‘क्राइम एंड क्रिमिनल ट्रैकिंग नेटवर्क सिस्टम” के माध्यम से बिहार में 6 लाख 12 हजार प्राथमिकी दर्ज : सुशील मोदी
पटना : बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने गुरूवार को कहा कि प्रदेश में 270 करोड़ रुपये की लागत से शुरू किए गए ‘क्राइम एंड क्रिमिनल ट्रैकिंग नेटवर्क सिस्टम’ के जरिए अब तक 6 लाख 12 हजार प्राथमिकी दर्ज की गयी हैं. पटना के अधिवेशन भवन में आयोजित तीसरे ‘नेशनल फॉरेंसिक कॉन्फ्रेंस’ को सम्बोधित […]
पटना : बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने गुरूवार को कहा कि प्रदेश में 270 करोड़ रुपये की लागत से शुरू किए गए ‘क्राइम एंड क्रिमिनल ट्रैकिंग नेटवर्क सिस्टम’ के जरिए अब तक 6 लाख 12 हजार प्राथमिकी दर्ज की गयी हैं. पटना के अधिवेशन भवन में आयोजित तीसरे ‘नेशनल फॉरेंसिक कॉन्फ्रेंस’ को सम्बोधित करते हुए सुशील कुमार मोदी ने कहा कि प्रदेश सरकार ने 270 करोड़ रुपये की लागत से ‘क्राइम एंड क्रिमिनल ट्रैकिंग नेटवर्क सिस्टम’ की शुरूआत की है जिसके तहत अब तक 6 लाख 12 हजार एफआईआर दर्ज की गयी है.
सुशील मोदी ने कहा कि अपराध के अनुसंधान का तरीका बदल चुका है. बिहार में हर थाने में कम्प्यूटर लगाये जा रहे हैं. अब कम्प्यूटर की एक क्लिक से किसी अपराधी के चेहरे, उसके क्राइम रिकार्ड, पूरे देश में उस पर कहां-कहां एफआईआर दर्ज हैं, इस बात को जाना जा सकता है. सुशील मोदी ने कहा कि थानों के अलावा कोर्ट और जेल को भी कम्प्यूटरीकृत किया जा रहा है. जेल में बंद अपराधियों को कोर्ट में लाये बिना भी उसका ट्रायल किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि अपराध के अनुसंधान के पुराने तरीके बदल गए हैं. पहले घटना स्थल पर अपराधियों के वारदात स्थल पर छूट गए कपड़े, अंगुली के निशान और श्वान दस्तों की मदद से पुलिस अपराधियों की पहचान की कोशिश करती थी, मगर अब बालों की फॉरेंसिक जांच, नारको टेस्ट, कारतूस की जांच, किस आर्डिनेंस फैक्ट्री में वह बना, उसका बैच नम्बर क्या है, उक्त बैच की कारतूस किसने खरीदी आदि के जरिए पुलिस अपराधियों तक पहुंच रही है.
अपने अनुभवों के आधार पर उन्होंने कहा कि आज से 40 साल पहले धारा 144 के उल्लंघन के एक मामूली मामले में मुम्बई पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार किया तो थाने में उनके फिंगर प्रिंट और पांवों के निशान लिए गए थे. सुशील मोदी ने कहा कि आज पुलिस तकनीक की मदद से बेहतर तरीके से अनुसंधान कर रही है. बिहार में पूर्व डीजीपी अभयानंद ने फॉरेंसिंक लैब को सृदृढ़ कर अपराध के अनुसंधान में उसका उपयोग शुरू किया. उन्होंने साइबर अपराध को बड़ी चुनौती बताते हुए कहा कि उसका मुकाबला आधुनिक तकनीक से ही संभव है. डाटा की सुरक्षा भी बड़ी चुनौती है. जिसके पास डाटा है, वहीं दुनिया पर राज करेगा.
उन्होंने कहा कि दुनिया के अनेक देशों में साइबर हैकर ‘किडनैपिंग फॉर रेन्सम’ की तर्ज पर डाटा हैक कर फिरौती की मांग करते हैं. साइबर एक्सपर्ट इसके लिए रिकवरी डाटा सेंटर का निर्माण कर उसमें डुप्लीकेट डाटा स्टोर कर सुरक्षित रखते हैं. डाटा की सुरक्षा आज के दौर में बड़ी चुनौती है. उन्होंने कहा कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता, रोबोटिक्स, नैनो टेक्नोलॉजी और जेनेटिक इंजीनियरिंग के इस दौर में जिसके पास हुनर है उसके लिए नौकरी की कमी नहीं है. सुशील मोदी ने कहा कि टेक्नोलॉजी आधारित चौथी औद्योगिक क्रान्ति के महत्व को देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने समझा है, इसलिए उसका लाभ लेने में भारत आज सक्षम हुआ है.