मिशन 2019 : बेगूसराय सीट पर इतिहास बनाने की कोशिश में एनडीए व महागठबंधन

इस बार बेगूसराय की सीट पर भाजपा के कई नेताओं की नजर है, यह इलाका वाम दलों का रहा है मजबूत गढ़ पटना : लोकसभा चुनाव में बेगूसराय सीट एक बार फिर पुराना इतिहास दोहरायेगी या फिर 2009 के चुनाव में मोनाजिर हसन की जीत की कहानी याद आयेगी, इसकी चर्चा शुरू हो गयी है. […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 22, 2019 7:10 AM
इस बार बेगूसराय की सीट पर भाजपा के कई नेताओं की नजर है, यह इलाका वाम दलों का रहा है मजबूत गढ़
पटना : लोकसभा चुनाव में बेगूसराय सीट एक बार फिर पुराना इतिहास दोहरायेगी या फिर 2009 के चुनाव में मोनाजिर हसन की जीत की कहानी याद आयेगी, इसकी चर्चा शुरू हो गयी है.
1977 से अब तक जितने भी आम चुनाव हुए, बेगूसराय लोकसभा की सीट पर एक ही वर्ग से आने वाले उम्मीदवार की जीत होती आयी है. अपवाद के तौर पर डाॅ मोनाजिर हसन हैं, जिन्होंने जदयू के टिकट पर 2009 में जीत हासिल की थी. इस बार बेगूसराय की सीट पर
भाजपा के कई नेताओं की नजर है. सांसद भोला सिंह के निधन के बाद से यह सीट खाली भी है. भाजपा में विधान पार्षद रजनीश कुमार और केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह के नाम की चर्चा है. लोजपा की मौजूदा सांसद वीणा देवी के भी यहां से उम्मीदवार होने की चर्चा गाहे-बगाहे होती रहती है.
दूसरी ओर विपक्ष की ओर से भाकपा नेता कन्हैया कुमार के यहां से लोकसभा चुनाव में उम्मीदवार बनाये जाने के कयास लगाये जा रहे हैं. बेगूसराय का इलाका वाम दलों का मजबूत गढ़ रहा है. पिछले चुनाव में कांग्रेस और राजद के बीच समझौता हुआ था.
राजद के तनवीर हसन यहां से उम्मीदवार बनाये गये थे. चुनावी इतिहास देखा जाये तो 2014 में भाजपा के भोला सिंह यहां से सांसद बने. 2004 में ललन सिंह जदयू से, 1999 और 1998 के आम चुनाव में कांग्रेस से राजो सिंह, 1996 में रमेंद्र कुमार, 1991 में कृष्णा शाही, 1989 में ललित विजय सिंह, 1984 और 1989 में कृष्णा शाही तथा 1977 में श्यामनंदन मिश्र यहां से सांसद बने.
भाकपा में भी कई नामों पर चर्चा
परिसीमन के पूर्व पड़ोस की सीट बलिया से भाकपा के दिग्गज शत्रुघ्न प्रसाद सिंह चुनाव जीतते रहे हैं. हालांकि, बाद के दिनों में बलिया से सूरजभान भी सांसद हुए. अब बलिया सीट का अस्तित्व समाप्त हो चुका है. कुल मिला कर यह माना जा रहा कि वाम दल तथा महागठबंधन के साझा उम्मीदवार कन्हैया कुमार बनाये गये तो भाजपा को यहां कड़ी टक्कर मिल सकती है. हालांकि, कन्हैया के नाम पर अंतिम सहमति नहीं बन पायी है. भाकपा के भीतर भी कई नामों पर चर्चा है.
नया परिसीमन लागू हुआ तो भूगोल और सामाजिक समीकरण भी बदल गये
2009 के चुनाव में जब नया परिसीमन लागू हुआ तो बेगूसराय लोकसभा सीट की भूगोल और सामाजिक समीकरण भी बदल गये. बलिया की तीन विधानसभा सीट बछवारा, चेरिया बरियारपुर और बखरी को नयी बेगूसराय सीट में शामिल कर लिया गया.
साथ ही सिकंदरा, लखीसराय, शेखपुरा और बरबीघा विधानसभा सीट नये बेगूसराय से बाहर निकल गया. परिसीमन के बाद जो बेगूसराय की तस्वीर बनी उसमें चेरिया बरियारपुर, बछवारा, तेघड़ा, मटिहानी, साहेबपुर कमाल, बेगूसराय और बखरी विधानसभा शामिल है़ं

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