पटना : बिहार के मुख्यमंत्री सह जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार ने जाति आधारित जनगणना कराने की मांग की है. साथ ही सवर्ण आरक्षण को सही ठहराते हुए कहा कि पहले से निर्धारित आरक्षण व्यवस्था में हस्तक्षेप किये बिना यह दस फीसदी अलग से गरीब सवर्णों को दिया गया है. इसकी शुरुआत कर्पूरी ठाकुर ने की थी. उन्होंने कहा कि वे केवल काम करते हैं, वोट की चिंता नहीं करते. सोशल मीडिया और अन्य तरीकों से समाज में अशांति फैलाने वालों से सावधान करते हुए उन्होंने पार्टी कार्यकर्ताओं से कहा कि राज्य सरकार के विकास कार्यों की जानकारी लोगों तक पहुंचाएं.
गुरुवार को पटना के एसके मेमोरियल हॉल में पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर के 95वें जयंती समारोह को संबोधित करते हुए नीतीश कुमार ने कहा कि वर्ष 2011 में यूपीए सरकार ने सामाजिक आर्थिक जातिगत सर्वेक्षण करवाया था. उसके आंकड़े स्पष्ट नहीं होने की वजह से उसे जारी नहीं किया गया. अब आबादी लगातार बढ़ रही है. ऐसे में सभी वर्गों की जनसंख्या में भी बढ़ोतरी हो रही है. इसलिए जाति जनगणना करवाने की जरूरत है. इससे पहले यह वर्ष 1931 में हुई थी. सीएम ने कहा कि कर्पूरी ठाकुर ने बिहार में पिछड़ा वर्ग को आरक्षण के लिए एनेक्सर-1 और एनेक्सर-2 कैटिगरी बनाया था. मंडल कमीशन लागू होने पर केंद्र में केवल पिछड़ा वर्ग रह गया. बिहार में भी एनेक्सर-1 और एनेक्सर -2 हटाने की कोशिश हुई थी. इसका हमने विरोध किया था.
इस कार्यक्रम में पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह, मंत्री बिजेंद्र प्रसाद, राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह, कृष्णनंदन वर्मा, मदन सहनी, कपिलदेव कामत, शैलेश कुमार, संतोष निराला, सांसद रामनाथ ठाकुर, श्याम रजक, अति पिछड़ा प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मेश्वर राय, पार्टी के प्रदेश महासचिव नवीन आर्य सहित अन्य नेताओं ने संबोधित किया.