चयन किया गया. इनमें आरक्षित वर्गों की सीटों से भी कम अभ्यर्थियों के चुने जाने पर बवाल हो गया है. पीटी परीक्षा की जारी मेधा सूची में 1100 अभ्यर्थी शामिल हैं. इनमें सामान्य श्रेणी से 980, एससी श्रेणी से 9, एसटी श्रेणी के एक, बीसी श्रेणी से 25, ओबीसी श्रेणी से 78 और दिव्यांग श्रेणी से सात अभ्यर्थी शामिल हैं. मुख्य परीक्षा के लिए एससी, एसटी और पिछड़े कोटे में भर्ती की सीटों से भी कम संख्या में अभ्यर्थी मेधा सूची में शामिल हैं. मुख्य परीक्षा के बाद इनमें से भी कुछ और बाहर हो जायेंगे. इससे भर्ती की 349 सीटों में आरक्षित कोटे की काफी सीटें खाली रह जायेंगी.
बीपीएससी के परीक्षा नियंत्रक अमरेंद्र कुमार के मुताबिक, न्यायिक सेवा की परीक्षा में आरक्षण का नियम अलग तरीके से लागू होता है. इसमें सामान्य श्रेणी की कट ऑफ से पांच फीसदी कम नंबर वाले परीक्षार्थियों को ही मेधा सूची में रखा जाता है. इससे कम नंबर वालों को आरक्षण के बावजूद मेधा सूची में जगह नहीं मिल पाता है.