पटना : पूर्व रक्षा मंत्री जॉर्ज फर्नांडिस के निधन पर उन्हें याद करते हुए भाजपा के वरिष्ठ नेता और बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी ने महत्वपूर्ण झणों को साझा किया. सुशील मोदी ने कहा कि जॉर्ज फर्नांडीस संघर्ष, सादगी और अध्ययनशीलता के प्रतीक थे. साधारण वेश-भूषा, सादगीपूर्ण रहन-सहन और रक्षा मंत्री के पद पर रहते हुए भी प्लेन के बिजनेस क्लास की जगह इकोनॉमी क्लास में यात्रा करने में उन्हें कोई संकोच नहीं था. एक बार उनसे हवाई जहाज में मेरी मुलाकात हुई. तब वे रक्षा मंत्री थे, प्लेन के इकोनॉमी क्लास की सबसे पिछली सीट पर 7-8 फाइलों के साथ बैठक कर उसका निष्पादन कर रहे थे. इस तरह से यात्रा में समय का सदुपयोग करते उन्हें देख कर मैं काफी प्रभावित हुआ.
उनकी अध्ययनशीलता का नमूना उनके कमरे को देख कर मिला. जहां वे सोते थे उसके चारों तरफ किताबों का अम्बार लगा रहता था. उनके कमरे की अलमीरा, चौकी सभी पर किताबों का ढेर था. उनकी अध्ययनशीलता का असर उनके तथ्यों व तर्कों से परिपूर्ण भाषणों में देखने को मिलता था. छात्र जीवन में ही उनके दर्जन से अधिक हिन्दी और अंग्रेजी में दिये ओजपूर्ण, तर्कसंगत और तथ्यों से परिपूर्ण भाषण सुनने का मौका मिला. वे ऐसे वक्ता थे जो अपने वक्तृत्व कला से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर देते थे.
इमरजेंसी के दौरान बड़ौदा डायनामाइट कांड में वे जेल में बंद थे. 1977 का आम चुनाव वे जेल में रहते हुए लड़े. कार्डबोर्ड पर जेल में बंद जॉर्ज साहब की हथकड़ी लगी तस्वीरों के साथ दो दिन तक मुझे भी मुजफ्फरपुर लोकसभा क्षेत्र में उनका प्रचार करने का मौका मिला. उनकी लोकप्रियता इतनी थी कि जेल में रहते हुए भी वे रिकाॅर्ड मतों से चुनाव जीते. 1977 में जब जनता पार्टी की सरकार मोरारजी भाई देसाई के नेतृत्व में बनी तो जॉर्ज साहब ने मंत्री बनने से इन्कार कर दिया. बाद में बिहार के जेपी आंदोलनकारियों ने दिल्ली के बिट्ठल भाई मैदान में उनका घेराव कर उन्हें मंत्री बनने के लिए बाध्य किया.
अपने जीवन के आखिरी 25-30 साल उन्होंने बिहार को अपनी कर्मभूमि बनाया और इस दौरान बिहार को बहुत कुछ दिया. केंद्रीय उद्योग मंत्री के तौर पर मुजफ्फरपुर में आईपीडीएल फर्मास्युटिकल फैक्ट्री, कांटी में थर्मल प्लांट, बिहार-उत्तर प्रदेश को जोड़ने वाला बगहा-छितौनी पुल, नालंदा में आर्डिनेंस फैक्ट्री आदि जॉर्ज साहब की देन है.
एनडीए की नींव रखने में जॉर्ज फर्नांडीस की अहम भूमिका थी.मुझे अच्छी तरह याद है कि 1995 में भाजपा के आमंत्रण पर मुंबई में आयोजित भाजपा के राष्ट्रीय अधिवेशन में जॉर्ज साहब नीतीश कुमार और दिग्विजय सिंह के साथ मंच पर आये. भाजपा प्रतिनिधियों ने जॉर्ज साहब का जोरदार स्वागत किया. उसके बाद ही बिहार में समता पार्टी और भाजपा का गठबंधन हुआ जो आगे जाकर राजग बना और राजद सरकार के पतन का कारण बना. कांग्रेस के आधिपत्य के खिलाफ जीवन भर लड़ने वाले ऐसे संघर्षशील, सादगी के प्रतीक समाजवादी आंदोलन के प्रखर नेता को उनके देहावसान पर मेरा शत-शत नमन और विनम्र श्रद्धांजलि.