इस साल 12% रहेगी बिहार की विकास दर, अगले बजट में महिला स्वास्थ्य पर रहेगा जोर
पटना : बेहतर वित्तीय प्रबंधन से चालू वित्तीय वर्ष 2018-19 के दौरान राज्य की विकास दर करीब 12 फीसदी रहने का अनुमान है. बिहार इस बार भी रेवेन्यू सरप्लस वाला राज्य बना रहेगा. पिछले पांच वित्तीय वर्षों के दौरान राज्य की विकास दर औसतन 11 प्रतिशत के आसपास ही रही है. दो अंकों की विकास […]
पटना : बेहतर वित्तीय प्रबंधन से चालू वित्तीय वर्ष 2018-19 के दौरान राज्य की विकास दर करीब 12 फीसदी रहने का अनुमान है. बिहार इस बार भी रेवेन्यू सरप्लस वाला राज्य बना रहेगा. पिछले पांच वित्तीय वर्षों के दौरान राज्य की विकास दर औसतन 11 प्रतिशत के आसपास ही रही है. दो अंकों की विकास दर की यह रफ्तार इस बार भी बनी रहेगी. वित्तीय वर्ष 2017-18 के दौरान यह करीब 10.5 प्रतिशत रही.
दो अंकों की विकास दर बरकरार रहने के पीछे मुख्य कारण पब्लिक सेक्टर में निवेश, सर्विस सेक्टर समेत अन्य क्षेत्रों में विकास बना रहना है. सबसे अधिक बढ़ोतरी टर्सियरी सेक्टर में दर्ज की गयी है. बिहार विधानमंडल के बजट सत्र के पहले दिन सरकार आर्थिक सर्वेक्षण पेश करेगी.
इसमें विकास दर 12 प्रतिशत के करीब होने का उल्लेख होगा
इस बार सबसे ज्यादा तृतीयक सेक्टर में 14.57 प्रतिशत विकास दर रहने का अनुमान है. जबकि प्राथमिक सेक्टर में 1.42 प्रतिशत और द्वितीयक सेक्टर में 2.52 प्रतिशत विकास दर का अनुमान है. टर्सियरी सेक्टर में ग्रोथ सबसे ज्यादा होने का मुख्य कारण सरकारी और निजी सेक्टर में बड़ी संख्या में नौकरियां होना है.
महिला स्वास्थ्य पर अलग राशि
नये वित्तीय वर्ष 2019-20 के बजट में पहली बार महिला स्वास्थ्य पर अलग से फोकस किया जायेगा. इसके लिए अलग राशि का भी प्रबंध किया जायेगा. इसके अलावा शिक्षा पर सरकार सबसे ज्यादा खर्च कर सकती है. कृषि सेक्टर के विकास के लिए कुछ नयी कोशिश होगी. किसानों को अलग फीडर से बिजली देने के लिए खासतौर से राशि निर्धारित की जायेगी.
एक्सपर्ट व्यू
बिहार की पिछले पांच साल में औसत विकास दर दो अंकों में रहना यह दिखाता है कि सूबे में आर्थिक गतिविधि काफी बढ़ी है. राज्य का बजट 25-30 हजार करोड़ से बढ़ कर एक लाख 80 हजार करोड़ से ज्यादा का हो गया है. अगर यही रफ्तार बनी रही, तो बिहार दो दशक में महाराष्ट्र के स्तर तक पहुंच जायेगा.
-शैबाल गुप्ता, (अर्थशास्त्री और आद्री के सदस्य )