पटना : सरकारी महकमों पर 500 करोड़ का टीडीएस बकाया
तीन महीने में सरकारी महकमों के 100 एकाउंट को जब्त कर वसूले गये करीब 20 करोड़ पटना : आयकर रिटर्न दायर करने और टीडीएस जमा नहीं करने में सरकारी महकमों की लापरवाही भी बड़े स्तर पर सामने आयी है. विभागीय स्तर पर लापरवाही के कारण टीडीएस के 500 करोड़ रुपये से ज्यादा दर्जनों विभागों पर […]
तीन महीने में सरकारी महकमों के 100 एकाउंट को जब्त कर वसूले गये करीब 20 करोड़
पटना : आयकर रिटर्न दायर करने और टीडीएस जमा नहीं करने में सरकारी महकमों की लापरवाही भी बड़े स्तर पर सामने आयी है. विभागीय स्तर पर लापरवाही के कारण टीडीएस के 500 करोड़ रुपये से ज्यादा दर्जनों विभागों पर बकाया है.
इसमें विभिन्न तरह के कॉर्पोरेशन के पास बकाये टीडीएस की रकम सबसे ज्यादा है. निर्माण से जुड़े निगमों और विभागों में टीडीएस से संबंधित शिकायतें सबसे ज्यादा सामने आयी हैं.
पिछले तीन महीने के दौरान आयकर विभाग ने दर्जनों निगमों, नगर निकायों और विभागों के बैंक एकाउंट या ट्रेजरी एकाउंट को सीज करके 20 करोड़ से ज्यादा रुपये जमा किये हैं.
इसमें भोजपुर जिला खनिज कार्यालय से तीन करोड़ की वसूली हुई है. इस तरह के कई मामले हैं. जिनके पास जितना टीडीएस बकाया है, उसके एकाउंट को सीज करके उतना पैसा वसूलने की कार्रवाई आयकर विभाग ने शुरू कर दी है.
पिछले वित्तीय वर्ष के दौरान बिहार विद्युत निगम से 44 करोड़ की वसूली की गयी थी. आयकर विभाग ने राज्य सरकार को विभागों के बकाये टीडीएस का भुगतान जल्द कराने के लिए भी कई बार लिखा है. फिर भी अभी तक ठोस कार्रवाई नहीं हो पायी है.
ठेकेदार व खनन पट्टाधारी नहीं दायर करते रिटर्न : निर्माण से जुड़े निगम या विभाग ठेकेदारों से टीडीएस काट लेते हैं, लेकिन इसे जमा नहीं करते या इनका रिटर्न दायर नहीं करते हैं. इससे ठेकेदारों की सही कमाई आयकर को मालूम नहीं हो पाती और वे आय काफी कम करके आयकर रिटर्न दायर करते हैं. ऐसा विभागीय स्तर पर मिलीभगत के कारण किया जाता है. ताकि आयकर की नजर से ठेकेदार या निजी कंपनियां बच सके.
कुछ मामलों में बिना पैन नंबर लिये ही काम करने वाली कंपनियों या ठेकेदारों का टीडीएस काट लिया जाता है. इससे टीडीएस जमा नहीं हो पाता है. साथ ही पांच से 20 प्रतिशत के स्थान पर महज दो फीसदी टीडीएस काटा जाता है. खनन पट्टा से जुड़े मामलों में इस तरह की गड़बड़ी काफी बड़े स्तर पर देखी गयी है.